पत्रकार जेडे हत्या मामले में छोटा राजन और 8 अन्य को उम्रक़ैद

विशेष मकोका अदालत ने राजन को उकसाने के आरोप में पूर्व पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी कर दिया. पॉलसन जोसेफ को भी बरी कर दिया गया. उन पर साज़िश से जुड़े वित्तीय लेन-देन का आरोप था.

जे डे और छोटा राजन (फोटो: ट्विटर और पीटीआई)

विशेष मकोका अदालत ने राजन को उकसाने के आरोप में पूर्व पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी कर दिया. पॉलसन जोसेफ को भी बरी कर दिया गया. उन पर साज़िश से जुड़े वित्तीय लेन-देन का आरोप था.

जे डे और छोटा राजन (फोटो: ट्विटर और पीटीआई)
जे डे और छोटा राजन (फोटो: ट्विटर और पीटीआई)

मुंबई: एक विशेष अदालत ने सात साल पुराने वरिष्ठ पत्रकार ज्योतिर्मय डे उर्फ़ जेडे हत्या मामले में दो मई को गैंगस्टर छोटा राजन सहित सभी नौ दोषियों को आजीवन कारावास की सुना सुनाई.

अदालत ने कहा कि यह निर्मम हत्या थी.

हालांकि विशेष मकोका अदालत के न्यायाधीश समीर अदकर ने 2011 में हत्या के लिए राजन को उकसाने के आरोप से पूर्व पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी कर दिया.

न्यायाधीश ने पॉलसन जोसेफ को भी बरी कर दिया जिस पर साज़िश से जुड़े वित्तीय लेन-देन का आरोप था.

अदालत ने आरोपियों को भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम तथा मकोका की विभिन्न धाराओं के तहत पर दोषी पाया और 26-26 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

एक दोषी दीपक सिसौदिया को शस्त्र अधिनियम के तहत सात-साल की जेल की अतिरिक्त सज़ा दी गई. उसकी दोनों सज़ा साथ-साथ चलेगी.

मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्तियों ने 11 जून 2011 को पवई में 56 वर्षीय डे की गोली मार कर हत्या कर दी थी. उस समय वह अपने घर लौट रहे थे.

उस वक्त वह टैब्लॉयड ‘मिड-डे’ के लिए काम कर रहे थे.

इंडोनेशिया के बाली हवाईअड्डे से राजन को 25 अक्टूबर, 2015 में गिरफ़्तार करके भारत लाए जाने के बाद यह पहला बड़ा आपराधिक मामला है जिसमें उसे दोषी ठहराया गया है.

पिछले साल दिल्ली की एक अदालत ने राजन को फ़र्ज़ी पासपोर्ट के एक मामले में दोषी क़रार दिया था और सात साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन इस बात को साबित करने में सफल रहा कि घटना राजन के अपराध गिरोह द्वारा किया गया संगठित अपराध थी.

अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्य से साबित होता है कि 56 साल के पत्रकार की हत्या सुनियोजित थी.

सीबीआई द्वारा दाखिल पूरक आरोप पत्र के मुताबिक यह हत्या राजन के इशारे पर की गई थी. राजन ने जेडे की हत्या इसलिए की थी क्योंकि वह उनके द्वारा लिखे गए कुछ लेखों से कथित तौर पर गुस्से में था. साथ ही जेडे की एक नियोजित पुस्तक को लेकर भी वह चिढ़ा हुआ था जिसमें राजन को एक ‘चिंदी’ अपराधी के रूप में पेश किया गया था. डे उसकी सेहत और अंडरवर्ल्ड में ख़त्म होती उसकी पैठ पर लिख रहे थे.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक वोरा पर जेडे के खिलाफ राजन को भड़काने का आरोप था और पॉल्सन पर दो वैश्विक सिम कार्ड हासिल करने और हत्या के लिए दो लाख रुपये तथा सिम कार्ड दूसरे आरोपी को देने का आरोप था.

इस मामले में राजन, शूटर सतीश जोसेफ उर्फ सतीश कालिया और जिग्ना वोरा समेत कुल 12 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.

अभियुक्तों में से एक विनोद असरानी की 2015 में मुक़दमे के दौरान ही लंबी बीमारी के चलते मौत हो गई थी.

न्यायाधीश द्वारा बरी किए जाने के तुरंत बाद जिग्ना वोरा को अदालत में रोते हुए देखा गया. नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद राजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये इस क़ानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बना. न्यायाधीश द्वारा दोषी क़रार दिए जाने और पूछे जाने पर कि क्या वह कुछ कहना चाहता है, के जवाब में उसने कहा, ‘ठीक है.’

अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए मामले के दोषियों के लिए अधिकतम सज़ा की मांग की कि जेडे एक पत्रकार थे जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का प्रतिनिधित्व करते थे.

11 जून, 2011 को हुई थी जेडे की हत्या

11 जून, 2011: मिड डे अखबार के 56 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार जेडे को पवई के हीरानंदानी गार्डन में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. पवई पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज हुआ और फिर क्राइम ब्रांच को मामला सौंप दिया गया.

27 जून, 2011: मुंबई क्राइम ब्रांच ने सात लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें शूटर सतीश कालिया और अभिजीत शिंदे, अरुण डाके, सचिन गायकवाड़, अनिल वाघमोड़, नीलेश शेंडगे और मंगेश अगवाने शामिल था. जांच के दौरान पुलिस ने विनोद असरानी, दीपक सिसोदिया और पॉलसन जोसफ को गिरफ्तार किया था.

07 जुलाई, 2011: हत्या के आरोपियों पर महाराष्ट्र सरकार ने मकोका लगा दिया.

25 नवंबर, 2011: पत्रकार जिग्ना वोरा को छोटा राजन को हत्या की योजना के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

3 दिसंबर, 2011: क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट दाखिल की और मामले में छोटा राजन और नयनसिंह बिष्ट को फरार बताया गया.

21 फरवरी, 2012: जिग्ना वोरा के खिलाफ एक पूरक आरोपपत्र दायर किया गया.

27 जुलाई, 2012: जिग्ना वोरा को जमानत मिल गई

10 अप्रैल, 2015: लंबे समय से जेल में बीमार चल रहे विनोद असरानी की मौत हो गई.

08 जून, 2015: अदालत ने 11 आरोपियों पर आईपीसी की धारा 120 बी (षड़यंत्र), 302 (हत्या) और धारा 34 के अलावा मकोका और आर्म्स एक्ट के तहत आरोप तये किया.

25 अक्टूबर, 2015: छोटा राजन को इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तार कर भारत लाया गया और अभी वो तिहाड़ जेल में है.

05 जनवरी, 2016: मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.

07 नवंबर, 2016: डे की पत्नी शुभा शर्मा ने अदालत को बताया कि हत्या से हफ्ते पहले वो बहुत परेशान थे.

31 अगस्त, 2017: मकोका विशेष अदालत ने छोटा राजन के खिलाफ आरोप तय किया.

22 फरवरी, 2018: अभियोजन पक्ष ने अंतिम बहस पूरी की.

02 अप्रैल, 2018: अदालत ने सीआरपीसी धारा 313 के तहत राजन का अंतिम बयान दर्ज किया. राजन को वीडियो लिंक के जरिए तिहाड़ जेल से अदालत में पेश किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)