इशरत जहां मुठभेड़ मामले में डीजी वंजारा ने सीबीआई जांच पर उठाए सवाल

विशेष सीबीआई अदालत में डीजी वंजारा को आरोप मुक्त करने से जुड़ी अर्जी पर हो रही सुनवाई में उनके वक़ील ने कहा कि सीबीआई द्वारा इशरत की कार को लेकर दी गई थ्योरी ग़लत है.

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इशरत जहां. (फाइल फोटो: पीटीआई)

विशेष सीबीआई अदालत में डीजी वंजारा को आरोप मुक्त करने से जुड़ी अर्जी पर हो रही सुनवाई में उनके वक़ील ने कहा कि सीबीआई द्वारा इशरत की कार को लेकर दी गई थ्योरी ग़लत है.

(फोटो:पीटीआई)
इशरत जहां (फाइल फोटो:पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा के वकील ने इशरत जहां और उनके अन्य साथियों को लेकर जा रही कार के मूवमेंट के बारे में सीबीआई द्वारा दी गयी थ्योरी पर सवाल उठाये हैं.

इशरत और अन्य तीन लोगों की कथित तौर पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी. साल 2004 के इशरत जहां फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में आरोपी वंजारा ने यहां एक विशेष सीबीआई अदालत में याचिका दायर करके मामले में खुद को आरोप मुक्त करने की मांग की है.

उनके वकील वीडी गज्जर ने अदालत से कहा कि पहिया फटने के बाद से इशरत की कार के मूवमेंट के बारे में सीबीआई की थ्योरी गलत थी क्योंकि घटनास्थल का नाटकीय रूपांतरण करने पर साबित हुआ था कि वाहन उसी दिशा में गया था, जैसा स्थानीय पुलिस ने मुठभेड़ के समय दावा किया था.

वंजारा की तरफ से दलीलें पूरी होने के बाद विशेष न्यायाधीश जेके पांड्या ने मामले में अगली सुनवाई 30 जून तक स्थगित कर दी. इसके बाद सीबीआई द्वारा मामले में अपनी दलीलें रखी जाएंगी. मालूम हो कि सीबीआई ने अपनी जांच में इस एनकाउंटर को फ़र्ज़ी बताया था. 

वंजारा के साथ गुजरात के पूर्व पुलिस अधिकारी एनके अमीन ने भी इस मामले में आरोपमुक्त किये जाने की मांग को लेकर विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. एनके अमीन की याचिका के बाद दोनों पक्षों के तर्क सुने गए और अदालत ने अपना फ़ैसला 30 जून तक के लिए आरक्षित कर दिया है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़ मामले की सुनवाई के दौरान वंजारा के वक़ील ने अहमदाबाद पुलिस की फायरिंग के बाद इशरत जहां की ‘कार रुकने के तरीक़े’ के बारे में सीबीआई की थ्योरी को गलत बताया है.

गज्जर ने अदालत में कहा, ‘यह साबित करने के लिए कि मुठभेड़ फ़र्ज़ी थी, सीबीआई ने चार्जशीट में उल्लेख किया कि जिस कार में इशरत और उनके तीन साथी थे उस पर पुलिस ने पीछे के बाएं टायर पर गोली चलाई थी और कार सड़क के दाहिनी तरफ रुकी थी. सीबीआई का कहना था कि कार बाएं तरफ रुकनी चाहिए थी.’

कार के मूवमेंट के आधार पर सीबीआई ने इस एनकाउंटर को फ़र्ज़ी क़रार दिया था. गज्जर ने यह भी कहा कि सीबीआई की कार के दाहिने तरफ डिवाइडर के पास रुकने की थ्योरी एनकाउंटर सीन के पुनर्निर्माण के दौरान गलत साबित होती है. इस मामले के नाटकीय रूपांतरण के दौरान जब ठीक उसी तरह से फायरिंग की गई, तब डेमो कार भी दाहिनी तरफ रुकी जैसे इशरत जहां की कार रुकी थी.

ज्ञात हो कि अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने 15 जून, 2004 को शहर के बाहरी इलाके में महाराष्ट्र के मुम्ब्रा की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां, उसके दोस्त जावेद शेख उर्फ प्रणेश, जीशान जोहर और अमजद राणा को कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था.

पुलिस का दावा था कि ये सभी एक आतंकवादी संगठन से ताल्लुक रखते थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश कर रहे थे.

इसके बाद हुई गुजरात हाईकोर्ट की एसआईटी जांच और फिर सीबीआई जांच में यह साबित हुआ था कि यह एक फर्जी एनकाउंटर का मामला था और  पुलिस का यह दावा कि उन्होंने ‘आत्मरक्षा’ में गोली चलाई थी, झूठ है.

इस एनकाउंटर के लगभग एक दशक बाद जुलाई 2013 में पीपी पांडे सहित गुजरात पुलिस के सात अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. फरवरी 2014 में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट में 4 आईबी अधिकारियों का नाम भी शामिल किया गया.

मालूम हो कि वंजारा ग़ैर-न्यायिक हत्याओं के आरोपों के चलते 2007 से 2015 तक जेल में थे. गुजरात पुलिस के डीआईजी रहे वंजारा सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में भी आरोपी थे, जिससे उन्हें पिछले साल सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)