बिहार के खगड़िया ज़िले से सेवानिवृत्त जज की इकलौती बेटी सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से प्रेम करती है.
खगड़िया: बिहार के खगड़िया जिले से हाल में सेवानिवृत्त हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाष चंद्र चौरसिया ने अपनी इकलौती पुत्री को अपनी सभी चल और अचल सम्पत्ति से बेदखल कर दिया है.
चौरसिया ने मंगलवार को मीडिया को एक पत्र जारी कर कहा, ‘आप लोगों को एक पिता के रूप में सूचित करना चाहता हूं कि विगत दिनों मेरी पुत्री यशस्विनी के संदर्भ में जो भी घटनाक्रम उत्पन्न किया गया उससे मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा काफी धूमिल हुई है. अपने पिता को बदनाम करने में मेरी पुत्री ने भी कोई कोर कसर नहीं छोडी.’
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र निवासी चौरसिया ने आगे लिखा है, ‘मैंने हमेशा अपनी एकमात्र संतान के बेहतर जीवन, शिक्षा और भविष्य की चिंता की है लेकिन मेरी पुत्री सिद्धार्थ बंसल के बहकावे में आकर तथा ब्लैकमेलिंग का शिकार होकर अभी अपने हित की बात सुनने और समझने के लिए तैयार नहीं है और वह मेरे तथा मेरे परिवार की प्रतिष्ठा को समाप्त करने पर तुली हुई है.’
गत 30 जून को खगड़िया से जिला एवं सत्र न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए चौरसिया ने अपने पत्र में कहा, ‘उपरोक्त तथ्यों से विक्षुब्ध एवं दुखी होकर मैंने अपनी पुत्री यशस्विनी को अपनी सभी चल और अचल सम्पत्ति से बेदखल करने का निर्णय लिया है.’
उल्लेखनीय है कि गत 26 जून को पटना उच्च न्यायालय ने खगड़िया जिले के तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा अपनी पुत्री को कथित तौर पर नजरबंद करने के मामले में आदेश दिया था कि 25 वर्षीय उक्त युवती को अगले 15 दिनों के लिए गेस्ट हाउस में रखे जाने के साथ पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए.
पटना उच्च न्यायालय के समाचार ऐप ‘बार एंड बेंच’ पर अपलोड किए गए एक समाचार पर स्वत: संज्ञान लिए जाने के बाद मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की एक खंडपीठ ने गत 25 जून को उक्त युवती को अदालत में पेश किए जाने का निर्देश दिया था.
युवती ने गत 26 जून को खंडपीठ के समक्ष बताया था कि वह अपने माता-पिता के साथ सहज नहीं है और अलग रहना चाहती है.
अदालत में युवती के माता-पिता भी उपस्थित थे और खंडपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख आगामी 12 जुलाई निर्धारित की थी.
युवती के माता-पिता ने दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत एक वकील सिद्धार्थ बंसल से शादी करने के उसके फैसले का विरोध किया था.
दैनिक जागरण के मुताबिक, सेवानिवृत्त जज ने कहा कि सिद्धार्थ बंसल ने गलत नीयत से षड्यंत्र रचा है ताकि उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाए. यदि उसके मोबाइल के कॉल डिटेल्स की जांच की जाए तो सभी बात स्पष्ट हो जाएंगी.
ज्ञात हो कि सिद्धार्थ बंसल दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं. उन्होंने एक वेबसाइट पर एक शिकायत पत्र दाखिल कर पटना उच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराते हुए शिकायत की थी कि उनकी दोस्ती खगड़िया के जिला जज की पुत्री से है.
सिद्धार्थ ने कहा था कि वह उससे शादी करना चाहते हैं, लेकिन जिला जज अपनी पुत्री को बंदी बनाए हुए हैं.
पटना उच्च न्यायालय ने इस खबर पर संज्ञान लेते हुए पुलिस महकमे को जिला जज की पुत्री को कोर्ट में उपस्थित करने का आदेश दिया था,
आदेशानुसार यशस्विनी अभी चाणक्य लॉ कालेज, पटना के अतिथि गृह में रह रही हैं. उन्हें अपनी इच्छा से किसी भी व्यक्ति से मिलने की छूट दी गई है.
प्रभात खबर के मुताबिक, जज की बेटी और सिद्धार्थ बंसल का 2012 से प्रेम-प्रसंग चल रहा है. जब जज ने बेटी को कथित तौर पर बंधक बना लिया तो सिद्धार्थ अपने एक मित्र के साथ लड़की के घर पहुंचा था.
तब जज ने उन्हें बोला कि तुम अगर सिविल सेवा में नौकरी पा लेते हो या जज बन जाते हो, उसके बाद हम अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ करेंगे.
वहीं, सिद्धार्थ ने मामले में डीजीपी केएस द्विवेदी से मिलकर भी मदद मांगी थी. तब डीजीपी ने एसपी को कार्रवाई करने के आदेश दिए थे, लेकिन एसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की. तब हाईकोर्ट ने पटना के एसएसपी को लड़की को हाजिर करने का आदेश दिया था.
बंद कमरे ने अदालत ने मामले की सुनवाई की थी. अदालत ने लड़की का पक्ष जाना और उसे 15 दिन के लिए चाणक्य लॉ कालेज के गेस्ट हाउस में रहने के लिए भेज दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)