​सरकारी और निजी बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 में 1.44 लाख करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले

बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डाली गई यह राशि पिछले साल की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज़्यादा है. पिछली साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे.

(फोटो: रॉयटर्स)

बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डाली गई यह राशि पिछले साल की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज़्यादा है. पिछली साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे.

FILE PHOTO: A cashier displays the new 2000 Indian rupee banknotes inside a bank in Jammu, November 15, 2016. REUTERS/Mukesh Gupta/File photo - RTX33SVL
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: फंसे कर्जों यानी ग़ैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) और भारी नुकसान होने के बाद बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,44,093 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किया है. बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डाली गई यह राशि पिछले साल की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज्यादा है. पिछली साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से पिछले 10 सालों में निजी और सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों ने 31 मार्च 2018 तक 4,80,093 करोड़ रुपये के बैड लोन बट्टा खाते में डाले. इस राशि का 83.4 प्रतिशत या 400,584 करोड़ रुपये पब्लिक सेक्टर बैंकों का था. वहीं, पिछले 10 वर्षों में निजी बैंकों द्वारा कुल बट्टा खाते में डाली गई राशि 79,490 करोड़ रुपये थी. यह आंकड़ें रेटिंग एजेंसी आईसीआरए (इंवेस्टमेंट इनफॉरमेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी) द्वारा जारी किए गए हैं.

गौरतलब है कि बैंक सामान्यतया उन कर्जों को राइट आॅफ या बट्टा खाते में डालते हैं जिनकी वसूली करना उनके लिए मुश्किल होता है. कॉरपोरेशन बैंक के पूर्व चेयरमैन प्रदीप रामनाथ के मुताबिक, यह बैंकों की एक नियमित प्रकिया है. जब बैड लोन को राइट आॅफ किया जाता है तो वह बैंक के बही खाते से बाहर चला जाता है. इससे बैंक को कर लाभ मिलता है. हालांकि, कर्ज के बट्टा खाते में जाने के बाद भी बैंक वसूली उपायों को जारी रखते हैं.

NPA Bad Loans

आंकड़े बताते हैं कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने 2017-18 में 40,281 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले जबकि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने 7,407 करोड़ रुपये और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 10,307 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले.

आईसीआरए के आंकड़ों के अनुसार, एसबीआई ने अकेले पिछले 10 सालों में 1,23,137 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले. जबकि बैंक ऑफ इंडिया ने 28,068 करोड़ और केनरा बैंक ने 25,505 करोड़ रुपये और पीएनबी ने 25,811 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले.

मार्च 2018 को समाप्त वर्ष में निजी बैंकों ने 23,928 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले जबकि इसके पिछले साल यह आंकड़ा 13,119 करोड़ रुपये था. इन बैंकों में एक्सिस बैंक ने 11,688 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई बैंक ने 9,110 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले.