जम्मू कश्मीर में भाजपा के पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने के साथ अब राज्य में राज्यपाल शासन अपरिहार्य नज़र आ रहा है. राज्य के हालात पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उच्चस्तरीय बैठक की है.
श्रीनगर/नई दिल्ली: पीडीपी प्रमुख और जम्मू कश्मीर की निवर्तमान मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को अनुच्छेद 370 एवं एकतरफा संघर्षविराम का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य में सख्ती की नीति नहीं चलेगी और सुलह सबसे अहम है.
पीडीपी कार्यकर्ताओं और मंत्रियों से अपने आवास पर लगभग एक घंटे की बैठक के बाद महबूबा ने कहा, ‘मैं इससे अचंभित नहीं हूं क्योंकि कभी भी सत्ता के लिए यह गठबंधन नहीं किया गया था. पीडीपी सत्ता की राजनीति में यकीन नहीं करती है और हमने लोगों के लिए काम किया.’
महबूबा ने कहा कि यह समझना होगा कि जम्मू कश्मीर दुश्मन का क्षेत्र नहीं है जैसा कि कुछ लोग समझते हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा कहा है कि जम्मू कश्मीर में सख्ती नहीं चलेगी, सुलह अहम है.’ उन्होंने संवाददाता सम्मेलन की शुरुआत ही धारा 370 पर बात के साथ की. उन्होंने कहा, ‘… हमने (संविधान के) अनुच्छेद 370 और 35 (ए) की रक्षा की और हम ऐसा करते रहेंगे.’
राज्य की पीडीपी-भाजपा सरकार से भगवा पार्टी के अलग होने के बाद महबूबा ने कहा, ‘हमने पथराव करने वालों के खिलाफ दर्ज 11,000 मामले वापस लिए हैं.’ उन्होंने रमजान के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा एकतरफा संघर्ष विराम उल्लंघन के एलान और 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाहौर की यात्रा का भी जिक्र किया.
मंगलवार शाम राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने वाली महबूबा ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में बातचीत और सुलह के लिए कोशिश करती रहेगी. उन्होंने कहा, ‘मैंने राज्यपाल से कहा है कि मैं किसी और के साथ गठबंधन नहीं करूंगी.’
राजनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक की
जम्मू कश्मीर में भाजपा के पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने के साथ मंगलवार को तीन साल पुरानी राज्य सरकार गिरने के बाद अब राज्य में राज्यपाल शासन अपरिहार्य नजर आ रहा है. अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ए एन वोहरा से एक रिपोर्ट का इंतजार है जिसके बाद राज्यपाल शासन लागू करने संबंधी औपचारिकताएं शुरू की जाएंगी.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने आवास पर गृह सचिव राजीव गाबा और खुफिया ब्यूरो एवं उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक करके जम्मू कश्मीर की जमीनी स्थिति का आकलन किया.
नई सरकार के गठन की संभावना नजर नहीं आने के बीच, अगर आठवीं बार राज्यपाल शासन लागू होने की स्थिति बनती है तो यह चौथा मौका होगा जब एनएन वोहरा के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर में केंद्रीय शासन लगाया जाएगा. पूर्व नौकरशाह वोहरा 25 जून 2008 को राज्यपाल बने थे.
विपक्ष ने साधा निशाना
जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी की तीन साल से चली आ रही सरकार मंगलवार को गठबंधन से भाजपा के समर्थन वापस लेने से गिर गई और इसे लेकर सियासी दलों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया भी आई.
जम्मू कश्मीर में सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ‘भाजपा-पीडीपी के अवसरवादी गठबंधन ’ ने जम्मू कश्मीर को आग में झोंक दिया, कई निर्दोष नागरिकों और बहादुर सैनिकों की हत्या हुई और अगर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा तो भी यह नुकसान जारी रहेगा.
कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा, ‘अक्षमता, घमंड और नफरत हमेशा विफल होती है.’ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रदेश में गठबंधन सरकार में कई निर्दोष नागरिक और बहादुर सैनिक मारे गए. उन्होंने कहा, ‘इसका रणनीतिक नुकसान हुआ और संप्रग की सालों की कठिन मेहनत को इसने बर्बाद कर दिया. राष्ट्रपति शासन के दौरान भी यह नुकसान जारी रहेगा.’
वाम दलों ने भी कहा कि भाजपा का पीडीपी के साथ आना अवसरवादिता था और इसका यही अंजाम होना था. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘ऐसा गठबंधन नहीं होना चाहिए था. इन दोनों दलों में कोई समानता नहीं है. उनका सत्ता के लिए साथ आना अवसरवादिता था.’
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा कि भाजपा ने अपनी सरकार की विफलताओं से बचने के लिये यह फैसला लिया. पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने यह बात कही.
महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने भगवा पार्टी के फैसले को ‘राजनीतिक कदम’ करार दिया. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि पीडीपी-भाजपा का साथ आकर सरकार बनाना‘ अप्राकृतिक और अनैतिक’ था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी गठबंधन से अलग होने के भाजपा के फैसले पर ट्वीट कर निशाना साधा. केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘बर्बाद करने के बाद भाजपा कश्मीर में गठबंधन से बाहर हो गई. क्या भाजपा ने हमसे यह नहीं कहा था कि नोटबंदी से कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गयी? तब क्या हुआ?’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)