चुनाव आयोग द्वारा गठित समितियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अत्यधिक धूप में रखने से मशीनों के कंट्रास्ट और लेंथ सेंसर ख़राब हो गए थे.
नई दिल्ली: हाल ही में उत्तर प्रदेश के कैराना और महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट के उपचुनाव में वीवीपैट मशीनों में गड़बड़ी की वजह अत्यधिक धूप बताई गई है.
इस मामले में आयोग की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक गड़बड़ी की शिकार हुई वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों के दो पुर्जों (कॉंट्रास्ट सेंसर और लेंथ सेंसर) में खराबी के कारण मतदान बाधित हुआ था. जांच में पाया गया कि यह तकनीकी खराबी उन मतदान केंद्रों पर पाई गई जिनमें मशीनें अत्यधिक धूप में रखी गई थीं.
उल्लेखनीय है कि आयोग ने मतदान के दौरान तमाम मतदान केंद्रों पर वीवीपैट मशीनों में व्यापक गड़बड़ी की विभिन्न दलों की शिकायत की जांच के लिए दो समितियों का गठन किया था. आयोग को शुक्रवार को मिली रिपोर्ट के अनुसार जिन मतदान केंद्रों पर वीवीपैट में गड़बड़ी आई, उनमें मशीनों को अत्यधिक धूप में रखा गया था जिसके कारण इनके कॉंट्रास्ट सेंसर और लेंथ सेंसर खराब होने की वजह से मतदान बाधित हुआ.
आयोग ने मशीन बनाने वाली फर्म और तकनीकी विशेषज्ञों की समिति से भविष्य में इस तरह की बाधा से बचने के लिए मशीनों के डिजाइन में जरूरी बदलाव करने और मतदान केंद्र के प्रारूप में बदलाव के बारे में सुझाव देने को कहा है. जिससे मशीनों को अत्यधिक धूप में रखने से बचाया जा सके.
साथ ही, मशीन निर्माता फर्म को चुनाव याचिका का निस्तारण होने के बाद खराब हुई मशीनों का विस्तृत तकनीकी विश्लेषण करने को भी कहा है.
आयोग ने एक समिति का गठन कर मशीनों की संचालन संबंधी मानक प्रक्रिया को अपेक्षाकृत बेहतर बनाने की संभावना तलाशने को कहा है.
आयोग ने अत्यधिक धूप के कारण वीवीपैट को अपने आप बंद होने से बचाने के लिए इसके हार्डवेयर में सुधार की सिफारिश को स्वीकार करते हुए मशीनों की जांच संबंधी प्रथम चरण की प्रक्रिया को और अधिक सख्त बनाने का फैसला किया है.
साथ ही, मतदान अधिकारियों के प्रशिक्षण को मजबूत बनाने और व्यवस्थित करने का निर्देश दिया है.
हालांकि, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाय कुरैशी ने चुनाव आयोग की इस थ्योरी पर सवाल खड़े किए हैं.
गौरतलब है कि वीवीपैट मशीनों का ट्रायल परीक्षण उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था. इसलिए उनका कहना है कि मशीनों का परीक्षण हर प्रकार के मौसम में किया गया था जिसमें राजस्थान का जैसलमेर भी शामिल था जो कि कैरान और भंडारा-गोंदिया से कई अधिक गर्म और सूखा क्षेत्र है. मशीन ने वहां भी सही तरीके से काम किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)