श्रीराम सेना के ज़िला प्रमुख को पूछताछ के लिए एसआईटी ने समन भेजा. एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘फॉरेंसिक जांच से पुष्टि होती है कि गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी की हत्या एक ही हथियार से की गई.’
बेंगलुरु: पत्रकार एवं कार्यकर्ता गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शुक्रवार को कहा कि परशुराम वाघमारे ने गौरी की हत्या को अंजाम दिया था.
परशुराम वाघमारे गौरी लंकेश की हत्या के संबंध में गिरफ्तार किए गए छह संदिग्धों में से एक है. एसआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि गौरी और तर्कवादी एवं अंधविश्वास विरोधी गोविंद पानसरे तथा एमएम कलबुर्गी को गोली मारने के लिए एक ही हथियार का इस्तेमाल किया गया.
नाम उजागर न करने की शर्त पर एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वाघमारे ने गौरी को गोली मारी और फॉरेंसिक जांच से पुष्टि होती है कि (तर्कवादी) गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी की हत्या एक ही हथियार से की गई.’
उन्होंने कहा कि हथियार का अभी पता नहीं लगाया जा सका है. फॉरेंसिक जांच से इस नतीजे पर तब पहुंचा जाता है जब बंदूक के ट्रिगर से गोली के पिछले हिस्से पर एक ही तरह का निशान बना हुआ मिलता है फिर चाहे बंदूक की बरामदगी हो या न हो.
वाघमारे के परिवार ने अपराध में उसकी संलिप्तता से इनकार किया है. पुलिस को हत्या में कम से कम तीन और लोगों के शामिल होने का संदेह है और उनकी तलाश की जा रही है.
हत्या में शामिल गिरोह का नेटवर्क कम से कम पांच राज्यों में फैला है
अधिकारी ने बताया कि हिंदू दक्षिणपंथी समूहों के लोगों को शामिल कर बनाए गए इस संगठन में 60 सदस्य हैं जो कम से कम पांच राज्यों में फैले हुए हैं लेकिन इस संगठन का कोई नाम नहीं है.
अधिकारी ने कहा, ‘हमें मालूम हुआ है कि इस गिरोह का मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में नेटवर्क है. हम अभी तक उत्तर प्रदेश से उनके ताल्लुक का पता नहीं चला सके हैं.’
उन्होंने कहा कि भले ही इस गिरोह ने महाराष्ट्र के हिंदू जागृति समिति और सनातन संस्था जैसे कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों के लोगों की भर्ती किया लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि ये संस्थाएं सीधे तौर पर हत्या में शामिल हों.
दोनों ही संगठनों ने इन तीनों की हत्या में किसी तरह की भूमिका से इंकार किया है. अधिकारी ने बताया कि सुजीत कुमार उर्फ प्रवीण गिरोह के लिए लोगों की भर्ती करता था और उसी से पूछताछ के दौरान इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ.
उन्होंने बताया कि एसआईटी को संदेह था कि गौरी की हत्या के दौरान तीन और लोग वहां मौजूद थे. अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह बड़ी सतर्कता से अपने कार्यों को अंजाम देने से पहले उसकी योजना बनाता था. यह गिरोह जासूसी करना, निशाने पर लिए लोगों की कमजोरियां पहचानना और उनकी हत्या करने में छह महीने से साल भर तक का समय लेता था.
उन्होंने कहा, ‘यह गिरोह (कन्नड़ लेखक) प्रोफेसर एस. भगवान की हत्या के लगभग अंतिम चरण में था जब हमने इन्हें धर दबोचा.’ कर्नाटक पुलिस ने हाल ही में भगवान की हत्या की साजिश का खुलासा किया था और गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों से पूछताछ के दौरान ही गौरी लंकेश की हत्या में इनकी संलिप्तता का संदेह हुआ.
गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रही एसआईटी के सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि संदिग्धों से एक डायरी बरामद की है. डायरी में उन हस्तियों के नाम दर्ज हैं जिन्हें निशाना बनाया जाना था. ये लोग कट्टरपंथी हिंदुत्व के खिलाफ कठोर नज़रिये के लिए चर्चित हैं. इन लोगों में फिल्म एवं रंगमंच हस्ती गिरीश कर्नाड के अलावा कई साहित्यकार और तर्कवादी शामिल थे.
एसआईटी ने मंगलवार को कहा था कि उसने कर्नाटक के विजयपुरा ज़िले के सिंधागी से 26 साल के परशुराम वाघमारे को गिरफ्तार किया है और साज़िश में उसकी भूमिका और अन्य जानकारियों का खुलासा बाद में किया जाएगा. यह पुष्टि नहीं की गई थी कि वाघमारे गौरी लंकेश का हत्यारा है नहीं.
बताया जा रहा था कि उसकी शारीरिक बनावट गौरी के घर से बरामद उनकी हत्या से संबंधित सीसीटीवी फुटेज में दिखने वाले व्यक्ति से मेल खाती है.
गौरतलब है कि पांच सितंबर, 2017 को बेंगलुरु स्थित घर के पास ही लंकेश को गोली मार दी गई थी. गौरी लंकेश को रात करीब 8:00 बजे तब गोली मार दी गई थी जब वह कार पार्क करने के लिए अपने घर का दरवाज़ा खोल रहीं थी. उन्हें हिंदुत्व के खिलाफ आलोचनात्मक रुख रखने के लिए जाना जाता था.
एसआईटी ने श्रीराम सेना के ज़िला प्रमुख को पूछताछ के लिए समन भेजा
पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले में श्रीराम सेना के विजयपुरा जिल़ाध्यक्ष राकेश मथ को पूछताछ के लिए समन भेजा है.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 16 जून को बेंगलुरु में इसकी जानकारी दी .
अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने मथ से पूछताछ करने का निर्णय किया है क्योंकि गौरी लंकेश को गोली मारने वाला संदिग्ध परशुराम वाघमारे इसी हिंदुत्ववादी संगठन का सक्रिय सदस्य है.
एसआईटी में शामिल इस अधिकारी ने बताया कि वह इस बात का पता लगाना चाहते हैं कि गौरी लंकेश की नृशंस हत्या में कहीं मथ का भी तो हाथ नहीं है अथवा इस साज़िश में शामिल होने के लिए उन्होंने वाघमारे का ‘ब्रेनवाश’ तो नहीं किया है.
कर्नाटक के विजयपुरा ज़िले के सिंदागी शहर में जनवरी 2012 में तहसीलदार कार्यालय में पाकिस्तानी झंडा फहराया गया था. मथ और वाघमारे कथित रूप से इसमें शामिल थे.
एसआईटी का मानना है कि कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों और मेंगलुरु सहित तटीय इलाकों में मथ का मजबूत आधार है.
अधिकारी ने बताया, ‘हमने राकेश मथ को समन भेजा है. वह अब तक नहीं आया है.’
इस बीच श्रीराम सेना के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक ने ख़ुद को और अपने संगठन को वाघमारे और गौरी की हत्या से अलग कर लिया है.
मुतालिक ने कहा, ‘श्रीराम सेना और वाघमारे के बीच कोई संबंध नहीं है. वह न तो हमारा सदस्य है और न ही हमारा कार्यकर्ता है. यह मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं.’
उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तानी झंडा फहराने का मामला सामने आया था तो कहा गया कि वाघमारे श्रीराम सेना का सदस्य है. हालांकि, उन्होंने यह साबित कर दिया कि वाघमारे उनके संगठन का नहीं बल्कि आरएसएस का सदस्य है.
मुतालिक ने ज़ोर देकर कहा, ‘आरएसएस की ड्रेस में मैने उसकी तस्वीर साझा की. मैंने उस वक़्त कहा था कि वह श्रीराम सेना का नहीं, आरएसएस का कार्यकर्ता था.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)