बैंक ने मांगी गई जानकारी को संबंधित लोगों के बारे में व्यक्तिगत सूचना बताते हुए कहा कि ये सूचनाएं उसके पास ‘दूसरों की अमानत’ के तहत रखी गई हैं और क़ानून में इस तरह की जानकारी न देने की छूट है. बैंक द्वारा उपलब्ध करवाए गए ब्यौरे के अनुसार मार्च 2018 में उसने 222 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक के चुनावी बॉन्ड बेचे.
नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के बारे में सरकार को भेजी गयी रपट के बारे में सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के अंतर्गत आवेदन के जरिए मांगी गयी जानकारी देने से इनकार कर दिया है.
कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने इस बारे में आरटीआई के तहत आवेदन किया था. नायक ने एसबीआई द्वारा संबद्ध सूचना नहीं दिए जाने को ‘साफ तौर पर गलत’ बताया है.
बैंक ने मांगी गई जानकारी को संबंधित लोगों के बारे में व्यक्तिगत सूचना बताते हुए कहा कि ये सूचनाएं उसके पास ‘दूसरों की अमानत’ के तहत रखी गई हैं और कानून में इस तरह की जानकारी न देने की छूट है.
इसी आधार पर उसने एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों, इन्हें भुनाने वाले राजनीतिक दलों तथा इनकी बिक्री के बारे में सरकार को भेजी बैंक रपट की जानकारी देने से इनकार किया.
बैंक द्वारा उपलब्ध करवाए गए ब्यौरे के अनुसार मार्च 2018 में उसने 222 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक के चुनावी बॉन्ड बेचे. अप्रैल में यह बिक्री 114.9 करोड़ रुपये रही.
मुंबई में सबसे ज्यादा मूल्य के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए हैं. यहां एसबीआई की मुख्य शाखा से 122 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे गए. अप्रैल माह में यह बिक्री 53 करोड़ रुपये की रही.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 2018 इसी साल दो जनवरी को अधिसूचित की. इसके तहत भारतीय नागरिक एसबीआई से ये बॉन्ड खरीदकर उसे राजनीतिक दलों को चंदा देने में प्रयोग कर सकते हैं और पार्टियां उसे एक निश्चित अवधि में बैंक से भुना सकती हैं. इन बॉन्डों के क्रेता की जानकारी बैंक गुप्त रखता है.
नायक ने कहा कि आरटीआई अधिनिमय के तहत प्रस्तुत आवेदनों पर सूचना देने के लिए अधिकृत भारतीय स्टेट बैंक का प्रधान सूचनाधिकारी मतदाता बॉन्ड के खरीददार और उसके जरिए चंदा हासिल करने वाली राजनीतिक पार्टी के साथ बैंक के संबंधों को अमानती का संबंध मान रहा है. यह ग्राहक की गोपनीयता के संबंध में जारी रिजर्व बैंक के वृहद प्रपत्र के प्रावधानों का उल्लंघन है.