दक्षिणी मुंबई के गिरगांव चौपाटी पर 2016 में हुए ‘मेक इन इंडिया’ समारोह के चलते समुद्री तट को काफी नुकसान हुआ है. अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत करने को भी कहा है.
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 2016 में दक्षिण मुंबई में गिरगांव चौपाटी बीच पर सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ समारोह ने समुद्र तट पर काफी हानि तथा क्षति पहुंचाई है.
अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से दो महीने के अंदर बीच के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत करने को भी कहा.
जस्टिस एएस ओका और जस्टिस पीएन देशमुख की खंडपीठ ने उस जनहित याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें वहां ढांचे स्थापित करने और समारोहों तथा रैलियों के कारण समुद्र तट पर मिट्टी कटने को लेकर चिंता जताई गई थी.
पीठ ने कहा, ‘समुद्र तट पर्यावरण का महत्वपूर्ण भाग होते हैं. अगर तटों पर प्रदूषण होता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा क्योंकि यह अनुच्छेद कहता है कि हर व्यक्ति को प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में जीवन जीने का अधिकार है.’
अदालत ने आगे कहा कि समुद्री तट पर किसी भी तरह का रैली या कार्यक्रम आयोजित कर उसे बर्बाद नहीं किया जा सकता.
अदालत आगे कहती है, ‘शहर में अब कुछ ही खुली जगह बची हैं जहां आम आदमी साफ हवा में सांस ले सकता है. गिरगांव चौपाटी का राष्ट्रीय महत्व भी है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि बाल गंगाधर तिलक का यहीं अतिम संस्कार हुआ था. उन्होंने आज़ादी के लिए बहुत बड़े त्याग किए. तट पर उनकी प्रतिमा युवाओं को प्रोत्साहित करती है.’
अदालत ने रेखांकित किया कि सिर्फ गणेश विसर्जन, रामलीला और कृष्णलीला जैसे कार्यक्रम ही निगरानी समिति के दिशानिर्देशों के अनुसार हो सकते हैं, उनके लिए भी 300×150 वर्ग फुट क्षेत्र में ही आयोजन करना होगा.
अदालत ने महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण को समुद्र तट के सीआरजेड (तटीय विनियमन क्षेत्र) क्षेत्र पर किसी भी अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया. अब मामले की अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)