सेना के गोला-बारूद डिपो के नज़दीक प्रतिबंधित क्षेत्र में कोर्ट के आदेश के बावजूद निर्माण करवाने के मामले में सेना द्वारा भाजपा नेता और विधानसभा स्पीकर निर्मल सिंह की पत्नी ममता सिंह सहित कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही की मांग की गई है.
सेना के नगरोटा आयुध भंडार के पास निर्माण को लेकर हुए विवाद में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने 7 मई को उसके द्वारा दिए गए आदेश के अनुपालन पर वरिष्ठ राजस्व और पुलिस अधिकारियों को 30 मई तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया है.
कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय सेना की ओर से विधानसभा स्पीकर और पूर्व उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह की पत्नी और भाजपा नेता ममता सिंह के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला दायर किया गया है.
मालूम हो कि निर्मल सिंह समेत कुछ बड़े भाजपा नेताओं ने साल 2000 में हिमगिरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड नामक कंपनी का गठन किया था. इस कंपनी के जरिये नगरोटा में सेना के गोला-बारूद डिपो के पास एक ज़मीन खरीदी गयी, जिस पर हो रहे मकान के निर्माण पर बीते दिनों सेना ने आपत्ति जताई थी.
इस कंपनी में निर्मल सिंह के अलावा ममता सिंह, मौजूदा उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता और भाजपा सांसद जुगल किशोर भी शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार 7 मई के आदेश में हाईकोर्ट ने प्रशासन को साल 2015 में जम्मू के डीसीपी द्वारा आयुध भंडार के पास किसी भी तरह के निर्माण को प्रतिबंधित करने के आदेश के अमल को सुनिश्चित करने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट के इस आदेश की अवहेलना के लिए सेना की तरफ से निर्मल सिंह की पत्नी ममता सिंह सहित रेवेन्यू कमिश्नर शहीद अनायत उल्लाह, जम्मू के डिवीज़नल कमिश्नर हेमंत शर्मा, जम्मू के डिप्टी कमिश्नर कुमार राजीव रंजन, एसएसपी विवेक गुप्ता और नगरोटा पुलिस स्टेशन के थानाध्यक्ष के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने की मांग की गयी है.
मालूम हो कि नगरोटा आयुध भंडार के करीब इस जमीन पर निर्मल सिंह द्वारा मकान का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसके बारे में सेना के 16 कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सरनजीत सिंह ने 19 मार्च को पत्र लिखकर एतराज़ जताया था.
इस पत्र में लेफ्टिनेंट ने कहा था कि निर्मल सिंह द्वारा अवैध रूप से निर्माण किया जा रहा है, जिससे आयुध भंडार सहित उस मकान में रहने वालों की सुरक्षा को भी खतरा है.
सेना ने वर्क्स ऑफ डिफेन्स एक्ट 1903 और 26 सितंबर 2002 को भारत सरकार की ओर से जारी एक आदेश का जिक्र भी किया था जिसके अनुसार किसी भी गोला-बारूद डिपो के 1,000 गज में किसी भी निर्माण को अवैध बताया गया है.
निर्मल सिंह का निर्माणाधीन मकान डिपो के 580 गज के दायरे में पड़ता है. सेना की ओर से यह पत्र निर्मल सिंह को तब लिखा गया जब प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा यह निर्माण रुकवाया नहीं जा सका. इसके बावजूद निर्माण जारी रहने पर सेना ने रक्षा मंत्रालय को मामला बताया और हाईकोर्ट पहुंची.
इस मामले के उठने के बाद निर्मल सिंह ने इसे ‘राजनीतिक से प्रेरित’ बताया. उनका कहना था कि डिपो के बगल में एक गांव भी तो है. सेना ने वहां दीवार बना दी है. यह मेरी प्रॉपर्टी है और इस पर मेरा अधिकार है कि कैसे इस्तेमाल करूं.
निर्मल सिंह ने यह भी कहा था कि सेना स्थानीय लोगों को परेशान कर रही है. सिंह के इस बयान पर भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी लेकिन इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में भाजपा प्रवक्ता सुनील सेठी ने स्वीकार किया, ‘इसमें हमारी और पार्टी की छवि ख़राब हो सकती है.’
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या मामले को सुलझाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह को अपनी ‘गलती सुधारने’ के लिए कहेंगे, तो सेठी ने जवाब दिया, ‘सामान्य तौर पर पार्टी को निजी मसलों से कोई मतलब नहीं होता. यह मुद्दा भी डॉ. निर्मल सिंह से जुड़ा है और उन्हें ही इसे हल करना चाहिए… पार्टी इस मामले को गंभीरता से ले रही है. वरिष्ठ नेतृत्व को इस बारे में उचित रूप से बताया जाएगा.’
इस बीच इस जमीन को लेकर एक अन्य विवाद भी सामने आया है. भाजपा नेताओं की इस कंपनी पर जम्मू कश्मीर बैंक के 29.31 करोड़ रुपये ऋण के रूप में बकाया हैं और पिछले वर्ष दिसंबर में कंपनी के खाते को खाता बैंक द्वारा एनपीए घोषित किया जा चुका है.