2013 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कैलाश विजयवर्गीय पर अपने निर्वाचन क्षेत्र में आचार संहिता के उल्लंघन सहित मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब-पैसे बांटने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित अन्य सभी आरोपियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है.
पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर ज़िले की महू विधानसभा सीट पर हुए चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई.
चुनाव में तब कांग्रेस के उम्मीदवार रहे अंतर सिंह दरबार द्वारा दिसंबर 2017 में दायर की गई अपील पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कैलाश विजयवर्गीय, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विधायक कमल पटेल सहित 11 पक्षकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.
गौरतलब है कि मामले में दरबार ने विजयवर्गीय के ऊपर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन सहित मतदाताओं को लुभाने शराब, पैसे और अन्य उपहार बांटने का आरोप लगाया है.
इससे पहले दरबार ने विजयवर्गीय के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में चुनावों के कुछ समय बाद 20 जनवरी 2014 को चुनाव याचिका दायर की थी. लेकिन सबूतों के अभाव में कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था और विजयवर्गीय की विधायकी बरकरार रखने के आदेश दिए थे.
जिसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को दरबार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में दरबार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा सहित रघुवीर सिंह दरबार ने पैरवी की.
गौरतलब है कि अगर विजयवर्गीय पर आरोप सिद्ध होते हैं तो वे अगले छह सालो तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
दैनिक भास्कर के मुताबिक, दरबार ने जिन चार मुद्दों को आधार बनाकर याचिका दायर की थी उनमें विजयवर्गीय द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान मेडल और ट्रॉफी बांटना, चुनाव प्रचार के दौरान आरती के बाद महिलाओं को नोट बांटना, चुनाव में मतदाताओं को शराब बांटना और मुख्यमंत्री द्वारा मंच से मेट्रो को महू तक लाने और गरीबों को पट्टे देने की घोषणा शामिल था.