उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में एक शिक्षिका ने अपने तबादले का प्रश्न उठाया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने उनके निलंबन और उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दे दिया था.
नई दिल्ली: सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की शिक्षिका पत्नी सुनीता यादव पिछले 22 सालों से एक ही विद्यालय में नौकरी पर तैनात हैं. इस दौरान उनकी पदोन्नति भी हुई है लेकिन नियमानुसार उनका तबादला नहीं हुआ है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एक आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात को खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी सुनीता यादव देहरादून के अजबपुर कलां के एक स्कूल में 1996 से पदस्थ हैं. इस दौरान उन्हें 2008 में पदोन्नति भी मिली, लेकिन तब भी उनका तबादला किसी और जिले में नहीं किया गया.
जन संघर्ष मोर्चा के प्रवीण शर्मा द्वारा लगाई गई आरटीआई याचिका के जवाब में यह जानकारी शिक्षा विभाग ने दी है.
AN RTI query reveals that #Uttarakhand CM TS Rawat's wife Sunita Rawat is posted in a school in Dehradun's Ajabpur Kalan since 1996 even after she received promotion in 2008. CM had ordered suspension of a teacher after she argued with him in Janta Darbar y'day over her transfer. pic.twitter.com/yYTfMnpXLH
— ANI (@ANI) June 29, 2018
यहां इस बात का जिक्र भी करना जरूरी हो जाता है कि जब सुनीता रावत का प्रमोशन किया गया, उस समय उत्तराखंड में भाजपा के बीसी खंडूरी मुख्यमंत्री थे.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रावत ने गुरुवार को अपने जनता दरबार में एक महिला शिक्षक की बर्खास्तगी के आदेश दे दिए थे क्योंकि शिक्षिका ने अपने तबादले को लेकर मुख्यमंत्री के दरबार में आवाज उठाई थी. साथ ही उन्होंने शिक्षिका को हिरासत में लेने को भी कहा था.
#WATCH Uttarakhand Chief Minister Trivendra Singh Rawat directs police to take a teacher into custody after she protested at ‘Janata Darbar’ over issue of her transfer. CM Rawat suspended the teacher and asked her to leave. (28.06.18) pic.twitter.com/alAdCY74QK
— ANI (@ANI) June 29, 2018
57 वर्षीय उत्तरा बहुगुणा उत्तरकाशी के नौगांव क्षेत्र के एक प्राइमरी स्कूल में प्रिंसिपल हैं. बच्चों के साथ देहरादून में रहने की इच्छा का हवाला देते हुए वह पिछले कई सालों से अपना स्थानांतरण किए जाने की गुहार लगा रही हैं.
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद बहुगुणा को हिरासत में लेकर उनके ख़िलाफ़ पुलिस ने शांति भंग के तहत चालान कर दिया था. हालांकि, गुरुवार शाम को ही उन्हें सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.
वर्ष 2015 में अपने पति की मृत्यु के बाद से ही शिक्षिका परेशान चल रही थीं और अपने स्थानांतरण को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक अपनी गुहार लगा चुकी हैं.