बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में 31 मई को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई थी. मामले में नौ लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
बिहार: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में नाबालिग लड़कियों के सरकारी आश्रय स्थल ‘बालिका गृह’ में कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. इस संबंध में अब तक नौ लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी.
राज्य के समाज कल्याण विभाग ने इस संबंध में इस महीने की शुरुआत में प्राथमिकी दर्ज की थी. इस बालिका गृह को संचालित करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को भी काली सूची में डाल दिया गया था.
मालूम हो कि मुज़फ़्फ़रपुर के साहू रोड स्थित इस सरकारी बालिका गृह को सेवा संकल्प एवं विकास समिति की ओर से संचालित किया जाता था. बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों के साथ यौन शोषण का खुलासा बीते 31 मई को हुआ था.दरअसल, मुंबई के एक संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी समाज लेखा रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.
रिपोर्ट में कहा गया था कि यहां रहने वाली लड़कियों के साथ हिंसा होती है और इनका यौन शोषण भी होता है. प्रभात खबर के मुताबिक, बच्चियों की मेडिकल जांच में तीन बच्चियों के गर्भवती होने की बात सामने आई है.
13 जून को प्रकाशित प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के अनुसार, बालिका गृह की तीन लड़कियों का मेडिकल परीक्षण दोबारा कराने पर भी उनके गर्भवती होने की पुष्टि हुई है. महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्र ने प्रभात ख़बर से बातचीत में कहा है, ‘गार्डिनर अस्पताल के बाद पटना सिटी के एक अस्पताल में बच्चियों की दोबारा मेडिकल जांच हुई. जांच में तीन लड़कियों के गर्भवती होने की पुष्टि हुई है.’
मुज़फ़्फ़रपुर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर ने बताया, ‘हमने अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एनजीओ का संचालक बृजेश ठाकुर भी शामिल है. इन पर पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबद्ध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. हम फरार चल रहे कुछ लोगों की तलाश कर रहे हैं. उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, मामले में फरार दो आरोपियों दिलीप वर्मा और मधु की संपत्ति कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. वह मामले के मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर की संपत्तियों की जांच ईडी से कराई जा सकती है.
अधीक्षक ने बताया कि इस मामले को सीआईडी भी देखेगी. एसआईटी का भी गठन किया गया है, जिसमें महिला पुलिसकर्मी शामिल हैं. इस टीम का नेतृत्व उप अधीक्षक रैंक का कोई अधिकारी करेगा. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले की जांच निष्पक्ष और प्रभावी हो.
एक सवाल के जवाब में एसएसपी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से सात महिलाएं हैं जो ‘बालिका गृह’ की कर्मचारी हैं. राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित इस आश्रय स्थल में करीब 50 लड़कियां रह रही थीं. इसे अब सील कर दिया गया है.
समाज कल्याण निदेशालय के निर्देश के मुताबिक यहां रह रही सभी लड़कियों को मधुबनी और पटना स्थानांतरित कर दिया गया है. वहीं ज़िला बाल सुरक्षा इकाई ने इमारत को अपने नियंत्रण में ले लिया है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को 12 जून को भेजे गये पत्र में बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष हरपाल कौर ने बताया कि नाबालिग लड़कियों को अन्य आश्रय गृहों में भेजा गया है. उनकी काउंसलिंग की जा रही है.
इसके अलावा मंत्रालय ने लोगों से सतर्क रहने और कोई भी संदेह होने पर शिकायत करने को कहा है. उसने बिहार के सभी जिलाधिकारियों को आश्रय गृहों का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया है.
दैनिक जागरण ने सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लिखा है कि बालिका गृह से लड़कियों को रसूखदारों के घर भेजा जाता था. पटना से लेकर सभी शहरों में लड़कियां भेजी जाती थीं. जो एनजीओ इसे संचालित करता था, उसके मालिक का संपर्क एक राजनीतिक दल से भी है.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, ये भी पता चला था कि लड़कियों का इस्तेमाल टेंडर लेने में भी होता था. इसमें कार्रवाई के बाद कई बड़े अधिकारी और राजनीतिज्ञ भी बेनकाब हो सकते हैं. इस मामले को अति गंभीर बताते हुए महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने कहा था कि मैं ख़ुद इस मामले की जांच करूंगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)