उच्चतम न्यायालय में कांग्रेस-जेडीएस ने प्रोटेम स्पीकर के तौर पर भाजपा नेता केजी बोपैया की नियुक्ति को चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सीधे प्रसारण को विधानसभा कार्रवाई की निष्पक्षता के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना.
नई दिल्ली: कर्नाटक में शनिवार को होने वाले महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण से पहले भाजपा के केजी बोपैया को विधानसभा का अस्थाई अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) नियुक्त किए जाने के प्रदेश के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले को कांग्रेस और जनता दल(एस) गठबंधन ने शुक्रवार रात उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. जिस पर शनिवार सुबह साढ़े दस बजे से शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.
Supreme Court rejects Congress-JD(S) plea challenging appointment of pro tem speaker KG Bopaiah, he will continue to be pro-tem speaker. #Karnataka pic.twitter.com/eMhgYgC0m9
— ANI (@ANI) May 19, 2018
कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने अदालत में अपनी बात रखी.
सुप्रीम कोर्ट ने शक्ति परीक्षण की पारदर्शिता के लिए इसके सीधे प्रसारण का आदेश दिया. न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे एवं न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा, ‘प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शक्ति परीक्षण का सीधा प्रसारण सबसे बेहतर संभावित तरीका होगा.’
पीठ ने कहा कि विधानसभा के सचिव सदन की कार्यवाही को रिकॉर्ड करेंगे. कई स्थानीय चैनल प्रक्रिया की लाइव फीड उपलब्ध कराएंगे ताकि वे इसे समान रूप से प्रसारित करने की स्थिति में हों.
पीठ ने कर्नाटक के राज्यपाल की ओर से पेश हुए वकील के उस सुझाव को उचित माना जिसमें शक्ति परीक्षण के सीधे प्रसारण की बात कही गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शक्ति परीक्षण का लाइव ब्रॉडकास्ट पूरी कार्रवाई की निष्पक्षता को सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका होगा.
Hearing on Congress-JD(S) plea challenging appointment of pro tem speaker KG Bopaiah: Supreme Court says 'Live broadcast of floor test would be the best way to ensure transparency of proceedings.' pic.twitter.com/kdS7NXGXrA
— ANI (@ANI) May 19, 2018
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ‘कानून राज्यपाल को किसी विशेष व्यक्ति को अस्थायी अध्यक्ष बनाने का सीधा निर्देश नहीं दे सकता है.’
Hearing on Congress-JD(S) plea challenging appointment of pro tem speaker KG Bopaiah: SC says 'Law can't direct the Governor to appoint a particular person as Pro-tem Speaker. Unless convention becomes legal norm, it can't be enforced by Court'
— ANI (@ANI) May 19, 2018
अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था, ‘बोपैया की नियुक्ति करके लंबे समय से चली आ रही परंपरा को तोड़ा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट भी दो फैसलों में इसके संबंध में पुष्टि कर चुका है.’
उन्होंने कहा कि विधानसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने के मामले में राज्यपाल के पास बेहद सीमित विवेकाधिकार होता है और अगर अस्थायी अध्यक्ष को सिर्फ विधायकों को शपथ दिलानी होती तो हमें कोई आपत्ति नहीं होती, समस्या यह है कि वही शक्ति परीक्षण का संचालन करेंगे.
वरिष्ठ वकील ने कहा कि राष्ट्रमंडल देशों में अस्थायी अध्यक्ष के तौर पर सबसे वरिष्ठ सांसद की नियुक्ति की परंपरा रही है.
Hearing on Congress-JD(S) plea challenging appointment of pro tem speaker KG Bopaiah: Kapil Sibal says, 'Long standing convention has been broken after the appointment of Bopaiah', adds 'Even SC has ratified this practice in two judgments'.
— ANI (@ANI) May 19, 2018
जिस पर जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, ‘ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहां सबसे वरिष्ठ विधायक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया. ‘ जिसके जबाव में कपिल सिब्बल ने कहा कि केजी बोपैया का इतिहास दागदार रहा है.
पीठ ने कहा, ‘अगर आप अस्थायी अध्यक्ष पर उंगली उठा रहे हैं तो हमें उन्हें नोटिस जारी करना होगा और शक्ति परीक्षण रद्द करना होगा.’
Plea challenging appointment of pro tem speaker: Justice SA Bobde says 'There've been instances where senior most MLA wasn't appointed as Pro tem speaker. Kapil Sibal replies 'KG Bopaiah has different history. His decision of disqualification was set aside by this Court earlier.'
— ANI (@ANI) May 19, 2018
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शुक्रवार देर रात इस मामले को जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया था, जो कर्नाटक मामले में सुनवाई कर रही है.
पीठ ने सुबह साढ़े दस बजे से सुनवाई शुरू की. जबकि शाम चार बजे कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण होना है.
पीठ में जस्टिस एसके बोबडे और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल हैं.
सूत्रों के अनुसार, गठबंधन की तरफ से अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा दायर याचिका शुक्रवार शाम शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार के समक्ष दायर की गई, लेकिन याचिका में कुछ खामियां बताई गईं जिसे बाद में ठीक कर लिया गया.
नई याचिका देर रात में दायर की गई और शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार इस पर विचार संबंधी निर्देश के लिए इसे लेकर चीफ जस्टिस के आवास पर पहुंचे.
आवेदन में गठबंधन ने भाजपा विधायक बोपैया को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि यह परंपरा के विपरीत है क्योंकि परंपरा के अनुसार इस पद पर आम तौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त किया जाता है.
आवेदन में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा एक कनिष्ठ विधायक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करना असंवैधानिक कदम है. आवदेन में यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल निर्देश की मांग की गई कि शक्ति परीक्षण स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)