गृह मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2016 में अगवा बच्चों के 40.4 फीसदी मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल हुआ. वहीं, 2016 में देश में बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के 1,06,958 मामले दर्ज हुए, 2015 में इनकी संख्या 94,172 थी.
नई दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के चोरी हो जाने का जो डर है उसे पूरी तरह बेबुनियाद नहीं कहा जा सकता. खासतौर पर गृह मंत्रालय की ओर से जारी वर्ष 2016 के आंकड़ों को देखते हुए जिनके मुताबिक वर्ष में भारत से करीब 55,000 बच्चों को अगवा किया गया है और यह आंकड़ा एक वर्ष पहले के आंकड़ों के मुकाबले 30 फीसदी अधिक है.
गृह मंत्रालय की 2017-18 की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में 54,723 बच्चे अगवा हुए लेकिन केवल 40.4 फीसदी मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल किए गए.
वर्ष 2016 में बच्चों के अपहरण के मामलों में दोषसिद्धि की दर महज 22.7 फीसदी रही. वर्ष 2015 में ऐसे 41,893 मामले दर्ज किए गए, जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या 37,854 थी. वर्ष 2017 के आंकड़े अभी प्रस्तुत नहीं किए गए हैं.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हाल में हुए पीट-पीटकर हत्या के ज्यादातर मामलों के पीछे सोशल मीडिया पर बच्चा उठाने की अफवाहें थीं. आंकड़े बताते हैं कि बच्चों के अपहरण का डर, खासकर ग्रामीण इलाकों में , पूरी तरह से बेबुनियाद नहीं है.’
गुरुवार को गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उन घटनाओं का पता लगाने को कहा था जिनमें सोशल मीडिया पर बच्चा उठाने की अफवाहों के बाद भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या की घटना को अंजाम दिया.
बीते दो महीने में बच्चा चोरी के संदेह में 20 से ज्यादा लोगों की पीट-पीटकर हत्या की गई. हाल की घटना एक जुलाई को महाराष्ट्र के धुले में हुई जिसमें बच्चा चोर होने के शक में पांच लोगों की हत्या कर दी गई.
एक सुझाव में, गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को को कहा है कि वे बच्चा चोरी की अफवाहों पर निगाह रखें और उन पर काबू पाने प्रभावी कदम उठाएं.
मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलाया हुआ है कि 2016 में देश में मानव तस्करी के 8132 मामले दर्ज हुए.
इस दौरान 15379 पीड़ित जिनमें 5229 पुरुष और 10,150 महिलाएं शामिल थीं, की तस्करी की गई और 23117 पीड़ितों जिनमें 10,347 पुरुष और 12770 महिला शामिल थीं, को बचाया गया.
इनमें से 22932 भारत से ताल्लुक रखते थे, 38 श्रीलंका और नेपाल से और 36 बांग्लादेश से थे.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि 1,06,958 बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले 2016 में देश में दर्ज किए गए. जबकि 2015 में इनकी संख्या 94,172 थी. इस तरह 13.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई.
रिपोर्ट के अनुसार, प्रति एक लाख बच्चों पर अपराध की दर 24 रही.
2016 में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में मानव तस्करी, अपहरण, पॉक्सो और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों में बढ़ोतरी सर्वाधिक देखी गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)