सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का चौथी तिमाही में घाटा बढ़ा

बैंकों का कहना है कि बढ़ते फंसे क़र्ज़ व उसके लिए ऊंचे प्रावधान के चलते वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में उनका घाटा बढ़ा.

People stand in queues at cash counters to deposit and withdraw money inside a bank in Chandigarh, India, November 10, 2016. Ajay Verma/ REUTERS
People stand in queues at cash counters to deposit and withdraw money inside a bank in Chandigarh, India, November 10, 2016. Ajay Verma/ REUTERS

बैंकों का कहना है कि बढ़ते फंसे क़र्ज़ व उसके लिए ऊंचे प्रावधान के चलते वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में उनका घाटा बढ़ा.

People stand in queues at cash counters to deposit and withdraw money inside a bank in Chandigarh, India, November 10, 2016. Ajay Verma/ REUTERS
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: चौथी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र कुछ बैंकों के नतीजे सामने आए हैं, जो इन बैंकों की ख़राब हालत की ओर इशारा करता है. चौथी तिमाही में इन बैंकों को अच्छा-खासा नुकसान हुआ है.

इलाहाबाद बैंक को वित्त वर्ष 2017-18 की 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में एकल आधार पर 3,509.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, वहीं यूको बैंक का घाटा बढ़कर 2,134.36 करोड़ रुपये हो गया.

इसके अलावा चौथी तिमाही में केनरा बैंक को 4,860 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ तो देना बैंक को इसी अवधि में 1,225.42 करोड़ रुपये घाटा हुआ.

इलाहाबाद बैंक को हुआ 3,509 करोड़ रुपये का नुकसान

सार्वजनिक क्षेत्र के इलाहाबाद बैंक को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के प्रावधान में तीन गुना इज़ाफ़ा करने से 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में एकल आधार पर 3,509.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

वित्त वर्ष 2016-17 की समान तिमाही में उसे 111.16 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था.

इससे पहले दिसंबर तिमाही में भी बैंक को 1,263.79 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. आलोच्य तिमाही के दौरान बैंक की आय 5,105.07 करोड़ रुपये से कम होकर 4,259.88 करोड़ रुपये रह गई है.

पूरे वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बैंक को 4,674.37 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि आय गिरकर 19,051.05 करोड़ रुपये पर आ गई है.

इस दौरान समग्र एनपीए 13.09 प्रतिशत से बढ़कर 15.96 प्रतिशत पर पहुंच गया है. हालांकि शुद्ध एनपीए में कमी आयी है और 8.92 प्रतिशत से कम होकर 8.04 प्रतिशत पर आ गया है.

यूको बैंक को 2,134 करोड़ रुपये का घाटा

सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक का शुद्ध घाटा 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में चार गुना बढ़कर 2,134.36 करोड़ रुपये हो गया.

वित्त वर्ष 2016-17 की समान तिमाही में उसे 588.19 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में भी उसे 116.43 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.

बैंक ने कहा कि आलोच्य तिमाही के दौरान उसकी आय 3,906.74 करोड़ रुपये से गिरकर 3,424.65 करोड़ रुपये पर आ गई.

पूरे वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बैंक का घाटा 1,850.67 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,436.37 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.

इस दौरान आय 18,440.29 करोड़ रुपये से कम होकर 15,141.13 करोड़ रुपये पर आ गयी.

बैंक ने कहा कि निदेशक मंडल ने कोई लाभांश नहीं देने की सिफ़ारिश की है. आलोच्य तिमाही के दौरान बैंक की समग्र गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) 17.12 प्रतिशत से बढ़कर 24.64 प्रतिशत हो गई. शुद्ध एनपीए भी 8.94 प्रतिशत से बढ़कर 13.10 प्रतिशत पर पहुंच गया.

केनरा बैंक को चौथी तिमाही में 4,860 करोड़ रुपये का घाटा

सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक को फंसे क़र्ज़ के लिए अधिक प्रावधान के चलते वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में 4,859.77 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

वित्त वर्ष 2016-17 की समान तिमाही में उसे 214.18 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था.

बैंक ने शेयर बाज़ार को बताया कि आलोच्य तिमाही में उसने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के मद में प्रावधान क़रीब 200 प्रतिशत बढ़ाकर 2,924.08 करोड़ रुपये की तुलना में 8,762.57 करोड़ रुपये कर दिया है.

पूरे वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बैंक को 4,222.24 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ जबकि 2016-17 के दौरान उसे 1,121.92 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था.

आलोच्य तिमाही के दौरान बैंक की कुल आय 12,899.20 करोड़ रुपये से कम होकर 11,555.11 करोड़ रुपये रह गई.

पूरे वित्त वर्ष के दौरान कुल आय 48,942.04 करोड़ रुपये से कम होकर 48,194.94 करोड़ रुपये पर आ गई.

आलोच्य तिमाही के दौरान बैंक का समग्र एनपीए 9.63 प्रतिशत से बढ़कर 11.84 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 6.33 प्रतिशत से बढ़कर 7.48 प्रतिशत पर पहुंच गया.

देना बैंक का शुद्ध घाटा बढ़कर 1225 करोड़ रुपये

सार्वजनिक क्षेत्र के देना बैंक का शुद्ध घाटा मार्च तिमाही में बढ़कर 1,225.42 करोड़ रुपये हो गया. बैंक का कहना है कि बढ़ते फंसे कर्ज व उसके लिए ऊंचे प्रावधान के चलते आलोच्य तिमाही में उसका घाटा बढ़ा.

बैंक ने कहा है कि जनवरी-मार्च 2016-17 की तिमाही में उसका शुद्ध घाटा 575.26 करोड़ रुपये रहा था.

इसी तरह बढती गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के बीच बैंक ने सालाना आधार पर भी, लगातार तीसरे साल शुद्ध घाटे की सूचना दी है.

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बैंक का शुद्ध घाटा 1,923.15 करोड़ रुपये रहा. बैंक को 2016-17 में 863.63 करोड़ रुपये, 2015-16 में 935.32 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था.

इससे पहले 2014-15 में बैंक को 265.48 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था.

चौथी तिमाही में बैंक की कुल आय घटकर 2,390.68 करोड़ रुपये रही जबकि उसकी ब्याज आय घटकर 2,067.38 करोड़ रुपये रह गई है. समूचे वित्त वर्ष में बैंक की आय 10,095.75 करोड़ रुपये रह गई जो कि 2016-17 में 11,433.07 करोड़ रुपये रही थी.

ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का शुद्ध घाटा 1,650 करोड़ रुपये

सार्वजनिक क्षेत्र के ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) शुद्ध घाटा मार्च में समाप्त चौथी तिमाही में 1,650.22 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की इसी तिमाही में यह आंकड़ा 1,218.01 करोड़ रुपये था.

शेयर बाज़ार को दी जानकारी में बैंक ने बताया कि समीक्षावधि में उसकी कुल आय 4,689.12 करोड़ रुपये रही. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 5,093.84 करोड़ रुपये थी.

बैंक की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) समीक्षावधि में उसके सकल ऋण का 17.63% रही जो इससे पिछले साल इसी अवधि में 13.73% थी. जबकि बैंक का शुद्ध एनपीए इस दौरान उसके शुद्ध ऋण का 10.48% रहा है जो 2016-17 की इसी अवधि में 8.96% था.

पूरे वित्त वर्ष 2017-18 में बैंक का शुद्ध घाटा 5,871.74 करोड़ रुपये रहा. इस दौरान उसकी कुल आय 20,181.25 करोड़ रुपये रही. वित्त वर्ष 2016-17 में यह आंकड़े क्रमश: 1,094.07 करोड़ रुपये और 21,187.85 करोड़ रुपये थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)