पटना में हुए एक कार्यक्रम में बोले मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा, कॉलेजियम व्यवस्था से जजों की नियुक्ति नहीं होती बल्कि उत्तराधिकारी चुना जाता है.
पटना: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कॉलेजियम व्यवस्था से जजों की नियुक्ति पर सवाल खड़ा किया है. सोमवार को पटना में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कॉलेजियम व्यवस्था न्यायपालिका पर धब्बा है और लोकतंत्र के ख़िलाफ़ है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक कुशवाहा ने कहा, ‘मौजूदा न्यायपालिका में जज दूसरे जजों की नियुक्ति नहीं करते, बल्कि वे अपना उत्तराधिकारी चुनते हैं. वे ऐसा क्यों करते हैं? इसे एक उत्तराधिकारी चुनने की व्यवस्था क्यों बना दिया गया है?’
According to the attitude of the judiciary, in the present time, judges don't appoint other judges, they actually appoint their successors. Why do they do that? Why was this made a system to choose successors?: Upendra Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06.2018) pic.twitter.com/rx9DWOYK2K
— ANI (@ANI) June 6, 2018
कुशवाहा ने यह भी कहा, ‘लोग आरक्षण का विरोध करते हैं, वे कहते हैं कि आरक्षण की वजह से मेरिट को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, लेकिन मैं समझता हूं कि कॉलेजियम व्यवस्था मेरिट को नज़रअंदाज़ कर रहा है. जब एक चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है और मछुआरे का बेटा राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन क्या एक नौकरानी का बच्चा जज बन सकता है? कॉलेजियम लोकतंत्र पर धब्बा है.’
People oppose reservation, say it ignores merit but I think collegium ignores merit. A tea-seller can become PM, fisherman's child can become scientist&later President but can a maid's child become judge? Collegium's a blot on our democracy: U Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06) pic.twitter.com/FcsLBpXO9O
— ANI (@ANI) June 6, 2018
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुशवाहा की कॉलेजियम व्यवस्था पर टिप्पणी केंद्र सरकार और कॉलेजियम के बीच उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ी है.
मालूम हो कि इस साल जनवरी में भी कुशवाहा ने न्यायपालिका में परिवारवाद की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 80 प्रतिशत जज न्यायपालिका से जुड़े परिवारों से हैं.
उन्होंने तब यह भी कहा कि न्यायपालिका में दलित, पिछड़ा और महिलाओं की न के बराबर प्रतिनिधित्व है. न्यायपालिका में चयन प्रक्रिया भारतीय प्रशासनिक सेवा की तरह होनी चाहिए और जुडिशियरी आयोग का गठन होना चाहिए.