वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों का कर्ज़ माफ़ करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा धन देने की बात से इनकार किया है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार के वक़्त भाजपा ने सरकार गठन के बाद किसानों का कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी सभाओं में किसानों का कर्ज़ माफ़ करने की बात कही थी, यहां तक कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भी कहा था कि केंद्र सरकार किसानों की कर्ज़ माफ़ करने के लिए धन देगी. यह वादा पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में भी था.
पर एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों का कर्ज़ माफ़ करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा धन देने की बात से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘केंद्र राज्य के किसानों का कर्ज़ माफ़ नहीं कर सकता, क्योंकि इससे दूसरे राज्यों के किसानों के साथ भेदभाव होगा. केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती कि एक राज्य के किसानों को कर्ज़ माफी दे और दूसरे को नहीं. राज्य सरकार को खुद पैसे का इंतज़ाम करना होगा जिससे किसानों का कर्ज़ माफ़ हो सके.’
वित्त मंत्री ने राज्यसभा में कहा, ‘यह मुद्दा कई राज्यों में उठ रहा है. खेती के लिए केंद्र सरकार की अपनी नीतियां है. हम ब्याज में सब्सिडी और दूसरी तरह की मदद देते हैं. ये योजनाएं अभी जारी रहेंगी. अगर किसी राज्य सरकार के पास पैसे हैं और वह कर्ज़ माफ करना चाहती है तो ऐसा कर सकती है.’
गौरतलब है कि कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने जेटली के बयान से उलट बात कही थी. राधामोहन ने कहा था कि किसानों की कर्ज़ माफ़ी के लिए केंद्र पैसा देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यह फैसला लिया जायेगा. हालांकि विपक्ष ने तब इस बात पर सवाल भी उठाया था कि केंद्र सरकार किसी एक राज्य के लिए ऐसा कैसे कर सकती है.
रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने भी किसानों का कर्ज़ माफ़ करने की आलोचना की है. एक कार्यक्रम में बोलते हुए मूंदड़ा ने कहा कि कर्ज़ माफ़ करने से लेन-देन का अनुशासन बिगड़ जाता है. हालांकि उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया है कि रिज़र्व बैंक को केंद्र सरकार से इस बारे में किसी तरह के आदेश नहीं मिले हैं.
कुछ दिन पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसानों के कर्ज़ माफ़ करने पर एतराज़ जताते हुए कहा था कि चुनाव के वक्त किसानों का कर्ज़ माफ करना सही नहीं है. अगर ऐसा होता है तो हर बार कर्ज़ माफ़ी की उम्मीद रखी जाएगी. किसानों की मदद की जानी चाहिए. यह महत्वपूर्ण है लेकिन यह काम इस तरह होना चाहिए कि किसानों के बीच ऋण अनुशासन बना रहे.