पर्यटन मंत्रालय और डालमिया समूह के बीच हुए समझौते के तहत लाल क़िला की देखरेख में पांच साल में ख़र्च होंगे 25 करोड़ रुपये. कांग्रेस ने कहा कि नरेंद्र मोदी आज़ादी के प्रतीक लाल क़िले को कॉरेपोरेट के हाथों बंधक रखने की तैयारी कर रहे हैं.
नई दिल्ली: ऐतिहासिक लाल क़िला को निजी कंपनी को सौंपे जाने के विपक्षी दलों की आलोचनाओं के बीच पर्यटन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि डालमिया भारत लिमिटेड के साथ हुआ समझौता 17वीं शताब्दी के इस प्रसिद्ध स्मारक के अंदर और इसके चारों ओर पर्यटक क्षेत्रों के विकास एवं रखरखाव भर के लिए है.
डालमिया भारत समूह के साथ हुए एमओयू के तहत स्मारक की देखरेख करेगा और इसके इर्द-गिर्द आधारभूत ढांचा तैयार करेगा. पांच वर्ष के दौरान इसमें 25 करोड़ रुपये का ख़र्च आएगा.
बहरहाल कांग्रेस, माकपा तथा तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों ने केंद्र की मोदी सरकार के इस क़दम पर सवाल उठाए हैं. इन दलों ने देश की स्वतंत्रता के प्रतीकों को आभासी तौर पर कॉरपोरेट घराने को सौंपने का आरोप लगाया है.
इस बीच, मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि सहमति पत्र (एमओयू) लाल क़िला और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र के रखरखाव और विकास भर के लिए है. बयान में कहा गया है कि एमओयू के जरिए ‘गैर महत्वपूर्ण क्षेत्र’ में सीमित पहुंच दी गई है और इसमें स्मारक को सौंपा जाना शामिल नहीं है.
विपक्षी दलों ने ऐतिहासिक लाल क़िला के रखरखाव की ज़िम्मेदारी एक निजी समूह को दिए जाने पर सवाल उठाया है. कुछ ही दिन पहले एक उद्योग घराने ने पर्यटन मंत्रालय के साथ ‘अडॉप्ट अ हेरिटेज’ की उसकी योजना के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
सहमति ज्ञापन के तहत ‘द डालमिया भारत’ समूह धरोहर का रखरखाव करेगा और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचों का निर्माण करेगा. उसने इसके लिए पांच साल में 25 करोड़ रुपये ख़र्च करने का वादा किया है.
इस फैसले का कांग्रेस, माकपा और तृणमूल कांग्रस ने विरोध किया है और उन्होंने भारत की आज़ादी के प्रतीक को एक तरह से कॉरपोरेट के हाथों में सौंपने को लेकर सरकार पर हमला किया.
कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक कार्टून भी पोस्ट किया है, जिसमें मोदी सरकार के इस कदम पर व्यंग्य किया गया है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की आज़ादी के प्रतीक लाल क़िले को कॉरेपोरेट के हाथों बंधक रखने की तैयारी कर रहे हैं. क्या मोदीजी या भाजपा लाल क़िले का महत्व समझती है.’
साहेब ने क्या खेल रचाया।
राष्ट्रीय सम्पत्ति से वसूल रहे किराया। #JanKiBaat pic.twitter.com/wLkKbhM73B— Congress (@INCIndia) April 28, 2018
उन्होंने कहा, ‘क्या यह सच नहीं है कि यह निजी कंपनी लाल क़िला देखने के लिए टिकट जारी करेगी. क्या यह सच नहीं है कि यदि कोई वहां वाणिज्यिक गतिविधि या कोई कार्यक्रम करना चाहता है तो निजी पार्टी को भुगतान करना होगा.’
सुरजेवाला ने कहा, ‘क्या आप लाल क़िला जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक को रखरखाव के लिए अपने कॉरपोरेट दोस्तों को दे सकते हैं?’
मंत्रालय के अनुसार, सहमति ज्ञापन के तहत डालमिया समूह ने 17वीं शताब्दी की इस धरोहर पर छह महीने के भीतर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर सहमति जताई है. इसमें पेयजल कियोस्क, सड़कों पर बैठने के लिए बेंच लगाना और आगंतुकों को जानकारी देने वाले संकेतक बोर्ड लगाना शामिल है.
इसके अलावा अगले साल में डालमिया समूह स्मारक के शौचालयों को बेहतर बनाएगी, रास्तों पर लैंप पोस्ट व रास्ते बंद करने के लिए बोलार्ड लगाएगी.
इतना ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सुझाव पर मरम्मत और सौंदर्यीकरण के लिए लैंड स्केपिंग का भी काम होगा. 1,000 फुट का आगंतुक सुविधा केंद्र, 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग होगी. बैटरी चालित वाहन भी होंगे. परिसर में एक कैफेटेरिया होगा.
After handing over the Red Fort to the Dalmia group, which is the next distinguished location that the BJP government will lease out to a private entity? #IndiaSpeaks
— Congress (@INCIndia) April 28, 2018
लाल क़िला की देखरेख के लिए डालमिया समूह के अलावा इंडिगो एयरलाइंस और जीएमआर समूह होड़ में थे.
मालूम हो कि लाल पत्थर से दिल्ली के बीचोबीच बने इस ऐतिहासिक इमारत अपनी भव्यता की वजह से आकर्षित करती है. यह इमारत मज़बूती, बेहतरीन स्थापत्य कला और अपनी बेमिसाल कारीगरी के लिए जानी जाती है.
इसकी नींव 29 अप्रैल यानी आज ही दिन रखी गई थी. पांचवें मुगल बादशाह शाहजहां का 17वीं शताब्दी में इसका निर्माण कराया था.
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘क्या सरकार हमारे ऐतिहासिक लाल क़िले की देखभाल भी नहीं कर सकती? लाल क़िला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है. यह ऐसी जगह है जहां स्वतंत्रता दिवस पर भारत का झंडा फहराया जाता है. इसे क्यों लीज़ पर दिया जाना चाहिए? हमारे इतिहास में निराशा और काला दिन है.’
Why can’t the Government even take care of our historic Lal Qila ? Red Fort is a symbol of our nation. It is where India’s flag is hoisted on Independence Day. Why should it be leased out ? Sad and dark day in our history
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) April 28, 2018
माकपा ने भी इस क़दम की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने एक प्रकार से लाल क़िले को डालमिया ग्रुप को सौंप दिया है.
माकपा ने कहा, ‘डालमिया समूह ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि वे शुरुआत में पांच साल के लिए इसके मालिक होंगे’ और समझौता उन्हें डालमिया ब्रांड का प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता देता है.’
पार्टी ने कहा, ‘इसके पास स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के दौरान तथा संकेतक बोर्डों पर सभी तरह की प्रचार सामग्री में अपने ब्रांड के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है. वाकई, उसे प्रमुखता से प्रदर्शित संकेतक बोर्ड में यह घोषणा करने की अनुमति होगी कि लाल क़िला को डालमिया भारत लिमिटेड ने गोद ले लिया है.’
माकपा ने कहा कि लाल क़िला स्वतंत्र भारत का प्रतीक है और उसे कॉरपोरेट निकाय को सौंपा जाना ईशनिंदा से कम नहीं है.
आरोपों पर पर्यटन राज्य मंत्री केजे अल्फोंस ने कहा कि गत वर्ष शुरू की गई योजना के तहत मंत्रालय धरोहर स्मारकों को विकसित करने के लिए जन भागीदारी पर गौर कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘इस परियोजना में शामिल कंपनियां केवल पैसा ख़र्च करेंगी, पैसा कमाएंगी नहीं. वे आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए उनके लिए शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं मुहैया कराएंगी. वे यह बताने के लिए बाहर में बोर्ड लगा सकती हैं कि उन्होंने मूलभूत सुविधाएं विकसित की हैं. यदि वे राशि खर्च कर रही हैं तो उसका श्रेय लेने में कुछ गलत नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं उन्होंने पिछले 70 वर्ष क्या किया. सभी धरोहर स्मारक और उसके आसपास स्थित सुविधाओं की स्थिति अत्यंत ख़राब है. कुछ स्थान पर कोई सुविधा ही नहीं है.’
गौरतलब है कि ‘अडॉप्ट अ हेरिटेज’ योजना के तहत केंद्र सरकार ने पर्यटन मंत्रलय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की भागीदारी वाली कमेटी की मदद से मार्च में 31 स्मारकों की सूची तैयार की है.
इनमें लाल क़िला, कुतुबमीनार (दिल्ली), हम्पी (कर्नाटक), सूर्य मंदिर (ओडिशा), अजंता गुफा (महाराष्ट्र), चार मीनार (तेलंगाना) और काज़ीरंगा नेशनल पार्क (असम) समेत 95 ऐतिहासिक धरोहरों को टूरिस्ट फ्रेंडली बनाया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)