ऑल इंडिया किसान सभा ने कहा कि तेज़ होगा आंदोलन. पंजाब और हरियाणा के विभिन्न शहरों में आपूर्ति बाधित होने से सब्ज़ियों के दाम बढ़े. जींद में दूध और सब्ज़ियों को सड़क पर फेंक जताया रोष. नासिक में आपूर्ति बाधित.
नई दिल्ली/भोपाल/मुंबई/चंडीगढ़: मध्य प्रदेश में पिछले 24 घंटे में तीन किसानों की मौत हुई है, जिनमें से दो किसानों ने क़र्ज़ से परेशान होकर आत्महत्या की है, जबकि एक किसान की कृषि उपज मंडी में कथित अव्यवस्थाओं के चलते मौत हुई है.
गौरतलब है कि क़र्ज़ माफ़ी, अपनी उपजों के वाजिब दाम एवं अन्य मांगों को लेकर किसानों का 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में एक जून से जारी है.
किसान आंदोलन के दूसरे दिन दो जून को वाम संगठनों से जुड़ी ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार किसानों के जारी 10 दिन के प्रदर्शन के प्रति नकारात्मक रवैया अपना रही है. इसने कहा कि पांच जून से आंदोलन तेज़ किया जाएगा.
वहीं किसानों द्वारा आपूर्ति रोक दिए जाने की वजह से हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में सब्ज़ियों का खुदरा मूल्य 10 से 20 रुपये प्रति किग्रा बढ़ गया है.
इस बीच मध्य प्रदेश में क़र्ज़ से परेशान एक-एक किसान ने बालाघाट एवं शाजापुर ज़िलों में खुदकुशी की है, जबकि सिवनी जिले की सिमरिया कृषि उपज मंडी में कथित अव्यवस्थाओं के चलते चना बेचने आए एक किसान ने दम तोड़ा है.
बालाघाट ज़िले के वारासिवनी पुलिस थाना प्रभारी महेंद्र सिंह ठाकुर ने शनिवार को बताया, ‘बालाघाट मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर ग्राम कोस्ते निवासी कृषक छन्नुलाल बोपचे (70) ने शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली.’
उन्होंने कहा कि मृतक के भतीजे राहुल बोपचे ने बताया कि छन्नुलाल पर बैंकों का 1,50,500 रुपये का क़र्ज़ था. वह क़र्ज़ चुका नहीं पा रहा था. इसके अलावा उसकी फसल ख़राब हो गई थी, जिससे परेशान होकर उसने ज़हर पी लिया. उसे उपचार के लिए बालाघाट जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया, जहां दो जून को तड़के उसकी मृत्यु हो गई.
उन्होंने बताया कि दूसरी ओर शाजापुर ज़िला मुख्यालय से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थिति शुजालपुर तहसील के ग्राम ऊगली में किसान गोरधन अहिरवार (60) का शव दो जून की सुबह कुएं में तैरता हुआ पाया गया है.
मृतक किसान के पुत्र सीताराम अहिरवार ने कहा, ‘मेरे पिताजी का शव शनिवार सवेरे लगभग 10 बजे हमारे ही कुएं में पाया गया. मेरे पिताजी पर सोसायटी के 2 लाख रुपये क़र्ज़ था. वह उसे चुका नहीं पाने के कारण परेशान रहते थे.’
शुजालपुर सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) आरपी जायसवाल ने कहा, ‘किसान गोरधन का शव पाया गया है. उसने किस कारण आत्महत्या की, उसकी जांच करवाई जा रही है.’
इसी बीच, सिवनी ज़िला मुख्यालय से करीब आठ किलोमीटर दूर सिमरिया कृषि उपज मंडी में चना बेचने आए 48 वर्षीय किसान सोहनलाल अहरवाल की शुक्रवार को मौत हो गई.
मृतक किसान के भाई मुन्नीलाल अहरवाल ने आरोप लगाया है कि मंडी में कथित अव्यवस्थाओं के चलते उसकी मौत हुई है. हालांकि, प्रशासन का कहना है कि उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है.
मुन्नीलाल ने बताया, ‘शुक्रवार दोपहर विकासखंड कुरई के सिंदरिया गांव निवासी सोहनलाल अहरवाल कृषि उपज मंडी सिमरिया करीब 60 क्विंटल चना लेकर आया था. मंडी में हमाल न मिलने पर किसान सोहनलाल को चिलचिलाती धूप में स्वयं ट्रैक्टर से चना उतारना पड़ा और तौलने के लिए समिति की बोरियां में भरना पड़ा, जिसके चलते एकाएक उसके पेट व सीने में असहनीय दर्द शुरू हो गया.’
मुन्नीलाल का आरोप है कि अव्यवस्था के बीच मंडी में दर्द से तड़पते सोहनलाल को अस्पताल पहुंचाने के लिए वाहन तक नहीं मिला. बाद में मौके पर पहुंचे बेटे संजय अहरवाल ने चिलचिलाती धूप में तड़पते पिता को मोटरसाइकिल से सिवनी ज़िला अस्पताल पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.
परिजनों का आरोप है कि पूरी तरह स्वस्थ किसान की सदमे से मौत हुई है.
वहीं, इस संबंध में सिवनी कलेक्टर गोपालचंद डाड ने कहा, ‘किसान को सीने में दर्द हुआ था. हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई है.’ डाड ने बताया कि किसान शुक्रवार को ही चना लेकर कृषि मंडी आया था. अनाज खरीदी में किसी तरह की देरी नहीं हुई है.
मालूम हो कि किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले किसानों ने एक जून से 10 जून तक आपूर्ति बंद करने का फैसला किया है.
किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाए. कृषि ऋण माफ किया जाए, किसानों को उसकी फसल का लागत मूल्य में लाभ जोड़ कर दिया जाए. किसानों की जमीन कुर्क के जो नोटिस भेजे गए हैं वो वापस लिए जाएं.
कई किसान संगठन ने संयुक्त रूप से 10 दिन के इस विरोध प्रर्दशन का आह्वान किया है जो देश के 22 राज्यों में एक जून से शुरू हुआ है.
राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ (आरकेएमएम) के संयोजक शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने भोपाल में एक जून को आंदोलन की शुरुआत करते हुए दावा किया कि 22 राज्यों में ‘गांव बंद’ आंदोलन का आयोजन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा था, ‘देश के किसान मुख्य रूप से अपनी चार मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं, जिनमें देश के समस्त किसानों का संपूर्ण क़र्ज़ मुक्त करना, किसानों को उनकी उपज का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिलना, अत्यंत लघु किसान, जो अपने उत्पादन विक्रय करने मंडी तक नहीं पहुंच पाते, उनके परिवार के जीवनयापन हेतु उनकी आय सुनिश्चित करना एवं दूध, फल, सब्ज़ी, आलू, प्याज, लहसुन, टमाटर इत्यादि का लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य निर्धारित करना एवं सभी फसलों को क्रय करने की सरकार द्वारा गारंटी का कानून बनाया जाना शामिल है.’
उधर, पुलिस मध्य प्रदेश के मंदसौर में कड़ी सतर्कता बरत रही है. पिछले साल छह जून को किसानों के प्रदर्शन के दौरान यहां पुलिस गोलीबारी में छह कृषकों की मौत हो गई थी.
मध्य प्रदेश में रही शांति, लेकिन मंडियों में पसरा सन्नाटा
भोपाल/मंदसौर: अपनी उपजों के वाजिब दाम, क़र्ज़ माफी एवं अन्य मांगों को लेकर किसानों के 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ के दूसरे दिन दो जून को मध्य प्रदेश में शांति बनी रही, लेकिन कृषि उपज मंडियों में इसने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, प्रदेश की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी मानी जाने वाली मंदसौर कृषि उपज मंडी एवं अन्य मंडियों में दो जून को सन्नाटा पसरा रहा. इन सरकारी मंडियों में किसान अपनी उपजों को बेचने के लिए आते हैं.
कृषि उपज मंडी मंदसौर के इंस्पेक्टर समीर दास ने बताया, ‘मंदसौर की कृषि उपज मंडी में शुक्रवार की तरह शनिवार को भी सन्नाटा पसरा रहा. इस मंडी में प्रतिदिन क़रीब 40,000 से 60,000 बोरी विभिन्न कृषि उपज विक्रय के लिए प्रदेश के अनेक ज़िलों के साथ ही पड़ोसी राजस्थान के ज़िलों से आती थी. लेकिन आज मंडी में मात्र 800 बोरी के आसपास माल की आवक रही, जिसमें गेहूं, लहसुन, सोयाबीन, मेथी और प्याज़ शामिल थे.’
उन्होंने कहा कि आज इस मंडी में केवल 25 से 30 किसान ही अपने उपज को बेचने आये, जबकि अमूमन इस मंडी में 3,000 से 4,000 के बीच किसान प्रतिदिन अपनी उपज को बेचने आया करते हैं.
पिछले साल भी किसानों ने एक जून से 10 जून तक आंदोलन किया था और इसका मुख्य केन्द्र मंदसौर रहा था. छह जून को मंदसौर की पिपलिया मंडी में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हुई थी, जिसके बाद समूचे राज्य में हिंसा, लूट, आगजनी एवं तोड़फोड़ हुई थी.
इसी बीच, राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी ने बताया, ‘हमने देश के 22 राज्यों में देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ एक जून से शुरू किया है. इसने मध्य प्रदेश सहित देश के नौ राज्यों में दो जून से असर दिखाना शुरू कर दिया है.’
कक्काजी ने कहा, ‘हमने किसानों से अपील की है कि वे 10 जून तक चलने वाले ‘ग्राम बंद’ के दौरान गांवों से शहरों को फल-सब्ज़ियों और दूध की आपूर्ति रोक दें और अपने ही गांव की चौपाल पर ही इन उत्पादों की शहरी लोगों को बेचें. इसके अलावा, आंदोलन के दौरान शहरों से कोई ख़रीददारी न करें.’
उन्होंने कहा कि हमार आंदोलन पूरी तरह अहिंसक एवं शांतिपूर्ण है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार किसानों को अपने उपज को बेचने के लिए बाध्य किया जा रहा है.
कक्काजी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसानों के आंदोलन को हिंसक बनाना चाहती है. उन्होंने कहा, ‘जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी, हमारी जंग जारी रहेगी.’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय किसान महासंघ देश के 130 किसान संगठनों का समूह है और इस महासंघ का मुख्यालय भोपाल से देशभर के आंदोलन पर नियंत्रण रखा जाएगा.
इसी बीच, मंदसौर कलेक्टर ओ पी श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में कहीं कोई परेशानी नहीं है.
श्रीवास्तव ने दो जून को पिपलिया मंडी और कनगेटी जाकर पिपलिया मंडी में 6 जून को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की होने वाली सभा के स्थल का मुआयना किया और उनके दौरे के लिए पार्किंग तथा हैलीपेड के स्थल को देखा, ताकि उनके दौरे के लिए उचित बंदोबस्त हो सके.
मंदसौर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की पांच कंपनियां मंदसौर ज़िले में कड़ी निगरानी रख रही हैं.
वहीं, आधिकारिक जानकारी के अनुसार किसान आंदोलन के मद्देनज़र पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.
मध्य प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलीजेंस) राजीव टंडन ने बताया कि किसान आंदोलन के दूसरे दिन भी प्रदेश में कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की रिपोर्ट नहीं आई है. समूचे राज्य में शांति बनी हुई है.
हालांकि, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस आंदोलन का असर दिखने लगा है. कम किसान मंडी में अपनी उपज को बेचने के लिए आ रहे हैं.
हरियाणा और पंजाब में सब्ज़ियों की कीमतें बढ़ीं
किसानों का आंदोलन दूसरे दिन दो जून को भी जारी रहने के बीच पंजाब और हरियाणा के विभिन्न शहरों में सब्ज़ियों की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं.
दरअसल, कृषि उत्पादों की मंडियों में ताजा आपूर्ति कम हो गई है और यहां तक कि किसान सब्ज़ियां एवं दूध सड़कों पर फेंक रहे हैं तथा शहरों को इनकी आपूर्ति रोक रहे हैं.
किसानों ने केंद्र की किसान विरोधी कथित नीतियों के ख़िलाफ़ एक जून से 10 दिनों का आंदोलन शुरू किया है. इसके तहत वे सब्ज़ियों, फल, दूध और अन्य वस्तुओं की शहरों को आपूर्ति बंद कर रहे हैं.
हालांकि, किसानों के आंदोलन का असर कृषि वस्तुओं पर एक जून नहीं दिखा था लेकिन कई शहरों में सब्ज़ियों का खुदरा मूल्य दूसरे दिन 10 से 20 रुपये प्रति किग्रा बढ़ गया.
इसके चलते शहरों में उपभोक्ताओं को सब्ज़ियां ख़रीदने के लिए ज़्यादा ख़र्च करना पड़ा. व्यापारियों ने कहा है कि मंडियों में सब्जियों की ताज़ा आपूर्ति कम हो गई है जिससे आने वाले दिनों में उनकी कीमतें बढ़ने की आशंका है.
पंजाब में नाभा, लुधियाना, मुक्तसर, तरनतारन, नांगल और फिरोज़पुर सहित कई स्थानों पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. सब्जियों और दूध को शहरों में जाने देने से रोकने के लिए किसानों द्वारा नाकाबंदी करने की भी ख़बरें हैं.
फिरोज़पुर से मिली ख़बर के मुताबिक, किसानों ने जबरन सब्ज़ी मंडी बंद करा दिया. पुलिस ने बताया कि बठिंडा में किसानों ने कुछ दूध विक्रेताओं को शहर जाने से रोक दिया, जिस पर उनके बीच तीखी बहस भी हुई.
बठिंडा पुलिस थाना सदर के प्रभारी इकबाल सिंह ने बताया कि इसके बाद चार किसानों को एहतियाती हिरासत में ले लिया गया. अन्य किसानों ने अपने साथी किसानों की रिहाई की मांग करते हुए थाना के बाहर धरना दिया.
मोहाली में किसानों के एक समूह ने वर्का दुग्ध संयंत्र के प्रवेश द्वार को अपने वाहनों से अवरूद्ध कर दिया.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों के जारी प्रदर्शन को कृषक समुदाय की परेशानी का प्रतीक बताया है.
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में कृष्ण मुरारी के शपथ ग्रहण करने के बाद सिंह ने चंडीगढ़ स्थित हरियाणा राज भवन में मीडिया से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की.
उन्होंने कहा कि देश में कृषक समुदाय भाजपा नीत केंद्र सरकार के उदासीन रवैये के चलते गंभीर संकट में है. केंद्र सरकार किसानों को कोई राहत पहुंचाने में नाकाम रही है.
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और आप के बीच कोई चुनावी गठजोड़ होने की संभावना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान पर निर्भर है.
जींद में किसानों ने दूध और सब्ज़ियों को सड़क पर फेंक जताया रोष
जींद: भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने आंदोलन के दूसरे दिन दूध और सब्ज़ियां सड़क पर फेंककर सरकारी अनदेखी के ख़िलाफ़ अपना रोष व्यक्त किया.
गांव बंद के आह्वान को लेकर शनिवार को गांव ईक्कस के निकट बाईपास मोड़ पर किसानों ने दूध तथा सब्ज़ियों को सड़क पर फेंक कर रोष व्यक्त किया.
इस दौरान भाकियू कार्यकर्ताओं ने सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाजी की और आगामी दस जून तक चलने वाले धरने की शुरुआत की. भाकियू कार्यकर्ताओं का कहना था कि चुनाव से पहले भाजपा सरकार किसान हितैषी होने के बड़े-बड़े दावे करती थी लेकिन सत्ता मिलते ही भाजपा सरकार ने किसानों के दर्द को भुला दिया.
किसानों ने गांव से शहर की तरफ जाने वाली किसी भी सप्लाई को नहीं रोका और न ही कोई जाम लगाया. जिसके चलते आमलोगों को कोई परेशानी नहीं हुई.
नासिक के बाज़ारों में फलों और दूध की आपूर्ति बाधित
नासिक: किसानों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन दो जून को महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में विभिन्न बाज़ार समितियों तक सब्ज़ियां पहुंचाने और जिले में दूध एकत्रित करने की प्रक्रिया प्रभावित हुई.
विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे कृषक संगठनों से एक के वरिष्ठ पदाधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.
अखिल भारतीय किसान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष राजू देसाले ने बताया, ‘ज़िले की सभी दूध डेयरियां बंद हैं और दूध इकट्ठा करने वाले केंद्र इससे प्रभावित हुए हैं. प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दो जून की सुबह येओला तालुका के विसपुर में सड़कों पर दूध उड़ेल दिया. एपीएमसी में सब्ज़ियां बहुत धीमी गति से पहुंचाई जा रही हैं.’
नासिक कृषि उत्पादन बाजार समिति के एक अधिकारी ने बताया कि विरोध के चलते सब्जियां देरी से पहुंचाई जा रही हैं.
प्रदर्शन होगा तेज़, महाराष्ट्र सरकार अपना रही नकारात्मक रवैया: एआईकेएस
मुंबई/नासिक: वाम संगठनों से जुड़ी ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार किसानों के जारी 10 दिन के प्रदर्शन के प्रति नकारात्मक रवैया अपना रही है. इसने कहा कि पांच जून से आंदोलन तेज़ किया जाएगा.
एआईकेएस के महासचिव अजित नवले ने आंदोलन के दूसरे दिन मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की मांग पर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
उन्होंने कहा, ‘समूचे राज्य में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार किसानों से पिछले महीने किए गए अपने वायदों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाती प्रतीत होती है.’
नवले ने बताया कि किसान संगठनों की शनिवार को एक बैठक हुई और फैसला किया गया कि पांच जून से आंदोलन तेज़ किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘हमने किसानों का आह्वान किया है कि वे शहरों के लिए अपने उत्पाद बेचने को स्थगित कर दें.’
देश का गन्ना किसान परेशान है और मोदी जी पाकिस्तानी चीनी मंगवा रहे हैं: कांग्रेस
कांग्रेस ने आज सरकार से किसानों के क़र्ज़ माफ़ करने की मांग की और आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार देश के गन्ना किसानों की परेशानी पर ध्यान देने की बजाय पाकिस्तान से चीनी का आयात कर रही है.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘देश भर के 130 से अधिक किसान संगठन मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते एक से दस जून तक ‘गांव बंदी’ आंदोलन कर रहे हैं. यह पहला अवसर नहीं है कि किसानों ने भाजपा सरकार के प्रति अपना रोष प्रकट किया हो. बीते चार सालों से यही हालत है.’
उन्होंने दावा किया, ‘किसान खेतों की अपेक्षा सड़कों पर आंदोलित दिखाई देता है. मगर भाजपा सरकार के सत्ता के अहंकार का आलम यह है कि वो किसानों की मांगों का संज्ञान लेने की बजाय कभी उनके सीने में गोलियाँ उतार देती है तो कभी उन्हें जेलों में ठूस देती है. मोदी सरकार किसानों से अपराधियों की तरह बॉन्ड भरवा रही है.’
उन्होंने कहा, ‘गन्ना किसानों की दुर्दशा का भी यही हाल है. देश के गन्ना किसानों का लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपया बकाया है. मूल कारण यह है कि शक्कर के अच्छे उत्पादन के बाद भी शक्कर का भाव धराशायी हो गया है. मोदी जी ने पाकिस्तान से बड़ी मात्रा में शक्कर का आयात करवा कर देश के गन्ना किसानों के जीवन में कड़वाहट घोल दी है.’
सुरजेवाला ने सवाल किया कि मोदी सरकार जब अपने कुछ धनपतियों का लाखों करोड़ रुपये का कर्ज माफ़ कर सकती है तो फिर किसानों का क़र्ज़ क्यों नहीं माफ़ कर सकती?
हम किसानों की हक़ की लड़ाई में उनके साथ खड़े होंगे: राहुल गांधी
मध्य प्रदेश के मंदसौर में होने वाली किसान रैली से कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार कृषि संकट की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के हक की लड़ाई में कांग्रेस उनके साथ खड़ी होगी.
राहुल ने ट्वीट किया, ‘हमारे देश में हर रोज़ 35 किसान आत्महत्या करते हैं. कृषि क्षेत्र पर छाए संकट की तरफ केंद्र सरकार का ध्यान खींचने के लिए किसान भाई 10 दिन का आंदोलन करने पर मजबूर हैं. हमारे अन्नदाताओं के हक़ की लड़ाई में उनके साथ खड़े होने के लिए 6 जून को मंदसौर में किसान रैली को संबोधित करूंगा.’
गौरतलब है कि मंदसौर में पिछले साल किसानों पर हुई पुलिस गोलीबारी की पहली बरसी पर राहुल किसानों की रैली को संबोधित करेंगे.
किसानों की समस्याओं पर कृषि मंत्री का बयान शर्मनाक: येचुरी
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा किसानों की आत्महत्या के बारे में दिए गए विवादित बयान को शर्मनाक बताते हुए इसे किसानों की बदहाली का भद्दा मज़ाक बताया है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कृषि मंत्री ने किसानों के आंदोलन के बारे में कहा कि मीडिया में आने के लिए कुछ किसान तरह-तरह के उपक्रम कर रहे हैं. देश में करोड़ों की संख्या में किसान हैं और उसमें कुछ किसानों का ये प्रदर्शन मायने नहीं रखता है.
इस पर येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘मोदी और उनके मंत्रियों के लिए मीडिया कवरेज ही सब कुछ है. हमारे ग़रीब और मेहनती किसानों द्वारा ख़ुदकुशी पर भी वही घटिया सोच. यह बेहद शर्मनाक और तकलीफ़देह हरकत है.’
गडकरी ने कृषि संकट के लिए वैश्विक आर्थिक स्थिति, अतिरिक्त उपज को ज़िम्मेदार ठहराया
नागपुर: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किसानों की चिंताओं के लिए वैश्विक आर्थिक स्थिति और अतिरिक्त उपज को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि केंद्र उनकी समस्याओं का हल करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है.
केंद्रीय जहाजरानी एवं सड़क परिवहन मंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पिछले चार साल में भाजपा नीत केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के दौरान यह कहा.
किसानों के जारी आंदोलन के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए गडकरी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और अतिरिक्त उपज के चलते यह स्थिति पैदा हुई है. यह एक पुराना मुद्दा है, कोई नया नहीं है. सरकार मध्यअवधि और दीर्घकालीन नीतियां बना कर युद्ध स्तर पर काम कर रही है.
महाराष्ट्र की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि किसान कुछ मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, उन्हें उपयुक्त न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)