हिमाचल प्रदेश की राजधानी में जल संकट के चलते लोगों ने मुख्यमंत्री आवास का भी घेराव किया. शिमलावासी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. मामले में अदालत ने हस्तक्षेप करके दिशानिर्देश जारी किए हैं.
शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने पानी के संकट से जूझ रही प्रदेश की राजधानी में निर्माण गतिविधियों और कार की धुलाई पर एक सप्ताह के लिए मंगलवार को प्रतिबंध लगा दिया. वहीं, फेसबुक संदेश में पर्यटकों से यहां नहीं आने की अपील की गई है.
अदालत ने शहर में जल संकट मामले में सोमवार को हस्तक्षेप करने का फैसला किया था और मंगलवार को कठोर प्रतिबंध लगा दिए. वहीं, स्थानीय निवासियों ने सोशल मीडिया पर संदेशों के जरिए पर्यटकों से शिमला नहीं आने को कहा है.
एक व्यक्ति ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘हमारे लिए पानी नहीं है. कृपया यहां नहीं आएं और किसी और गंतव्य को चुनें.’
शिमला नगर निगम क्षेत्र की आबादी तकरीबन 1.72 लाख है, लेकिन गर्मियों में पर्यटन के प्रमुख मौसम में यहां लोगों की संख्या 90 हजार से एक लाख तक और बढ़ जाती है.
इस मौसम में पानी की जरूरत बढ़कर रोजाना साढ़े चार करोड़ लीटर (एमएलडी) हो जाती है.
78 वर्षीय भैरव दत्त ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘सरकार को पर्यटकों को परामर्श जारी करके उनसे कहना चाहिए कि वे तब तक शिमला नहीं आएं जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं होता क्योंकि इससे जल की कमी से जूझ रहे निवासियों को और असुविधा होगी.’
अदालत ने आदेश दिया कि किसी भी टैंकर को वीआईपी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पानी की आपूर्ति की अनुमति नहीं होगी. अदालत ने स्पष्ट किया कि इन वीआईपी लोगों में न्यायाधीश, मंत्री, नौकरशाह, पुलिस अधिकारी और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान शामिल हैं.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने इस निर्देश के दायरे से सिर्फ राज्यपाल और मुख्यमंत्री को बाहर रखा.
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कहा कि वह हर रोज नगर निगम से बूंद-बूंद पानी का हिसाब लेगा. साथ ही जलसंकट को लेकर सरकार को सेना से तुरंत संपर्क करने को कहा है. शिमलावासियों से पानी की बर्बादी रोकने भी कहा है.
वहीं, पानी की स्थिति सुधरने तक राजधानी में सभी कार वॉशिंग सेंटर बंद करने के आदेश दिए हैं. साथ ही हर तरह के निर्माण कार्यों पर भी पाबंदी लगाई है.
गोल्फ कोर्स में घास की सिंचाई के लिए उपयोग होने वाले पानी को भी जनता में बांटे जाने के आदेश जारी किए गए हैं.
वहीं, राज्य के मुख्य सचिव हर घंटे जलसंकट की समीक्षा कर रहे हैं तो लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
राज्य और ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के वकीलों ने पानी के असमान वितरण पर अदालतों का बहिष्कार किया.
स्थिति की भयावहता इस बात से समझी जा सकती है कि रविवार आधी रात लोगों ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर दिया जिन्हें पुलिस ने लाठीचार्ज करके वहां से खदेड़ा.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के सभी जिलों में पेयजल किल्लत है. लेकिन सबसे अधिक समस्या शिमला, सोलन, सिरमौर व मंडी जिलों में है.
वहीं, लोगों का आरोप है कि पेयजल का सही वितरण नहीं हो रहा है. वीआईपी को हर दिन पानी मिल रही है जबिक आमजन को दस दिन में एक बार भी पानी नसीब नहीं है.
आवास घेराव के बाद राज्य के मुख्यमंत्री ने सोमवार सुबह सचिवालय में मंत्रियों, स्थानीय विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक भी बुलाई थी.
बैठक में शहर में जलापूर्ति की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया गया. जिसके बाद मुख्य सचिव ने शहर को तीन जोन में बांटने का फैसला लिया. जिसके तहत हर जोन में दस से अधिक वार्ड बांटे गए हैं. साथ ही, पानी आने की समय सारिणी रेडियो पर बताई जा रही है.
इस बीच मुख्यमंत्री ने कहा है, ‘पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं. पेयजल किल्लत को लेकर ड्यूटी में कोताही बरतने वालों पर ठोस कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)