जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने कहा कि सत्ता का दुरुपयोग करना इंसानी फितरत है. सत्ता की मनमानी को रोकने के लिए ही संविधान की ज़रूरत पड़ी और इसका जन्म हुआ.
सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो चुके जज जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर ने कहा है कि अगर एक जज अपनी क्षमता या काबिलियत को लेकर निश्चिंत है तभी वह सही मायने में स्वतंत्र रह सकता है.
लाइव लॉ वेबसाइट के अनुसार, चेलमेश्वर मनोरमा न्यूज़ टीवी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ‘द प्राइस ऑफ इंडिपेंडेंस’ (आज़ादी का मूल्य) विषय पर बोल रहे थे. आज़ादी और सत्ता के संबंधों पर बात करने हुए उन्होंने कहा कि संविधान को इसलिए लाया गया ताकि निगरानी के साथ ही संतुलन बनाए रखा जा सके और सत्ता शक्ति का दुरुपयोग न कर सके.
उन्होंने कहा, ‘सत्ता का दुरुपयोग करना इंसानों की फितरत में होता है. सत्ता की प्रकृति ही यही होती है कि वह पूर्ण नियंत्रण चाहता है. हमेशा लोगों को नियंत्रित करने की कोशिश करती है. हालांकि एक लोकतांत्रित समाज क़ानून के नियमों से चलता है न कि इंसानों के नियमों के आधार पर. सत्ता की मनमानी को रोकने के लिए ही हमें संविधान की ज़रूरत पड़ी और इसका जन्म हुआ.’
उन्होंने कहा, ‘अगर इंसान फरिश्ते होते तो सरकार की कोई ज़रूरत नहीं थी और अगर फरिश्तों को ही इंसानों को चलाना होता तो क़ानून की कोई ज़रूरत न पड़ती.’
चेलमेश्वर ने कहा, ‘हालांकि संविधान ने सरकार के अलग-अलग तंत्रों को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए सुरक्षा प्रदान की है लेकिन इनकी स्वतंत्रता इस बात पर निर्भर करती है कि इन तंत्रों में सबसे ऊपर के पदों पर किस तरह के लोग बैठे हुए हैं.’
न्यायपालिका के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘एक जज मुख्य रूप से दो स्थितियों में अपनी स्वतंत्रता खो देता है- पहला, अगर उसके पास कुछ भी ऐसा है जो वो छुपाना चाहता है, दूसरा- जब उसकी महत्वाकांक्षा उसे सरकार के खिलाफ काम करने से रोकती है.’
जब उनसे पूछा गया कि किन परिस्थितियों में उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट जज के पदोन्नति मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था तो उन्होंने कहा, ‘पूर्ण बहुमत की सरकार हमेशा न्यायपालिका को नियंत्रित करने की कोशिश करती है. ऐसी स्थिति में उस संस्थान के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति की भूमिका अहम हो जाती है. अगर उसने कठोर प्रतिक्रिया नहीं दी तो स्वतंत्रता छिन जाएगी.’
हालांकि जस्टिस चेलमेश्वर ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के मुद्दे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया. चेलमेश्वर ने कहा कि इस पर उन्होंने अपनी राय पहले ही दे दी है और ये मामला अभी कॉलेजियम के सामने विचाराधीन है इसलिए अब वे इस पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं.