कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक नियुक्त नहीं किए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देश में पुलिस सुधार के लिए मंगलवार को अनेक निर्देश जारी किए. अपने निर्देशों में शीर्ष अदालत ने कहा है कि ऐसा प्रयास होना चाहिए कि पुलिस महानिदेशक के पद के लिए चयनित और नियुक्त अधिकारी के पास पर्याप्त सेवाकाल बचा हो.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

सुप्रीम कोर्ट ने देश में पुलिस सुधार के लिए मंगलवार को अनेक निर्देश जारी किए. अपने निर्देशों में शीर्ष अदालत ने कहा है कि ऐसा प्रयास होना चाहिए कि पुलिस महानिदेशक के पद के लिए चयनित और नियुक्त अधिकारी के पास पर्याप्त सेवाकाल बचा हो.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश में पुलिस सुधार के लिए मंगलवार को अनेक निर्देश जारी किए और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया कि किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक नियुक्त नहीं किया जाए.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे उन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम केंद्रीय लोक सेवा आयोग के पास विचार के लिए भेजें जो पुलिस महानिदेशक अथवा पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति के संभावित दावेदार हों.

पीठ ने कहा कि लोक सेवा आयोग इस पद के लिए तीन सबसे अधिक उपयुक्त पुलिस अधिकारियों की सूची तैयार करेगा और इनमें से किसी भी एक अधिकारी को राज्य पुलिस का मुखिया नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र होगी.

पीठ ने कहा कि ऐसा प्रयास होना चाहिए कि पुलिस महानिदेशक के पद के लिए चयनित और नियुक्त अधिकारी के पास पर्याप्त सेवाकाल बचा हो.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित कोई भी नियम या राज्य का कानून ‘स्थगित रखा जायेगा.’ हालांकि पीठ ने पुलिस नियुक्तियों के बारे में कानून बनाने वाले राज्यों को यह छूट दी कि वे उसके आदेश में सुधार के लिए न्यायालय आ सकते हैं.

पीठ ने पुलिस सुधारों के लिए पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह की याचिका पर 2006 में सुनाये गए फैसले में सुधार के लिए केंद्र के आवेदन पर ये निर्देश दिए.

न्यायालय प्रकाश सिंह प्रकरण में दिए गए निर्देशों में से एक निर्देश में सुधार के लिए केंद्र की अर्जी पर सुनवाई कर रहा था. इसमें पुलिस महानिदेशकों का कम से कम दो साल का कार्यकाल सुनिश्चत करने के लिए कदम उठाने जैसा निर्देश भी शामिल था.

इससे पहले, पिछले साल आठ सितंबर को शीर्ष अदालत 2006 के इस फैसले में पुलिस महानिदेशकों और पुलिस अधीक्षकों के कार्यकाल की न्यूनतम अवधि सुनिश्चत करने जैसे निर्देशों पर राज्य सरकारों ने अभी तक अमल नहीं किया है.

भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी अंतरिम अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था. उनका कहना था कि संबंधित प्राधिकारियों ने अभी तक न्यायालय के 2006 के फैसले पर अमल नहीं किया है.

उपाध्याय ने मॉडल पुलिस विधेयक, 2006 लागू करने का अनुरोध किया था. पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस विधेयक का मसौदा तैयार किया था.

न्यायालय ने 2006 के फैसले में कहा था कि पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति मेरिट के आधार पर और पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए तथा पुलिस महानिदेशक और पुलिस अधीक्षक जैसे अधिकारियों का कम से कम दो साल का निश्चित कार्यालय होना चाहिए.

शीर्ष अदालत ने पुलिस के जांच संबंधी कार्यों और कानून व्यवस्था के कार्यों को अलग-अलग करने की सिफारिश की थी. इसके साथ ही न्यायालय ने पुलिस उपाधीक्षक के पद से नीचे अधिकारियों के तबादले, तैनाती, पदोन्नति और सेवा से संबंधित दूसरे मामलों पर फैसले के लिए पुलिस प्रतिष्ठान बोर्ड गठित करने की भी सिफारिश की थी.

इन निर्देशों पर अमल नहीं होने के कारण संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए दायर याचिकाएं अब भी लंबित हैं.