पतंजलि को फूड पार्क की स्थापना हेतु अंतिम मंजूरी पाने के लिए जरूरी शर्तों को 15 जून तक पूरा करने की समयसीमा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा दी गई है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि यमुना एक्सप्रेसवे के साथ प्रस्तावित 6,000 करोड़ रुपये के मेगा फूड पार्क की स्थापना हेतु शर्तों का अनुपालन करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद को 15 दिन का समय और दिया जाना चाहिए.
इस प्रमुख एफएमसीजी कंपनी को प्रस्तावित पार्क की स्थापना हेतु अंतिम मंजूरी प्राप्त करने हेतु जरूरी शर्तों को पूरा करने के लिए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा 15 जून तक की समयसीमा दी गई है.
केंद्र को लिखे एक पत्र में उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्धारित समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया है.
उत्तर प्रदेश बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास विभाग के आयुक्त अनुप चंद्र पांडे ने पत्र में कहा है, ‘अंतिम मंजूरी के लिए खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की अंतर-मंत्रालयी अनुमोदन समिति द्वारा दी गई 15 जून तक की समयसीमा को 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया जाता है.’
इस अवधि में कंपनी को जो शर्तें पूरी करनी हैं उनमें पतंजलि आयुर्वेद की सहायक कंपनी पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क नोएडा प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर भूमि का हस्तांतरण किया जाना भी शामिल है.
पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने कहा, ‘हम आश्वस्त हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए गंभीर कदमों पर संतोष जताते हैं. चूंकि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का रवैया सहयोगपूर्ण है, इसलिए हमें आशा है कि 15 दिन का समय विस्तार दिया जाएगा ताकि राज्य सरकार इसकी औपचारिकताओं को पूरा कर ले.’
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हरिद्वार की इस कंपनी ने यमुना एक्सप्रेसवे के साथ अपनी ‘स्टेप-डाउन फर्म’ पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क के माध्यम से 425 एकड़ जमीन पर एक संयंत्र स्थापित करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव रखा है.
6 जून को पतंजलि ने कहा था कि पूरी क्षमता के साथ काम करने की स्थिति में उसका मेगा फूड पार्क सालाना 25,000 करोड़ रुपये का माल तैयार करेगा जिसमें 10,000 लोगों को प्रत्यक्ष नौकरियां देने की परिकल्पना की गई है.
पतंजलि वर्तमान में मेगा फूड-पार्क परियोजनाओं में निवेश कर रही है. इसमें नागपुर (महाराष्ट्र) और तेजपुर (असम) पार्क भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि पिछले दिनों पतंजलि के यह मेगा फूड पार्क तब सुर्खियों में आया था जब पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने उत्तर प्रदेश सरकार पर पार्क स्थापित करने में कोई सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि हमें इस परियोजना के लिए राज्य सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला. अब हमने परियोजना को स्थानांतरित करने का फैसला किया है.
आचार्य बालकृष्ण ने बताया था, ‘हम इस परियोजना को रद्द कर रहे हैं क्योंकि हमें उत्तर प्रदेश सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिली है.’
बालकृष्ण ने दावा किया कि पतंजलि ने इस परियोजना के लिए वित्तीय संस्थानों से समर्थन प्राप्त कर लिया था.
उन्होंने कहा था, ‘हमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से दो बार समय विस्तार प्राप्त हुआ और अब यह समय समाप्त हो रहा है क्योंकि हमें राज्य सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिल सकी.’
बालकृष्ण के इस बयान के बाद योगी सरकार हरकत में आई थी. स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य बालकृष्ण से बात की थी और उन्हें हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया था. उन्होंने विश्वास दिलाया था कि प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी कर ली जाएगी और जो भी तकनीकी समस्या है उसे दूर कर लिया जाएगा.
अब खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय को योगी सरकार द्वारा इस प्रकार का पत्र लिखा जाना दर्शाता है कि वे पतंजलि, आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव के लिए पूर्ण सहयोग की मुद्रा में आ गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)