‘आपराधिक छवि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर लगे आजीवन प्रतिबंध’

सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर अपना पक्ष रखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने आपराधिक छवि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध का समर्थन किया है.

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सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर अपना पक्ष रखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने आपराधिक छवि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध का समर्थन किया है.

Election Commission
निर्वाचन आयोग. (फाइल फोटो: पीटीआई)

निर्वाचन आयोग ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अपराधी नेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध का आयोग समर्थन करता है. एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांग था.

आयोग का यह भी कहना है कि अपराधियों को कार्यपालिका और न्यायपालिका में भी आने से रोक लगनी चाहिए. निर्वाचन आयोग ने नेताओं और नौकरशाहों के ख़िलाफ़ चल रहे आपराधिक मामलों की फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक साल के भीतर सुनवाई का समर्थन किया है.

एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार, आयोग ने चुनाव में डिक्रिमिनलाइजेशन के लिए कानून मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है लेकिन इन पर अभी भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. प्रस्ताव में चुनाव से 48 घंटे पहले प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों पर प्रतिबंद्ध लगाने, घूस लेने को संज्ञानीय अपराध बनाने और चुनाव ख़र्च के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव शामिल हैं.

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि आपराधिक मामले झेल रहे नेता और नौकरशाहों पर चुनाव लड़ने से रोक लगनी चाहिए. याचिका में यह भी मांग की गई है कि ऐसे लोगों के राजनीतिक दल का गठन करने और किसी पद संभालने पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए.

अश्विनी ने अपनी याचिका में विधायकों के लिए न्यूनतम शिक्षा और आयु सीमा तय करने की भी मांग की है. इसके अलावा मांग की है कि चुनाव आयोग, विधि आयोग और नेशनल कमीशन टू रिव्यू द वर्किंग ऑफ द कॉन्स्टीट्यूशन की ओर से सुझाए गए महत्वपूर्ण चुनाव सुधारों को लागू करवाने का निर्देश केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को दिया जाए.

राजस्थान पत्रिका की ख़बर के अनुसार, इस वर्ष पांच राज्यों में चुनकर आए 689 विधायकों में से 28 फीसदी लोगों पर आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं. उत्तर प्रदेश में 143 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. उत्तराखंड 22, पंजाब में 16, गोवा में 9 और मणिपुर में 2 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.