शीर्ष अदालत ने कहा, केंद्र सरकार ग़रीबों के लिए तीस हज़ार करोड़ रुपये की योजना का ‘मज़ाक़ बना रही’ है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण श्रमिकों के कल्याण की योजना का मसौदा श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर नहीं डालने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगायी और उसके हलफनामे को ‘पूरी तरह झूठा’ बताया.
न्यायालय ने कहा कि वह गरीबों के लिए तीस हजार करोड़ रुपये की योजना का ‘मजाक बना रही’ है.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा, ‘आप इसका मजाक बना रहे हैं. तीस हजार करोड़ रुपये दांव पर है. कौन परेशान हो रहा है? ये गरीब लोग. क्या यही करुणा और सहानुभूति है जो आप गरीब जनता के प्रति दर्शा रहे हैं.’
पीठ ने इसके साथ ही केंद्रीय श्रम सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि उसके आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ. पीठ ने कहा कि तीस हजार करोड़ रुपये भवन और निर्माण कार्य में संलिप्त श्रमिकों के कल्याण के लिए थे.
शीर्ष अदालत ने इससे पहले भी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा हलफनामा दाखिल करने के बाद केंद्र को आड़े हाथ लिया था जिसमे कहा गया था कि निर्माण श्रमिकों के कल्याण के निमित्त बने कोष का एक हिस्सा तो लैपटाप और वाशिंग मशीनों की खरीद पर खर्च कर दिया और दस फीसदी से कम राशि इसके असली उद्देश्य पर खर्च किया गया.
यह तथ्य सामने आने पर शीर्ष अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि 30 सितंबर तक देश भर के निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए एक मॉडल योजना तैयार की जाये जिसमे उनके लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और पेंशन जैसे मुद्दे शामिल हों.
सुनवाई शुरू होते ही केंद्र के वकील ने पीठ के समक्ष एक हलफनामा पेश किया और कहा कि इन श्रमिकों के कल्याण हेतु एक मॉडल योजना का मसौदा तैयार हो गया है और इसे श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.
न्यायमूर्ति लोकूर ने इस पर व्यंग्य के साथ कहा, ‘मैंने इसे कल ही देखा है. वेबसाइट पर कुछ नहीं है.’ वकील ने जब जोर देकर कहा कि वेबसाइट पर मसौदा है और मंत्रालय ने ऐसा हलफनामे में भी कहा है तो पीठ ने पलट कर कहा, ‘यह सरासर गलत है. यह अब वहां क्यों नहीं है?’
इसके बाद वकील ने पीठ से कहा कि यह योजना करीब एक महीने तक वेबसाइट पर थी और इसे बाद में हटा दिया गया.
पीठ ने सवाल किया, ‘क्यों? यह सब क्या हो रहा है? आप हमें बतायें कि आप किसको मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं. आपका हलफनामा पूरी तरह गलत है. आपने इसे सिर्फ एक महीने के लिए ही वेबसाइट पर क्यों रखा?’
देश की गरीब जनता की परेशानियों को लेकर तल्ख टिप्पणी करते हुये पीठ ने कहा, ‘आप अपने श्रम मंत्रालय के सचिव को बुलाएं. हम जानना चाहते हैं कि यह सब क्या हो रहा है.’
केंद्र ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि एक कार्ययोजना और भवन तथा निर्माण श्रमिकों के कल्याण की मॉडल योजना तैयार करने के लिए समिति गठित की गई है.
पीठ ने सात मई को कहा था कि इस साल एक जून तक रिपोर्ट का मसौदा पूरी तरह सकारात्मक होना चाहिए. सरकार ने तब न्यायालय से कहा था कि मॉडल योजना का मसौदा लगभगत तैयार है ओर इसे एक सप्ताह के भीतर सभी हितधारकों को दिए जाने की संभावना है.
शीर्ष अदालत भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार का नियमन और सेवा शर्ते) कानून, 1986 और भवन तथा अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर कानून, 1996 पर अमल से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही है.