राजस्थान के हाड़ौती संभाग के बारां और कोटा ज़िलों का मामला. पुलिस ने आरोपों को ख़ारिज किया.
कोटा: राजस्थान के हाड़ौती संभाग में दो और किसानों की मौत होने की सूचना है. इसमें से एक के परिवार ने आरोप लगाया है कि लहसुन की फसल के अच्छे दाम न मिलने की वजह से वह अवसाद में थे और हृदयाघात से उनकी मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने परिवार के इस आरोप को खारिज किया है.
यह किसान हाड़ौती संभाग के बारां ज़िले के गुराडी गांव के वाले थे. वहीं 12 जून को कोटा ज़िले के डाबरी खुर्द गांव के एक अन्य किसान ने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली.
गुराडी गांव के मृतक किसान रामकल्याण मीणा (60) के पुत्र ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि लहसुन की कम कीमत को लेकर अवसाद के चलते उसके पिता की बीते 15 जून को हृदयाघात से मौत हो गई.
हरनावादासाहजी पुलिस थाने के प्रभारी रामहेतार परेता ने बताया कि मीणा के पुत्र ने दावा किया कि उसके पिता सात बीघा जमीन पर लहसुन की खेती करते थे जो उन्होंने किराए पर ली थी और साथ ही उन्होंने छह लाख रुपये का कर्ज भी लिया था.
शिकायत के अनुसार, उसके पिता लहसुन की फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने से परेशान थे. इससे वह अवसाद में चले गए थे. शिकायत में कहा गया है कि फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान का कर्ज दोगुना हो गया था.
हालांकि पुलिस का कहना है कि उसे प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मीणा न तो लहसुन की खेती करता था और न ही उसके ऊपर कोई कर्ज था.
थाना प्रभारी ने बताया कि मीणा एक खेतिहर मजदूर था. हालांकि उसके पास छोटी सी जमीन थी लेकिन उसका लहसुन की खेती से कोई लेना-देना नहीं था.
उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की स्वाभाविक या दुर्घटनावश मौत होती है तो उसे मुआवजा और वित्तीय सहायता पाने के लिए लहसुन की कम कीमतों को लेकर अवसाद में मौत होने के रूप में पेश किया जाता है और क्षेत्र में ग्रामीणों के बीच यह एक प्रवृत्ति बन गई है.
थाना प्रभारी ने बताया कि जिस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उसे ले जाया गया, वहां के चिकित्सकों का कहना है कि उसकी मौत हृदयाघात से होने की आशंका है.
उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.
उधर, कोटा ज़िले के डाबरी खुर्द गांव में रहने वाले किसान 52 वर्षीय किसान अब्दुल कयूम ने ज़हर खाकर जान दे दी.
क्या प्रदेश में लहसुन के कम दामों की वजह से अब्दुल ने आत्महत्या की, इस सवाल के जवाब में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एसएचओ ने कहा, ‘प्राथमिक जांच में पता चला है कि अब्दुल ने कई लोगों से क़र्ज़ ले रखा था. अभी तक की जांच में ऐसा नहीं लग रहा है कि अब्दुल ने लहसुन के कद दामों की वजह से आत्महत्या की.’
मालूम हो कि इससे पहले लहसुन की उपज के कम भाव मिलने की वजह से राजस्थान के हाड़ौती संभाग (कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड़ ज़िले) में पांच किसान आत्महत्या कर चुके हैं जबकि दो की सदमे से मौत हो चुकी है.
बारां ज़िले के बलदेवपुरा के चतुर्भुज मीणा ने बीते 24 मई को लहसुन मंडी में अपनी उपज का दाम पता करने गए थे. वहां उन्हें 500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला तो उनकी हिम्मत जवाब दे गई. उन्होंने इसी दिन रात को सल्फास खाकर अपनी जा दे दी.
वहीं कोटा के बृजनगर के 38 वर्षीय हुकम चंद मीणा की दास्तां भी ऐसी ही है. उन्होंने 23 मई को अपनी जान दे दी.
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)