दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेता और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराए जाने के चुनाव आयोग के फ़ैसले को रद्द कर दिया है.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पेड न्यूज के आरोपों में मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य ठहराने के चुनाव आयोग के निर्णय को शुक्रवार को खारिज कर दिया.
मिश्रा मध्य प्रदेश के दतिया से विधायक हैं और मध्य प्रदेश सरकार में जल संसाधन, संसदीय कार्य एवं जनसंपर्क मंत्री हैं.
जस्टिस एस. रवीन्द्र भट्ट और जस्टिस सुनील गौर की पीठ ने मिश्रा की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि उन्होंने अपने पक्ष में खबरें देने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अथवा किसी के जरिए व्यय किया.
चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती की शिकायत पर 23 जून 2017 को अपना फैसला सुनाया था और तीन साल के लिए मिश्रा को अयोग्य करार दिया था.
जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 10 (ए) के तहत वे तीन साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराए गए थे. तो वहीं, धारा 7 (बी) के तहत उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गई थी. जिससे वे विधानसभा के सदस्य भी नहीं रह सकते थे.
गौरतलब है कि राजेंद्र भारती ने 2008 में डबरा विधानसभा सीट से मिश्रा के खिलाफ चुनाव लड़ा था.
निर्वाचन आयोग ने 2008 के विधानसभा चुनाव में चुनावी ख़र्च के बारे में गलत जानकारी देने का उन्हें दोषी ठहराया था. फैसले के खिलाफ मिश्रा सुप्रीम कोर्ट चले गए थे, जहां से उन्हें स्टे मिल गया था.
दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक, मिश्रा ने आयोग के फैसले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में चुनौती दी थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हुई. जिसके बाद मामला जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा. हाईकोर्ट ने इसे सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट भेज दिया.
मिश्रा की दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई याचिका ख़ारिज हो गई. उन्होंने डबल बेंच में याचिका लगाई, लेकिन उसके भी ख़ारिज होने के बाद मिश्रा फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. जिसके बाद कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट को आदेश दिया.
पत्रिका की ख़बर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि अदालत 15 दिनों में मामला निपटा ले. 15 दिन बीतने पर भी मिश्रा के वकील अदालत नहीं पहुंचे जिसके बाद तारीखें बढ़ती गईं.
गौरतलब है कि मिश्रा के खिलाफ राजेंद्र भारती ने 2009 में चुनाव आयोग पहुंचे थे. आयोग में याचिका लगाकर उन्होंने मिश्रा पर 2008 के विधानसभा चुनाव के खर्च का सही ब्योरा न देने का आरोप लगाया था.
भारती ने तर्क दिया था कि मिश्रा ने कई मदों में किए खर्च नहीं दिखाए, जिनमें ‘पेड न्यूज’ भी शामिल है. याचिका में उन्होंने 42 खबरों की प्रतियां भी लगाई थीं, जिन्हें पेड न्यूज की श्रेणी में होना बताया था.
दैनिक भास्कर के मुताबिक, आयोग ने पाया था कि चुनाव खर्च की सीमा 10 लाख रुपये थी, लेकिन मिश्रा ने 13,50,780 रुपये ख़र्च किए.
इसी मामले के चलते मिश्रा पिछले वर्ष जुलाई में हुए राष्ट्रपति चुनाव में वोट भी नहीं डाल पाए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)