एनसीआईआरटी की किताब में पढ़ाया जाएगा हिंदुत्व और 2014 के चुनावों में भाजपा की जीत का पाठ

एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की नई किताब में भाजपा को मुस्लिम महिलाओं के हितों का पक्षधर बताया गया है.

(फोटो साभार: schools.olympiadsuccess.com)

एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की नई किताब में भाजपा को मुस्लिम महिलाओं के हितों का पक्षधर बताया गया है.

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राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की 12वीं कक्षा की नई किताब में 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की जीत को ‘ऐतिहासिक’ बताया गया है.

इसके अलावा इसमें बताया गया है कि भाजपा मुस्लिम महिलाओं के हितों की पक्षधर है. इस किताब के अनुसार, भाजपा मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी के लिए 1989 के शाह बानो मामले में मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़ी थी.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस’ (आज़ादी के बाद भारत में राजनीति) नाम की इस किताब में 2002 के मुस्लिम विरोधी गुजरात दंगों से ‘मुस्लिम विरोधी’ शब्द हटाकर सिर्फ ‘2002 गुजरात दंगा’ नाम दिया गया है.

हालांकि इस अध्याय में इन दंगों से निपटने में गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार की भूमिका की आलोचना की गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में जानकारी के लिए एनसीईआरटी के निदेशक एचके सेनापति से संपर्क किया गया था लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो सका.

इसके इतर एक अधिकारी ने इन परिवर्तनों की पुष्टि करते हुए एनसीईआरटी की किताबों की 11 साल बाद समीक्षा की बात कही है. उनके मुताबिक इस प्रक्रिया में विभिन्न विषय विशेषज्ञों से राय-मशविरा करके कुछ समसामयिक परिवर्तन किए गए हैं.

बहरहाल ‘सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र’ नाम के एक अध्याय में हिंदुत्व की विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए हिंदुत्व का शाब्दिक अर्थ हिंदू होना बताया गया है, जिसे इसके जनक विनायक दामोदर सावरकर ने भारतीय राष्ट्रवाद की बुनियाद कहा है. इसका मूल अर्थ है कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति को भारत को अपने पिता की भूमि के तौर पर स्वीकार करने के अलावा अपनी पवित्र भूमि भी मानना होगा.

इस अध्याय में यह भी बताया गया है कि साल 1986 के बाद कैसे भाजपा ने हिंदू राष्ट्रवाद को अपनी विचारधारा में शामिल करने ज़ोर देना शुरू किया?

किताब में 1986 के बाद भाजपा ने अपनी विचारधारा में हिंदू राष्ट्रवादी तत्व पर जोर देने का भी ज़िक्र किया गया है. इसमें हिंदुत्व को मानने वालों का तर्क दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि एक मज़बूत राष्ट्र केवल मजबूत और एकजुट राष्ट्रीय संस्कृति के आधार पर बनाया जा सकता है.