जज ने पत्रकार से पूछा क्या कोर्ट में जींस-टीशर्ट में आना ‘बॉम्बे’ का कल्चर है?

बॉम्बे हाई कोर्ट में क़ानूनी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों ने इस सवाल से नाराज़ होकर कोर्ट से वॉक आउट कर दिया.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट में क़ानूनी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों ने इस सवाल से नाराज़ होकर कोर्ट से वॉकआउट कर दिया.

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(फोटो: पीटीआई)

29 मार्च को हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर की एक टिप्पणी से नाराज़ होकर पत्रकारों ने कोर्ट से वॉक आउट कर दिया. उनकी इस टिप्पणी से पत्रकार खासे नाराज़ हो गए और इसे ‘मोरल पुलिसिंग’ कहा है.

स्क्रॉल डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार जब ये घटना हुई तब एक बड़े राष्ट्रीय अख़बार की वरिष्ठ पत्रकार वहीं मौजूद थीं. उन्होंने बताया कि कोर्ट में हाल ही में महाराष्ट्र में हुई डॉक्टरों की हड़ताल की सुनवाई होने वाली थी. चीफ जस्टिस जब कोर्ट पहुंचीं तब उन्होंने एक पत्रकार के कपड़ों को देखकर टिप्पणी की कि क्या कोर्ट की रिपोर्टिंग करने के लिए जींस-टीशर्ट पहनकर आना बॉम्बे का कल्चर है.

ऐसा भी बताया गया कि मुख्य न्यायाधीश ने पत्रकार को अपने पहनावे में कोर्ट की गरिमा का ध्यान रखने को भी कहा.

उनकी इस टिप्पणी को पत्रकारों ने ट्विटर पर साझा किया जिसके बाद ट्विटर पर इस टिप्पणी की आलोचना शुरू हो गई.

इससे पहले भी मुख्य न्यायाधीश चेल्लूर को डॉक्टरों की हड़ताल के मुद्दे पर डॉक्टरों की तुलना फैक्ट्री वर्करों से करने पर भी सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना झेलनी पड़ी थी.

बताया जा रहा है कि जब ये घटना हुई तब वहां टीवी और प्रिंट मीडिया के करीब 10 पत्रकार मौजूद थे. पत्रकार इसके बाद नाराज़ होकर कोर्ट से निकल गए और अब वे इस बारे में उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस को लिखने के बारे में सोच रहे हैं.

इससे पहले 2012 में भी ऐसी एक घटना हो चुकी है. तब एक पुलिसवाले ने महिला मीडियाकर्मी को कोर्ट में इसलिए जाने से रोका गया क्योंकि उन्होंने स्लीवलेस टॉप पहना हुआ था. इस पर पुलिस वाले का कहना था कि ऐसा 2011 में कोर्ट द्वारा पास किए गए एक आदेश के चलते किया गया था.