एक सर्वे के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर नस्लभेद और अप्रवासियों का भय वैश्वीकरण के लिए बड़ा ख़तरा हैं, लेकिन भारत के युवाओं का मानना है कि धार्मिक मतभेद और राष्ट्रवादी राजनीति दूसरे ख़तरों से बड़े हैं.
मुंबई: कामकाज की उम्र वाले भारतीय युवाओं में से अधिकांश का मानना है कि पिछले तीन साल में दुनिया अधिक विभाजित हुई है. उनके अनुसार, धार्मिक मतभेद और राष्ट्रवादी राजनीति सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.
भुगतान संबंधी सेवाएं देने वाली कंपनी वेस्टर्न यूनियन के सर्वे में कहा गया है, ‘देश के करीब 69 प्रतिशत ऐसे युवा जिनका जन्म वर्ष 1980 से 2000 के बीच हुआ, उनका कहना है कि दुनिया 2015 की तुलना में अब अधिक विभाजित हुई है. 10 में से पांच से अधिक युवा मानते हैं कि 2030 तक यह विभाजन और अधिक गहरा हो जाएगा.’
सर्वे कहता है कि इस आयु वर्ग के युवा महसूस करते हैं कि वैश्विक नागरिकता तथा सीमाविहीन विश्व की अवधारणा के सामने धार्मिक मतभेद तथा राष्ट्रवादी राजनीति सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं. इनके बाद खतरों में अप्रवासियों का भय तथा नस्लभेद है.
यह सर्वे उस समय आया है जब विभाजनकारी राजनीति और सामाजिक ध्रुवीकरण, जिनके चलते समाज में भीड़ द्वारा पीटकर लोगों को मारने की बढ़ती घटनाएं और नफरती अपराध देश-विदेश में सुर्खियां बन रहे हैं, पर देश चिंतित है.
सर्वे कहता है कि उक्त श्रेणी के युवाओं ने वैश्विक स्तर पर नस्लभेद और अप्रवासियों के डर को वैश्वीकरण के लिए सबसे बड़ा खतरा माना, लेकिन भारतीय स्तर पर धार्मिक मतभेदों और राष्ट्रवादी राजनीति को दूसरे खतरों से बड़ा माना.
वैश्विक नागरिकता पाने और सामाजिक भेदभाव खत्म करने के लिए युवा विविधता के लिए सम्मान रखने को उच्च प्राथमिकता देते हैं. इसके बाद वे स्वीकार्यता, सामाजिक जिम्मेदार होना और परस्पर सांस्कृतिक जागरूकता या नई संस्कृति को अपनाने की क्षमता पर जोर देते हैं.
अधिकांश का मानना है कि आदर्श दुनिया वह है जहां तकनीक एक देश में रहना और दूसरे देश में काम करना आसान बना देगी. जहां लिंग, धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता के आधार पर कोई बाधा नहीं होगी और दुनिया में कहीं भी रहने, काम करने और खेलने में सक्षम होंगे.
सर्वे 15 देशों के 19 से 36 की उम्र वाले 10,000 से अधिक युवाओं से प्राप्त इनपुट्स पर आधारित है. इसमें देश के भी 844 युवा शामिल थे.
वेस्टर्न यूनियन के दक्षिण एशिया और भारत-चीन क्षेत्र की उपाध्यक्ष सोहिनी राजोला ने कहा कि सकारात्मक बात ये है कि वैश्विकरण की ताकत को भारतीय युवा समझता है और बेहतर भविष्य के लिए उसका भरोसा आपसी तालमेल और सहयोग में है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)