छात्र-छात्राओं का आरोप है कि चीफ प्रॉक्टर पिछले साल कैंपस में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर हुए आंदोलन के बारे में दुष्प्रचार कर रही थीं, जिसके ख़िलाफ़ वे प्रदर्शन कर रहे थे.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में बीते साल सितंबर में छात्राओं द्वारा जो एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया गया था, उस आंदोलन ने गुरुवार को एक रोचक मोड़ ले लिया. विश्वविद्यालय के 12 छात्र-छात्राओं के ख़िलाफ़ नामज़द एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसमें इन सभी छात्रों पर हत्या के प्रयास की धारा भी संलग्न है.
मामले की जड़ में विश्वविद्यालय की चीफ प्रॉक्टर प्रो. रोयना सिंह हैं, जो बीते साल के आंदोलन के कुछ दिनों बाद ही चीफ प्रॉक्टर की कुर्सी पर बिठाई गई थीं.
वाराणसी के लंका थाने में विश्वविद्यालय के मृत्युंजय मौर्य, विकास सिंह, शिवांगी चौबे, मिथिलेश कुमार, गरिमा यादव, दीपक सिंह, रजत सिंह, अनूप कुमार, शाश्वत उपाध्याय, अपर्णा, पारुल शुक्ला और जय मौर्य के साथ-साथ अन्य अज्ञात व्यक्तियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147, 148, 353, 332, 427, 504, 307 और 395 के तहत गुरुवार देर रात मुक़दमा दर्ज कराया गया. इस मुक़दमे में मुख्य शिकायतकर्ता प्रो. रोयना सिंह हैं.
बीते कुछ दिनों से एक नामीगिरामी न्यूज़ चैनल द्वारा बीएचयू में बीते साल हुए विरोध प्रदर्शन पर रिपोर्ट दिखाई जा रही है. इन सभी रिपोर्टों में यह दिखाया जा रहा है कि बीएचयू के तमाम गर्ल्स हॉस्टलों में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिनके चलते बीते साल बीएचयू प्रशासन की मीडिया में जमकर किरकिरी हुई थी.
साथ ही साथ इन रिपोर्टों में तत्कालीन कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी द्वारा लिए गए फैसलों जिनके चलते प्रो. त्रिपाठी बीएचयू के अब तक के सबसे विवादित कुलपति साबित हुए, को भी सही ठहराने का प्रयास किया गया.
इन रिपोर्टों में जब बात बीते साल सितंबर के छात्र आंदोलन की आई तो उक्त न्यूज़ चैनल को बीएचयू की चीफ प्रॉक्टर ने बताया कि वह आंदोलन ‘बाहरी लोगों’ द्वारा खड़ा किया गया था.
रोयना सिंह ने चैनल से यह भी कहा कि उन सभी छात्राओं को ‘ट्रकों में भरकर पिज़्ज़ा और कोल्ड ड्रिंक’ की सप्लाई की गई, जिससे आंदोलन के चलते रहने में कोई बाधा न आए.
चीफ प्रॉक्टर रोयना सिंह के इस बयान से क्षुब्ध छात्र संगठन बीते कुछ दिनों से विश्वविद्यालय में छिटपुट प्रदर्शन कर रहे थे. गुरुवार की शाम विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बनाए गए जॉइंट एक्शन कमेटी से जुड़े कुछ छात्र-छात्राएं रोयना सिंह के कार्यालय पहुंच गए.
उनकी मांग थी कि या तो चीफ प्रॉक्टर रोयना सिंह अपने बयान के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करें या तो अपने आपत्तिजनक बयान के लिए माफ़ी मांगें क्योंकि इससे छात्राओं की सुरक्षा से जुड़े छात्र आंदोलन की पूरी छवि ख़राब हो रही है.
प्रदर्शन में शामिल छात्रा शिवांगी चौबे ने ‘द वायर’ से बताया, ‘हमारी बस इतनी मांग थी कि प्रॉक्टर मैम अपने इस बयान का साक्ष्यों द्वारा बचाव करें अथवा माफ़ी मांगें क्योंकि इससे हम सभी की सुरक्षा का प्रश्न धुंधला पड़ जाता है. इसके लिए चीफ प्रॉक्टर के ऑफिस पर हम प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन ऑफिस में मौजूद होने के बावजूद रोयना सिंह हमसे मिलने बाहर नहीं आ रही थीं.’
शिवांगी ने आगे कहा, ‘वहां उनके दरवाज़े में लगे कांच पर लकड़ी के रंग से कलई की गई थी, जिससे वह देखने में लकड़ी जैसा लग रहा था. जब हमारे बीच से एक साथी ने वहां खटखटाया तो वह कांच का हिस्सा टूटकर अंदर गिर गया. लेकिन रोयना सिंह, जो आख़िर तक हमसे बात करने या जवाब देने बाहर नहीं आईं, ने हम पर यह आरोप लगा दिया है कि हमने पेपरवेट से मारकर वह कांच तोड़ा है.’
‘द वायर’ से बातचीत में रोयना सिंह कहती हैं, ‘लड़कियां झूठ बोल रही हैं कि ऐसा कुछ हुआ. वे मुझसे और मेरे कमरे में मौजूद बाक़ी लोगों से अभद्र भाषा में बात कर रही थीं. कुछ लड़के-लड़कियों को आगे करके पूरा प्रदर्शन कर रहे थे. और हम सभी को चोट पहुंचाने की नीयत से पेपरवेट और दूसरी भारी चीज़ों से हम पर हमला किया गया.’
रोयना सिंह द्वारा दायर की गई तहरीर में कहा गया है कि एक छात्रा रोयना सिंह का गला घोंट रही थी और एक अन्य छात्र ने उन्हें पीछे से पकड़ रखा था. छात्रों के ख़िलाफ़ आरोप यह भी है कि रोयना सिंह पर ‘हमला’ करने के पहले छात्रों ने कहा, ‘जैसे कुलपति त्रिपाठी की छुट्टी की गई, वैसे ही तुम्हारी भी छुट्टी कर दी जाएगी.’
बीएचयू के प्रॉक्टर ऑफ़िस में दिन के किसी भी वक़्त दो दर्जन से ऊपर सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जब हमने रोयना सिंह से प्रश्न किया कि क्या सभी लोग आपकी हत्या के इरादे से वहां आए थे, इसके जवाब में रोयना सिंह कहती हैं, ‘उस दौरान ऐसा ही लग रहा था.’
रोयना सिंह की तहरीर पर दर्ज एफआईआर में कुछ ऐसे भी नाम हैं, जो इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कहीं मौजूद नहीं थे. एनएसयूआई से जुड़े छात्रनेता विकास कुमार सिंह का नाम भी एफआईआर में मौजूद है, लेकिन बकौल विकास और अन्य लोग, वे उस दिन वहां मौजूद नहीं थे.
विकास कहते हैं, ‘रोयना सिंह ने किस बिना पर तहरीर दी है, यह समझ से परे है. मैं उस दिन वहां मौजूद नहीं था, लेकिन फिर भी मुझ पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है.’
इस मामले में सबसे ज़्यादा संगीन पक्ष छात्राओं का है, जिन्हें हत्या के प्रयास के मामले में नामज़द गया है. इन छात्राओं, जिनमें से अधिकतर हॉस्टल या किराये के कमरे लेकर रह रही हैं, का आरोप है कि बीएचयू से जुड़े कुछ लोग उनके घरों पर फोन करके इस मामले की जानकारी दे रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें घर पर भी दिक्कत हो रही है.
इस मामले में नामज़द छात्रा पारुल शुक्ला ने ‘द वायर’ से बताया, ‘मैं तो उस दिन विश्वविद्यालय में मौजूद भी नहीं थी, फिर भी मेरा नाम दर्ज किया गया है. रोयना सिंह मैम ने हम लड़कियों के आंदोलन के बारे में जो भी कहा है, वह बेहद आपत्तिजनक है, लेकिन फिर भी यह साफ़ करना ज़रूरी है कि मैंने या हममें से किसी ने उनकी हत्या का प्रयास नहीं किया.’
पारुल आगे कहती हैं, ‘ज़ाहिर है कि कई लड़कियों के घरों पर फोन किया जा रहा है, इससे हम लोगों के घरों पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो रही है. एफआईआर की बात सुनने के बाद तो मुमकिन है कि हमारे मां-बाप हमें घर वापस बुला लें.’
बीते साल सितंबर में हुए आंदोलन के बाद तत्कालीन कुलपति जीसी त्रिपाठी अघोषित रूप से छुट्टी पर चले गए थे. बीते दिनों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के राकेश भटनागर ने कुलपति का कार्यभार ग्रहण किया है. छात्रों पर हत्या के प्रयास का मुक़दमा दर्ज होना राकेश भटनागर के कार्यकाल की पहली घटना है, जिसे छात्रों पर हमले के सीधे हमले के तौर पर देखा जा रहा है.
बीएचयू के शोधछात्र विष्णु मिश्रा कहते हैं, ‘इस घटना से यह साफ़ हो जाता है कि कुलपति या चीफ प्रॉक्टर का बदलना बस एक पुराने ढांचे पर मुखौटा बदलने जैसा है. छात्रों पर हत्या के प्रयास का मुक़दमा दर्ज कराने का मतलब साफ़ है कि बीएचयू में अभी भी आज़ाद आवाज़ों को दबाने के प्रयास जारी हैं.’
रोयना सिंह की नियुक्ति के बाद बीएचयू में यह चर्चा आम हो गई कि एक महिला प्राक्टर की नियुक्ति से चीज़ें अब सुधर सकती हैं. लेकिन रोयना सिंह, जो अब ख़ुद हत्या के प्रयास के एक मामले में नामज़द हैं, की नियुक्ति से बीएचयू के रवैये में कोई ख़ास बदलाव नहीं दिख रहा है.
मालूम हो कि इसी साल 11 अप्रैल को वाराणसी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जनार्दन प्रसाद यादव के आदेश के बाद रोयना सिंह और बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों समेत कुल मिलाकर 29 लोगों के ख़िलाफ़ मारपीट, आगजनी और हत्या के प्रयास का मुक़दमा दर्ज किया गया है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, लंका थाने के अधिकारियों द्वारा मुक़दमा दर्ज करने में की जा रही लापरवाही के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया था.
चीफ प्रॉक्टर रोयना सिंह के ख़िलाफ़ हत्या का प्रयास, लूट, बलवा, आपराधिक साजिश सहित 12 आरोपों में मुक़दमा दर्ज किया गया है. यह कार्रवाई नरिया निवासी आशीष कुमार सिंह के प्रार्थना पत्र पर की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, आशीष का आरोप है कि बीएचयू की चीफ प्रॉक्टर रोयाना सिंह, संपदा विभाग के लालबाबू पटेल, मुख्य आरक्षाधिकारी संसार सिंह, सुरक्षाकर्मी विनोद सिंह व सुनील सिंह और 24 अज्ञात सुरक्षाकर्मी सात और 20 मार्च को उनके घर पर आए. इस दौरान आशीष और उनके परिजनों की पिटाई कर गालीगलौज की गई. इसके अलावा उनकी लकड़ी की दुकान में आग लगा दी गई और फायरिंग कर हत्या का प्रयास किया गया.
आशीष के मुताबिक हर बार घटना की जानकारी लंका थाने और उच्चाधिकारियों को दी गई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)