घायल समीउद्दीन के भाई का कहना है कि जब उन्होंने एफआईआर पर दस्तखत किये तब पुलिस ने उन्हें घटनाक्रम की गलत जानकारी दी थी. घटना का वीडियो सामने आने पर उन्हें सच का पता चला.
बीते 16 जून को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोकशी के शक में भीड़ द्वारा दो व्यक्तियों को बुरी तरह पीटा गया था, इनमें से एक कासिम (45) की मौत हो गयी थी, वहीं दूसरे व्यक्ति समीउद्दीन (65) गंभीरावस्था में हापुड़ के एक अस्पताल में भर्ती हैं.
इस बीच समीउद्दीन के भाई यासीन खान का कहना है कि वे चाहते हैं कि मामले में दर्ज की गयी एफआईआर में बदलाव किये जाएं.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यासीन ने कहा है कि पुलिस एफआईआर में असली घटनाक्रम जोड़े और समीउद्दीन का बयान ले.
यासीन ने कहा, ‘उसके शरीर का कोई हिस्सा नहीं है कि जहां चोट का निशान न हो. उसके लीवर पर चोटें हैं, गुर्दों में चोट आई है, उनकी पसलियां, पांव-हाथ सब टूटे हुए हैं. उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया था… अगर वो बच पाते हैं तो यह चमत्कार ही होगा.’
उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने एफआईआर पर दस्तखत किये तब पुलिस ने उन्हें घटनाक्रम की गलत जानकारी दी थी. उन्होंने कहा, ‘जब पुलिस मेरे भाई का बयान दर्ज करेगी, तब सच सामने आ ही जाएगा. अभी उन्होंने इनका बयान नहीं लिया है.’
उन्होंने बताया कि जब 16 जून को यह घटना होने के बाद, जब वे पुलिस के पास पहुंचे तब पुलिस ने कहा कि ये बाइक की टक्कर लगने के बाद हुई मारपीट का मामला है. क्योंकि आरोपी हिंदू थे, इसलिए हम इसे कोई सांप्रदायिक मामला नहीं बनाना चाहते थे. पुलिस सीओ ने जैसी एफआईआर बताई, मैंने उस पर दस्तखत कर दिए. घटना के दो दिन बाद जब इसका वीडियो सामने आया, तब मुझे सच का पता चला.’
यासीन का कहना है कि अब जब ये सच सामने आ गया है कि हमला गोकशी के शक में हुआ है तो एफआईआर में बदलाव किए जाने चाहिए.
उनका कहना है, ‘एफआईआर में भले ही हत्या और हत्या के प्रयास की धारा लगायी गयी है, लेकिन घटना की जानकारी गलत है. ट्रायल में यह केस टिक नहीं पायेगा. मैं अपने भाई के साथ अस्पताल में हूं, इसलिए मेरे पास पुलिस के पास जाकर इस मामले को आगे बढ़ाने का समय नहीं है.’
यासीन का कहना है कि परिवार के पास बुरी तरह से घायल समीउद्दीन के इलाज के लिए पर्याप्त पैसे भी नहीं हैं. उन्होंने सरकार से किसी तरह की आर्थिक मदद मिलने से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘हमें अब तक उत्तर प्रदेश सरकार से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिली है. यह दुखद है कि भाजपा सरकार के शासन में राज्य में गाय के नाम पर गुंडागर्दी हो रही है. बहुत गलत हो रहा है… किसी को भी जान से मार दोगे क्या?’
यासीन ने यह भी कहा कि दादरी में हुए अखलाक़ हत्याकांड में सरकार ने उनके गंभीर रूप से घायल बेटे के इलाज की जिम्मेदारी उठाई थी. उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसी किसी तरह की मदद उनके परिवार को मिलेगी?
दूसरी ओर पुलिस ने इस मामले में केवल 2 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि एफआईआर दो दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ है.
विहिप और बजरंग के स्थानीय नेताओं ने इन दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन की धमकी दी है. उनका कहना है कि इन दोनों को गलत तरह से फंसाया जा रहा है.
वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी कासिम और समीउद्दीन के परिवार के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. हालांकि यासीन का कहना है कि वे नहीं चाहते कि यह मामला राजनीतिक बने.