क़ानून के दुरुपयोग के लंबे समय से आरोप लग रहे थे. पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी समीक्षा की बात की थी. शराबबंदी लागू होने के बाद से दो साल में करीब सवा लाख लोगों को जेल में डाला गया है.
पटना: बिहार राज्य मंत्रिपरिषद ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 में संशोधन विधेयक 2018 सहित तीन अन्य संशोधन विधेयकों को विधानमंडल सत्र में पेश किए जाने को बुधवार को मंजूरी दे दी है.
संशोधन विधेयक में शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए मौजूदा सजा के प्रावधान में बदलाव कर उसे कम किया जाना है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को संपन्न मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने बुधवार को कुल 33 विषयों पर विचार कर उन्हें मंजूरी प्रदान कर दी है.
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 में संशोधन विधेयक 2018, बिहार मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम 2005, बिहार होटल विलासवस्तु कराधान अधिनियम एवं बिहार मनोरंजन कर अधिनियम को संशोधित करने से संबंधित विधेयक तथा बिहार राज्य दहेज प्रतिषेध बिहार संशोधन अधिनियम, 2018 को विधानमंडल सत्र में पेश किए जाने को मंजूरी प्रदान कर दी.
उल्लेखनीय है कि बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र आगामी 20 जुलाई से शुरू होने वाला है.
बिहार में पांच अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है और इसे कड़ाई से लागू किए जाने के लिए नीतीश कुमार सरकार ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 को सर्वसम्मिति से विधानमंडल से पारित करवाया था पर बाद में इसके कुछ प्रावधानों को कड़ा बताए जाने तथा इस कानून का दुरूपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए विपक्ष द्वारा इसकी आलोचना की जाती रही है.
गत 11 जून को लोकसंवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान शराबबंदी कानून में कुछ तब्दीली से संबंधित प्रश्न के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम लोगों ने राज्य में पूरी ईमानदारी से शराबबंदी कानून को लागू किया है. इसमें कुछ कड़े प्रावधान हैं, इसके लिए कार्यक्रम में एक राय बनाने के लिए ऑल पार्टी मीटिंग की गई थी.
उन्होंने कहा था कि उक्त कानून का दुरुपयोग न हो, इसके लिए मुख्य सचिव ने अधिकारियों की एक समिति बनाई है. समिति अध्ययन के आधार पर यह जानकारी देगी कि इसमें क्या सुधार किया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय में इससे संबंधित मामला चल रहा है. अतः अपने सीनियर एडवोकेट और एडवोकेट जनरल से विचार करेंगे और उसके बाद ही कुछ निर्णय लिया जाएगा. कानूनी एवं संवैधानिक पहलू को ध्यान में रखते हुए इन सब चीजों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है.
नीतीश ने कहा था कि शराबबंदी कानून का प्रभावकारी ढंग से पालन हो, इसके किसी अंश का दुरुपयोग न हो. अंततः हम लोगों का लक्ष्य शराबबंदी से आगे बढ़ते हुए नशामुक्त समाज बनाना है.
बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने मीडिया के एक वर्ग से बातचीत करते हुए बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 में संशोधन विधेयक, 2018 के बारे में बात करते हुए बताया कि पहले शराब के उत्पादनकर्ता, परिवहनकर्ता, विक्रेता के लिए दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था, उसे अब दो स्लैब में किया गया है.
उन्होंने बताया कि पहली बार यह जुर्म करने वाले को उन्हें कम से कम पांच वर्ष के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है तथा उसके बाद भी वही जुर्म करते हैं तो उनके लिए दस साल के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.
किशोर ने बताया कि शराब पीने वाले के लिए पहले पांच साल के कारावास की सजा थी, पर अब पहली बार यह जुर्म करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना और जुर्माना नहीं भरने पर तीन महीने के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.
उन्होंने बताया कि पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर उसे जमानती और असंज्ञेय बना दिया गया है. हालांकि, दोबारा शराब पीते पकड़े जाने पर सजा बढ़ जाएगी.
यह पूछे जाने पर कि बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 के तहत वर्तमान में पकड़े गए आरोपियों को भी क्या इसका लाभ मिलेगा, किशोर ने कहा कि सभी ऐसे लंबित मामलों में आरोपियों को इसका लाभ मिलेगा.
गौरतलब है कि शराबबंदी क़ानून लागू होने के बाद से बिहार की जेल में इस क़ानून के तहत करीब सवा लाख लोग जेल में बंद हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)