मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को 22 मार्च 2018 को लिखे अपने पत्र में केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने विभाग में प्रमोशन के लिए उत्तरदायी डीपीसी की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं.
नई दिल्ली: केंद्रीय पेय जल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा एक पत्र लीक हो गया है. यह पत्र उनके द्वारा बीते मार्च माह में लिखा गया था.
इस पत्र में उमा भारती द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के अपने एक चहेते अधिकारी को आईएएस प्रमोट करने की सिफारिश की गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को संबोधित इस पत्र में उन्होंने कहा है, ‘मौसम ख़राब होने की वजह से आप (मुख्यमंत्री) से फोन पर बात नहीं हो पा रही है इसलिए पत्र लिख रही हूं और इसकी एक प्रति डीओपीटी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह को भी भेज रही हूं.’
उपलब्ध पत्र में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने जिन अधिकारी के नाम की सिफारिश की है उनका नाम विनय निगम है.
उमा भारती ने 22 मार्च 2018 को लिखे अपने पत्र में विभाग में प्रमोशन के लिए उत्तरदायी डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं.
पत्र में उमा भारती ने लिखा है कि चूंकि पिछले 20 सालों से विनय निगम उनके साथ जुड़े रहे, बस इसी की सजा उन्हें मिल रही है और वे अधिकारी जिन्हें उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में दंडित किया था, वे अब विनय निगम के प्रमोशन में रुकावट डालकर, निगम की आड़ में मुझसे बदला ले रहे हैं.
दो पृष्ठों के इस पत्र में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री लिखती हैं कि वे उत्तराखंड के हरषिल में हैं और अपना मौन तोड़कर यह पत्र लिख रही हैं.
उक्त पत्र में भारती ने विनय निगम के बारे में लिखा है, ‘विनय निगम मेरे साथ पिछले 20 साल से काम कर रहे हैं. वो मध्य प्रदेश राज्य सेवा के 1994 बैच के डिप्टी कलेक्टर हैं. मैं 1999 में भोपाल से सांसद बनी तो राज्य की भाजपा के अनुरोध पर हमारी विचारधारा का एवं स्वच्छ छवि का युवा अधिकारी होने के कारण मैंने उनको अपना एडिशनल पीएस बनाया. तब मैं अटल सरकार में मंत्री थी. तभी से विनय निगम मध्य प्रदेश के सभी कार्यकर्ताओं का ध्यान रखते हुए मेरे अनन्य सहयोगी बने रहे.’
पत्र में उन्होंने भाजपा से साल 2005 में अपने निकाले जाने का भी जिक्र किया है और कहा है कि उस विपत्तिकाल में भी निगम उनके साथ खड़े रहे.
वे दावा करती हैं कि निगम के खिलाफ लोकायुक्त में हुई शिकायत जिसके आधार पर उनके प्रमोशन के रास्ते में रुकावट आई थी, वह झूठी थी. निगम के खिलाफ वो शिकायत इसलिए कराई गई क्योंकि वे मेरे साथ खड़े थे.
साथ ही, उमा भारती ने लिखा है कि उनके केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद विनय उनके साथ काम कर रहे थे जिसके बाद उन्होंने ही शिवराज सिंह चौहान से बात करके उन्हें मध्य प्रदेश भिजवाया ताकि उन्हें आईएएस बना दिया जाए.
वे आगे लिखती हैं, ‘जो डीपीसी हुई उसमें विनय निगम के समकालीन लोगों के जो नाम डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) में भारत सरकार को भेजे गए उनमें विनय निगम का नाम नहीं है. इसके पीछे जो तर्क दिए गए हैं उस हिसाब से कई अधिकारियों का पक्ष विनय निगम से ज्यादा कमजोर है.’
उमा भारती ने शिवराज को लिखा है, ‘मुझे विनय निगम के प्रति आपके दृष्टिकोण में कोई त्रुटि नजर नहीं आती है. आपने विनय निगम के मामले में मेरे बीजेपी में लौटकर आने के बाद अपना दृष्टिकोण स्वस्थ रखा, लेकिन मध्यप्रदेश शासन की डीपीसी प्रक्रिया में संलग्न कई अधिकारी हैं जिन्होंने मुझसे बदला लेने का यह अच्छा अवसर माना और मनगढंत तर्क देकर विनय निगम का नाम दिल्ली नहीं भेजा’
पत्रिका से बातचीत में विनय निगम के प्रमोशन के मसले पर कार्मिक विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने कहा, ‘विनय निगम ने तय समय में विभागीय परीक्षा पास नहीं की. इसलिए वरिष्ठता प्रभावित हुई है. उमा भारती के मुख्यमंत्री बनने से पहले उनकी वरिष्ठता निर्धारित हुई थी. 2017 के आईएएस अवॉर्ड के विचार के क्षेत्र में भी उनका नाम नहीं था. रिव्यू डीपीसी का सवाल ही नहीं उठता.’
पत्रिका के अनुसार, डीपीसी में 17 पदों के लिए 51 नामों पर विचार हुआ. विनय निगम का नाम 58वें नंबर पर था. उमा की चिट्ठी के बाद मुख्यमंत्री बीपी सिंह ने विनय की फाइल अंतिम निर्णय के लिए मुख्यमंत्री को भेजी है.
गौरतलब है कि जॉइनिंग के तीन साल के अंदर विभागीय परीक्षा पास नहीं करने से विनय निगम वरिष्ठता में पिछड़ गए.