अनशन पर बैठे करीब 26 विद्यार्थियों का आरोप है कि उन्हें दाख़िला न मिल सके इसलिए विश्वविद्यालय ने उनका प्रवेश परीक्षा का परिणाम रोक लिया है. हाईकोर्ट ने कुलपति, रजिस्ट्रार और एसएसपी को किया तलब.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ यूनिवर्सिटी (एलयू) में दाख़िला न मिलने से नाराज़ सोमवार से यूनिवर्सिटी के द्वार पर भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को बुधवार को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है. हड़ताल पर बैठे छात्रों का आरोप है कि अन्य 25 लोगों को भी दाख़िला देने से इनकार कर दिया गया और ये कोई नहीं बल्कि पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गाड़ी के सामने काला झंडा दिखाने वाले छात्र हैं.
यूनिवर्सिटी अधिकारियों का दावा है कि इन छात्रों को निष्काषित किया गया था, इसलिए इनका प्रवेश परीक्षा परिणाम रोक दिया गया है और कुछ छात्रों को इन शर्तों पर परीक्षा में बैठने दिया गया कि वे भविष्य में किसी भी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन नहीं करेंगे.
समाजवादी पार्टी की नेता पूजा शुक्ला और एनएसयूआई के नेता गौरव त्रिपाठी अपने-अपने संगठन के लोगों के साथ यूनिवर्सिटी प्रशासन के ख़िलाफ़ अनशन पर बैठे थे.
पूजा शुक्ला को गिरफ़्तार कर लिया गया है और वे अभी अस्पताल में हैं. अनशन स्थल पर मौजूद एक छात्र ने बताया कि गौरव की तबियत ख़राब होने के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है और बुधवार को हुए विवाद के समय वे अनशन स्थल पर मौजूद नहीं थे.
पुलिस ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता अंकित सिंह बाबू को भी गिरफ़्तार कर लिया है. अंकित ने द वायर से बात करते हुए बताया, ‘हम सभी लोग अनशन पर बैठे थे. शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग को लेकर सभी लोग बैठे हुए थे. तभी आशीष मिश्रा नाम के एक युवक ने प्रॉक्टर विनोद सिंह से हाथपाई की और घटनास्थल से फ़रार हो गया. पुलिस ने उसकी जगह निर्दोष और अनशन कर रहे छात्रों को पीटने लगी. मैंने बीच-बचाव करने का प्रयास किया, तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया और घसीट कर हसनगंज पुलिस स्टेशन ले आई. क्या अब इस मुल्क में अपनी अधिकारों के लिए लड़ने पर भी जेल में डाल दिया जाएगा. इससे अच्छे तो अंग्रेज़ थे, जो सत्याग्रह और अनशन तो करने देते थे. मुझ पर धारा 307 और धारा 07 के अलावा कई अन्य फ़र्ज़ी मामले दर्ज़ कर लिए गए हैं. मुझे अब जेल भेजने वाले हैं.’
अंकित ने आगे बताया, ‘मैं वूमेन स्टडीज का छात्र था, लेकिन प्रशासन ने पहले सेमेस्टर में ही मुझे निष्कासित कर दिया और जब मैंने वीसी सुरेंद्र प्रताप सिंह से अनुरोध किया तो उन्होंने कहा कि मैं कुछ भी कर सकता हूं. बताइए क्या ये एक शिक्षक की भाषा हो सकती है. सरकार तो निरंकुश है, लेकिन एक शिक्षक निरंकुश कैसे हो सकता है.’
पूजा शुक्ला ने द वायर से बात करते हुए बताया, ‘एमए की प्रवेश परीक्षा चार जून, 2018 को हुआ था और 28 परिणाम जारी होना था, जो हुआ नहीं. 29 को हम कोर्डिनेटर से बात किये, वो बोले प्रॉक्टर से मिलो. जब प्रॉक्टर से मिले तो वो बोले की ऊपर से बहुत दबाव है. उसके बाद हम वीसी सुरेंद्र प्रताप सिंह से मिले तो उनकी भाषा किसी सड़क के गुंडे वाली थी. उन्होंने कहा जो करना है कर लो जिसको बोलना है बोलो ये मेरा यूनिवर्सिटी है मेरी मर्ज़ी मैं चाहूंगा उसे दाखिला दूंगा. जब हमारी बात नहीं मानी गई तो हमने यूनिवर्सिटी के साथ प्रशासन को भी बता दिया कि हम अनशन करेंगे. सोमवार से हम अनशन पर बैठे हैं.’
पूजा का कहना है कि उनके साथ अनशन पर बैठे किसी साथी ने कोई हाथापाई या उपद्रव नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया है कि इसमें एबीवीपी का हाथ है और यह सब वीसी के इशारे पर हुआ है.
पूजा ने आगे बताया, ‘बुधवार को हमने पानी तक छोड़ दिया था. अनशन से कुछ दूर पर किसी ने प्रॉक्टर पर हमला किया, जिसके बाद पुलिस हमें घसीटते हुए ले गयी. हम जानते है कि एबीवीपी से जुड़े लोगों ने प्रोफेसर और प्रॉक्टर पर हमला किया था. मैंने पुलिस से कहा था कि यहां विवाद हो सकता है, अनशन चल रहा था, इसी वजह से सारी पुलिस अनशन स्थल पर पहुंची. पुलिस ने मुझे घसीटकर बस में बिठाया और बस के अंदर पीटा. प्रॉक्टर पर हमला करने वाला आशीष मिश्रा एबीवीपी से जुड़ा हुआ था. मैंने खुद उसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया था. हमला करने वाला वीसी के साथ शराब पीता है. ये सब कुछ वीसी ने करवाया है. हम तो शांति से बैठे थे हमें किस बात के लिए गिरफ़्तार किया. अपने बेटे को यूनिवर्सिटी का क़ानूनी सलाहकार बना दिया और बाकी के बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद करने पर उतारू हैं. मुख्यमंत्री और मौजूदा सरकार छात्रों से इतना डरती क्यों है? अनपढ़ों की जमात जब देश पर हुकूमत करने लगे तो वे छात्रों से खौफ खाते हैं. मैं अस्पताल में में हूं और अब भी मुझे हिरासत में रखा हुआ है.’
मालूम हो कि नए सत्र के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी में दाखिले की काउंसिलिंग चल रही थी, जिसे प्रशासन ने अगले आदेश तक रोक दिया है और साथ ही यूनिवर्सिटी भी बंद है. इसके बाद प्रशासन ने आरोप लगाया था कि उनके एक शिक्षक पर हमला हुआ है और पुलिस भी किसी भी तरह की सहायता नहीं कर रही है.
हालांकि पुलिस ने बुधवार रात को मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को गिरफ़्तार कर लिया है.
Lucknow University teachers attacked inside the campus brutally by anti social elements & outsiders. Proctor & his team, DSW, Dean CDC injured. Police uncooperative. Teachers stop counselling. University closed till further notice. @CMOfficeUP @drdineshbjp
— University of Lucknow (@lkouniv) July 4, 2018
अमर उजाला के अनुसार, कुलपति सिंह ने बताया कि एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में लेक्चर देकर जब वे दोपहर करीब डेढ़ बजे वापस आए तो घात लगाकर बैठे आशीष मिश्रा बॉक्सर (निष्कासित छात्र), आकाश लाला और विनय यादव ने सहित 15-20 लोगों ने उन पर हमला किया. प्रॉक्टोरियल टीम ने बीच-बचाव कर उन्हें गाड़ी में बैठाकर रवाना किया.
उनका आरोप है कि फिर उपद्रवियों ने प्रॉक्टर प्रो. विनोद सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो.राजकुमार सिंह, चीफ प्रोवोस्ट प्रो.संगीता रानी, डीन सीडीसी प्रो.आरआर यादव, एडिशनल प्रॉक्टर प्रो. गुरनाम सिंह, डॉ. अरुण कुमार समेत दर्जन भर शिक्षकों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, उन पर पत्थरबाजी भी की. इसके बाद वे सभी यहां से भाग गए.
कुलपति ने बुधवार को हुई एक प्रेस वार्ता में कहा था कि उन पर हमला करने वाले लोग घटना को अंजाम देने वाले एलयू के छात्र नहीं थे, बल्कि असामाजिक तत्व थे, जो खुद को सपा कार्यकर्ता बता रहे थे
वीसी के इस आरोप पर समाजवादी पार्टी प्रवक्ता और विधानपरिषद के सदस्य सुनील सिंह साजन ने द वायर से बात करते हुए इनकार किया है.
उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने प्रॉक्टर और शिक्षकों पर हमला किया है इनका समाजवादी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. ये हमारी पार्टी के किसी भी इकाई के सदस्य नहीं है. हिंसा करने वाले वीसी साहब के बहुत अच्छे दोस्त हैं और उनके साथ घूमते हैं. निर्दोष छात्रों को गिरफ़्तार कर सरकार ने लोकतंत्र का अपमान किया है.’
उन्होंने वीसी पर आरोप लगाया कि बीते साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाने की वजह से कई विद्यार्थियों का प्रवेश रोका गया है. उन्होंने कहा, ‘वीसी साहब यूनिवर्सिटी को आरएसएस की शाखा बनाना चाहते हैं, लेकिन हम ये होने नहीं देंगे. वीसी कैसे तर्क दे सकते हैं कि योगी को काला झंडा दिखाया इसलिए दाखिला नहीं मिलेगा. क्या विचारधारा के आधार पर दाख़िला दिया जाता है? ये शिक्षा के मूल और उसकी आत्मा का अपमान है. हमारी पार्टी पूजा शुक्ला और उनके साथियों के साथ खड़ी है. छात्र लोकतंत्र का अहम हिस्सा है. उन पर हमला तो भारत के लोकतंत्र और तक़दीर पर हमला है.’
हालांकि छात्रों को प्रवेश न देने के बारे में यूनिवर्सिटी के अलग तर्क हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि छात्रों को इसलिए दाख़िला नहीं दिया गया क्योंकि वे सभी निष्कासित थे और इनमें से कुछ ने वादा किया था कि अगर उन्हें पिछले सेमेस्टर में फाइनल परीक्षा देने दी जाएगी, तो वे अगले सत्र में यूनिवर्सिटी के किसी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन नहीं करेंगे.
इस पर पूजा ने का कहना है, ‘मैं ये स्वीकार करती हूं कि कुछ छात्रों को निष्काषित किया गया था, लेकिन निष्कासन की एक समय सीमा होती है. अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन ये दावा कर रहा है कि कुछ छात्रों ने वादा किया था कि वे किसी पाठ्यक्रम में आवेदन नहीं करेंगे, तो वो सब प्रशासन के पास लिखित में होना चाहिए और अगर ऐसा कोई दस्तावेज उनके पास है तो उसे सार्वजानिक किया जाना चाहिए.’
लखनऊ यूनिवर्सिटी के जनसम्पर्क अधिकारी प्रोफेसर एनके पांडेय का कहना है, ‘इनमें से कुछ छात्रों को पहले से ही निष्कासित कर दिया गया है. कुछ अनुशासनहीनता की गतिविधियों में शामिल थे. दूसरों को पहले निष्कासित किया जा रहा था, लेकिन उन्होंने वादा किया और फिर चल रही डिग्री पूरी करने की अनुमति दी थी कि वे विश्वविद्यालय में किसी भी पाठ्यक्रम के लिए आवेदन नहीं करेंगे. हम तो नियम के अनुसार चल रहे हैं और जो लोग अनशन पर बैठे हैं, वे फिजूल में राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं.
अदालत ने कुलपति, रजिस्ट्रार, एसएसपी को किया तलब
लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में बुधवार हुई हिंसा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए संस्थान के कुलपति और रजिस्ट्रार को सम्मन जारी किया है. हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी आदेश दिया कि वह भी कल पीठ के समक्ष उपस्थित होकर मामले के बारे में पूरी जानकारी दें.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान की पीठ ने समाचार पत्रों में विश्वविद्यालय परिसर में हुई हिंसा की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कुलपति और अन्य को नोटिस जारी किया है. अदालत ने कुलपति, रजिस्ट्रार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 6 जुलाई को सुबह सवा दस बजे खंडपीठ के समक्ष पेश होने को कहा है.
डीजीपी ने आईजीपी को सौंपी जांच, एलयू चौकी प्रभारी निलंबित
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने प्रकरण की जांच पुलिस महानिरीक्षक (लखनऊ रेंज) सुजीत पाण्डेय को सौंप दी. सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए क्षेत्राधिकारी अनुराग सिंह का तबादला कर दिया जबकि एलयू चौकी प्रभारी पंकज मिश्र को निलंबित कर दिया.
कुलपति एसपी सिंह के नेतृत्व में एलयू शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार दोपहर पुलिस महानिदेशक सिंह से मुलाकात की थी. मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए डीजीपी ने कुलपति को आश्वासन दिया कि हिंसा में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने शिक्षकों से कार्य पर वापस लौटने की अपील की.
सिंह ने कहा, ‘मैंने एलयू हिंसा प्रकरण की जांच आईजी (लखनऊ रेंज) को सौंप दी है. मैंने संबंधित क्षेत्राधिकारी का तबादला कर दिया है और एलयू चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया है. मैंने शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी. साथ ही शिक्षकों से कार्य पर लौटने की अपील की है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)