भारत ने कश्मीर पर मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की रिपोर्ट को ‘भ्रामक’ बताकर ख़ारिज कर दिया था.
नई दिल्ली/श्रीनगर: अलगाववादियों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में अर्जी दाखिल कर एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने की मांग की है ताकि कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन के मामलों की विस्तृत जांच की जा सके.
सैयद अली शाह गिलानी, मोहम्मद यासीन मलिक और मीरवाइज उमर फारूक की ओर से दायर अर्जी में कथित मानवाधिकार हनन के मामले गिनाते हुए दावा किया गया है कि स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करना जरूरी है.
कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए अलगाववादी नेता ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में स्थापित तथ्यों के आधार पर हम इस अपील के साथ आपका रुख कर रहे हैं कि आप अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर परिषद के सदस्यों को कश्मीर पर जांच बिठाने में मदद के लिए राजी करें.’
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने पिछले हफ्ते कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की और इसकी अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की. इस रिपोर्ट पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे ‘झूठा और प्रेरित’ दस्तावेज करार दिया.
पूर्व आईपीएस अधिकारी विजय कुमार बनाए गए राज्यपाल के सलाहकार
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने सुरक्षा उपायों की समीक्षा की और सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक एवं उग्रवाद विरोधी अभियानों के विशेषज्ञ माने जाने वाले विजय कुमार को अपना एक सलाहकार नियुक्त किया.
वोहरा द्वारा श्रीनगर में कई बैठकें करने के बीच, थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि घाटी में आतंकवादियों के खिलाफ चल रहा अभियान पहले की तरह जारी रहेगा.
जनरल रावत ने नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि राज्य में राज्यपाल शासन लागू होने से मौजूदा सैन्य अभियानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, छत्तीसगढ़ कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम को बीबी व्यास की जगह मुख्य सचिव नियुक्त किया गया. व्यास और पूर्व आईपीएस अधिकारी विजय कुमार (65) को राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है. कुमार जंगल में उग्रवाद निरोधक अभियान चलाने में माहिर माने जाते हैं.
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दोनों सलाहकारों के नाम पर मंजूरी दी.
तमिलनाडु कैडर के 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे कुमार 1998-2001 में बीएसएफ के महानिरीक्षक (आईजी) के तौर पर कश्मीर घाटी में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उस वक्त बीएसएफ घाटी में आतंकवाद निरोधक अभियानों में काफी सक्रिय था.
कुमार उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उनकी अगुवाई वाली एसटीएफ ने कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को अक्तूबर 2004 में तमिलनाडु में हुई एक मुठभेड़ में मार गिराया था.
बाद में कुमार को दुनिया के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ का महानिदेशक बनाया गया था.
साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवानों के शहीद होने के बाद कुमार को इस बल का डीजी बनाया गया था.
राज्यपाल की बैठकों के तहत थलसेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने वोहरा से मुलाकात की और राज्य में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की. राजभवन के प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल और थलसेना कमांडर ने घाटी में सुरक्षा प्रबंधन में बेहद करीबी समन्वय की जरूरत से जुड़े कुछ मुद्दों पर चर्चा की.
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र आतंकवाद का खात्मा कर कश्मीर में शांति कायम करना चाहता है. उन्होंने लखनऊ में पत्रकारों से कहा, ‘हमारा एकमात्र उद्देश्य है कि आतंकवाद खत्म होना चाहिए और कश्मीर में शांति कायम होनी चाहिए. हमारी सरकार यह ध्यान में रखकर काम करेगी.’
राज्य प्रशासन के प्रमुख का पदभार संभालने के बाद वोहरा ने श्रीनगर के सिविल सचिवालय में शीर्ष पुलिस और सिविल प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठकें की. राज्यपाल की बैठकों के दौरान अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा तैयारियों पर भी चर्चा हुई. अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू होने वाली है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)