जम्मू कश्मीर में पिछले 15 वर्षों के दौरान तकरीबन तीन लाख 70 हजार हथियारों के लाइसेंस बांटे गए. जनसंख्या घनत्व के लिहाज़ से ये आंकड़ा देश में सबसे ज़्यादा है.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि जम्मू कश्मीर में पिछले 15 सालों के दौरान 3,69,191 हथियारों के लाइसेंस बांटे गए हैं. राज्य की 1.25 करोड़ की जनसंख्या के लिहाज़ से ये आंकड़ा बताता है कि यहां हर 33वें शख़्स के पास लाइसेंसी हथियार है. यानी यहां की पूरी जनसंख्या के 2.94 प्रतिशत लोगों के पास हथियार है.
उत्तर प्रदेश भले ही इस मामले में आगे हो लेकिन 2.94 प्रतिशत का आंकड़ा जम्मू कश्मीर को जनसंख्या घनत्व के हिसाब से जम्मू कश्मीर को इस श्रेणी में सबसे आगे कर देता है.
पिछले 15 सालों में जम्मू कश्मीर में तैनात डिप्टी कमिश्नरों ने ये लाइसेंस जारी किए. ग़ौर करने वाली बात ये हैं कि 65 से 70 प्रतिशत लाइसेंस सेना में कार्यरत कर्मचारियों के अलावा सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के रिटायर लोगों को जारी हुए हैं.
कश्मीर लाइफ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह रिपोर्ट जारी होने के बाद राज्य गृह विभाग के प्रमुख और डिप्टी कमिश्नर रह चुके राजकुमार गोयल ने इस मामले को लेकर किसी भी तरह की जांच से इनकार कर दिया है.
जबकि गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि राज्य में ये लाइसेंस डिप्टी कमिश्नर (डीसी) की ओर से ही जारी किए गए हैं, जिनमें से कुछ अब रिटायर हो चुके हैं और कुछ राज्य के दूसरे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं. साथ ही कुछ केंद्रीय प्रति नियुक्ति पर हैं जबकि कुछ अन्य केंद्रीय प्रति नियुक्ति पाने की कोशिश कर रहे हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज़्यादा हथियार लाइसेंस उत्तर प्रदेश में बांटे गए हैं. 19 करोड़ से ज़्यादा की आबादी वाले इस प्रदेश में 0.63 लोगों को हथियार लाइसेंस जारी किए गए. वहीं जम्मू कश्मीर में यह आंकड़ा आबादी के लिहाज़ से 2.94 प्रतिशत है.
बिहार और महाराष्ट्र में भारत की 26 प्रतिशत आबादी रहती है. यहां प्रति राज्य एक लाख से कम हथियार जारी किए हैं.
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर, उधमपुर, किश्तवाड़ के साथ रेअसी, राजौरी और पुंछ ज़िलों में सबसे ज़्यादा हथियार लाइसेंस बांटे गए हैं. रामबन भी इस मामले में पीछे नहीं रहा 2009 से 2014 के बीच यहां दो लाख हथियार लाइसेंस बांटे गए. यह वह समय था जब यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार थी.
शोपियां में 7084 हथियार लाइसेंस जारी किए गए. इतना ही नहीं ऐसे जवानों को भी राज्य के अलग-अलग ज़िलों से लाइसेंस जारी किए गए जो जम्मू कश्मीर में नहीं असम और मणिपुर में कार्यरत हैं.
यहां यह भी बताना ज़रूरी है कि 11 नवंबर, 2013 को डोडा जिले में फ़र्ज़ी हथियार लाइसेंस रैकेट का खुलासा हुआ था, जिसमें क्राइम ब्रांच ने जिलास्तरीय अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया था.
कश्मीर लाइफ की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार अक्सर इस बात पर सहमति जताती है है कि ज़्यादातर हथियार लाइसेंस सुरक्षा बलों में कार्यरत लोगों को जारी किए गए लेकिन उनकी पोस्टिंग का ब्योरा जानने के लिए जांच का आदेश कभी नहीं दिया गया.
एक अधिकारी बताते हैं, ‘वे कभी भी जांच का आदेश नहीं देंगे क्योंकि जो भी राज्य गृह विभाग का नेतृत्व करते हैं वे कभी न कभी डिप्टी कमिश्नर के रूप में काम कर चुके हैं. या फिर उनके करीबी, दोस्त या सहयोगी रह चुके हैं.’
2010 में दिल्ली पुलिस ने एक हथियार रैकेट के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसका सरगना आयुध डिपो में कार्यरत एक सरकारी कर्मचारी था, जो फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर जम्मू कश्मीर से लाइसेंस ले रहा था. 2011 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने राज्य के सीमावर्ती इलाकों में फ़र्ज़ी बंदूक लाइसेंस रैकेट का पर्दाफाश किया, जिसके बाद 209 हथियारों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की थी.
ये स्थिति तब है जब सीबीआई पहले ही कह चुकी है कि आपराधिक छवि वाले लोगों को बिना जांच पड़ताल के हथियार लाइसेंस जारी करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है. सीबीआई गृह मंत्रालय को भी बता चुकी है कि संदिग्ध छवि वाले 1,009 लोगों को हथियार लाइसेंस जारी किए गए हैं.
इनमें से 400 मध्य प्रदेश के कथित अपराधियों को जारी हुए. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 400, दिल्ली में 70, राजस्थान में 50, हरियाणा में 30 और बिहार में 20 लाइसेंस जारी किए गए हैं.
यह मामला और भी गंभीर तब हो जाता है जब जम्मू कश्मीर सरकार यह स्वीकार कर चुकी है कि साल 2009 से राज्य में तीन लाख से ज्यादा हथियार लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं.
कुछ साल पहले, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पाया कि कुछ माफिया डॉन से ज़ब्त हथियार लाइसेंस जम्मू-कश्मीर से जारी हुए थे. पुलिस ने अश्विनी नाइक और मनु शर्मा के पास बंदूकें पाई जिन्हें जेसिका लाल हत्याकांड में दोषी पाया गया था. इन मामलों की जांच साल 2002 में सीबीआई के हवाले कर दी गई थी.
इसके अलावा दिल्ली के नज़फगढ़ से आपराधिक प्रवृत्ति वाले कृष्ण कुमार के पास भी ऐसे ही हथियार मिले जिसके लाइसेंस जम्मू कश्मीर से जारी हुए थे.