अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा, धान के एमएसपी में 200 रुपये की वृद्धि किसानों के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात है.
नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले किसानों को लुभाते हुए केंद्र ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कदम को ऐतिहासिक बताया और दावा किया कि भाजपा नीत सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा किया है.
मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत का 1.5 गुणा कीमत उपलब्ध कराने के आश्वासन को पूरा किया गया है जबकि कांग्रेस ने उनके दावे को खारिज करते हुए इसे एक और ‘जुमला’ और ‘चुनावी लॉलीपॉप’ करार दिया.
माकपा से संबद्ध किसान संगठन अखिल भारतीय किसान सभा ने एमएसपी वृद्धि को ‘ऐतिहासिक विश्वासघात’ करार दिया. मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में धान, कपास और दालें समेत 14 खरीफ (ग्रीष्म ऋतु) फसलों के एमएसपी को बढ़ाने का फैसला किया गया.
प्रधानमंत्री ने बाद में ट्वीट किया, ‘मुझे बहुत खुशी है कि हमारे किसान भाइयों और बहनों को सरकार द्वारा जो उत्पादन लागत का डेढ़ गुणा स्तर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वायदा किया गया था उसे पूरा किया गया है. एमएसपी में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है. सभी किसानों को बधाई.’
भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने इस फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताया और कहा कि इस कदम से कृषि समुदाय को व्यापक फायदा होगा. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं प्रधान मंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं … किसानों के हित में यह एक बड़ा निर्णय है … इससे किसानों द्वारा सामना की जाने वाली कई समस्याओं का समाधान होगा.’
किसानों के साथ धोखा करने का सरकार पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने कृषि फसलों और मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा सिफारिश की गई किसी भी फसल की लागत सहित 50 फीसदी लाभ को नही दिया है.
उन्होंने कहा, ‘घोषित किया गया एमएसपी उस वादे को पूरा नहीं करता जिसमें लागत के अलावा 50 प्रतिशत लाभ देने का वायदा किया गया था. यह किसानों के साथ विश्वासघात नहीं तो और यह क्या है?’
उन्होंने कहा कि जो एमएसपी घोषणा की गई है उसे अगले साल किसानों को दिया जायेगा जब सरकार सत्ता से बाहर होगी और कोई और सरकार इसका भुगतान करेगी.
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एमएसपी में बढ़ोतरी मोदी के ‘गरीबों के लिए अधिकतम समर्थन’ की मंशा को रेखांकित करती है और इससे देश और यहां के किसान समृद्ध होंगे. उन्होंने कहा कि कि यह एक ऐतिहासिक कदम है जिसका ध्येय वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना है.
इससे पूर्व दिन में, सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड वृद्धि करने की घोषणा की थी. इस कदम के कारण राजकोष पर 15,000 करोड़ रुपये का बोझ आयेगा.
धान के एमएसपी में 200 रुपये वृद्धि, किसानों की आंखों में धूल झोंकने जैसा: किसान संगठन
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये क्विन्टल की वृद्धि के केंद्र सरकार के फैसले को ऐतिहासिक विश्वासघात करार देते हुए इसे भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किसानों की आंखों में धूल झोंकने के समान बताया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा लिया गया एमएसपी वृद्धि का यह निर्णय अगले आम चुनावों से करीब साल भर पहले आया है.
फसल वर्ष 2012-13 में धान के एमएसपी में पिछली सर्वाधिक वृद्धि 170 रुपये प्रति क्विंटल की हुई थी. पिछले चार वर्षों में, राजग सरकार ने धान के एमएसपी में 50 से 80 रुपये प्रति क्विंटल के बीच वृद्धि की है.
एआईकेएस ने एक बयान में कहा कि यद्यपि मोदी और भाजपा ने भारी उम्मीदें जगाई थी और 2014 के चुनावों में किसानों का समर्थन प्राप्त करने के बाद उन्होंने किसानों को धोखा दिया.
संगठन ने कहा कि सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के मुताबिक सी 2+ 50 प्रतिशत फॉर्मूला के मुताबिक एमएसपी तय करने का वादा किया था लेकिन उन्होंने ए 2 + एफएल लागतों के आधार पर एमएसपी की घोषणा की. जबकि उन्होंने अधिक व्यापक सी 2 लागत का वादा किया था.
स्वामीनाथन आयोग ने सुझाव दिया है कि एमएसपी को कृषि लागतों के व्यापक उपाय के आधार पर तय किया जाएगा जिसमें पूंजी की लागू लागत और जमीन पर किराए (जिसे सी 2 कहा जाता है) और किसानों को 50 प्रतिशत लाभ दिया जायेगा, लेकिन उसके बजाय एक संकुचित उपाय के तहत किसानों को आई लागत और पारिवारिक श्रम (ए 2 + एफएल) को संज्ञान में लेने वाले फार्मूले को अपनाया गया है.
एआईकेएस ने एक बयान में कहा, ‘यह वास्तव में उत्पादन की सी 2 लागत के कम से कम 150 प्रतिशत के स्तर पर एमएसपी को तय करने के किसानों को किए गए वादे के संदर्भ में एक ऐतिहासिक विश्वासघात है. भाजपा सरकार के चार साल किसानों के लिए कुछ भी किए बिना पूरे हो गए और वे होने वाले चुनावों के मौके पर आक्रामक अभियान चलाकर किसानों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास कर रहे हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)