शिवसेना ने कहा कि गोवा, कर्नाटक की सरकारें दूध किसानों को पांच रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देती हैं तो अगर महाराष्ट्र के किसान भी ऐसी ही राहत की मांग करते हैं, तो इसमें गलत क्या है.
मुंबई: महाराष्ट्र में दूध उत्पादक किसानों के विरोध प्रदर्शन के समर्थन में आयी शिवसेना ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. शिवसेना ने कहा अगर सरकार बुलेट ट्रेन जैसी महंगी परियोजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर सकती है तो वह दूध खरीद मूल्य में बढ़ोत्तरी क्यों नहीं कर सकती है.
राज्य के किसान संगठनों ने दूध के खरीद मूल्य में प्रति लीटर पांच रुपये की वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू किया है. प्रदर्शन सोमवार सुबह शुरू हुआ था. प्रदर्शनकारी महाराष्ट्र के कई जिलों में दूध के टैंकरों की आवाजाही रोक रहे हैं.
शिवसेना ने कहा, ‘आंदोलन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसे राजू शेट्टी (किसान नेता) ने शुरू किया है. किसान न तो किसी क्षेत्र विशेष और ना ही किसी जाति या राजनीतिक दल से संबंध रखते हैं. 3,000 से अधिक किसानों ने बीते चार साल में अपना जीवन खत्म कर लिया है. इनमें से ज्यादातर लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वोट दिया था.’
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, ‘पिछले साल किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए हड़ताल की थी, जो कि सरकार के लिए लज्जा की बात है. अब डेयरी किसानों के मौजूदा आंदोलन को दबाने के बजाय राज्य को यह सोचना चाहिए कि वह उन्हें कैसे राहत देना है.’
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने आरोप लगाया कि एक तरफ सरकार आंदोलन तोड़ने की कोशिश कर रही है वहीं दूसरी ओर वह जय किसान के नारे लगा रही है. पार्टी ने कहा, ‘सरकार ने दूध खरीद दर 27 रुपये प्रति लीटर तय कर रखा है लेकिन अब भी इसे महज 16-18 रुपये की दर से खरीदा जा रहा है.’
संपादकीय में कहा गया, ‘गोवा, कर्नाटक की सरकारें दूध किसानों को पांच रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देती हैं. तो अगर महाराष्ट्र के किसान भी ऐसी ही राहत की मांग करते हैं, तो इसमें गलत क्या है? सरकार बुलेट ट्रेन, समृद्धि कॉरिडोर और मेट्रो रेल परियोजनाओं पर हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है.’
इसके अलावा सामना में लिखा गया, ‘सरकार बुलेट ट्रेन के लिए कर्ज तक ले रही है लेकिन वह पांच रुपये खरीद मूल्य बढ़ाने की इच्छा नहीं रखती. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि उत्पाद के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इजाफा करने की घोषणा की लेकिन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणनवीस को यह स्पष्टीकरण देना चाहिए कि क्या महाराष्ट्र के किसानों को भी यह लाभ मिलेगा या नहीं. किसानों ने मोदी को सत्ता में लाने के लिए वोट दिया लेकिन अब वही किसान भ्रमित और परेशान हैं.’
मालूम हो कि बीते सोमवार को महाराष्ट्र में दूध उत्पादक किसानों और दूध संघों ने दूध के ख़रीद मूल्य में बढ़ोतरी की मांग को लेकर सोमवार को आंदोलन शुरू किया था.
ख़रीद मूल्य में पांच रुपये की वृद्धि और दूध से बनने वाले उत्पादों (बटर और पाउडर) पर जीएसटी हटाने की अपनी मांग पूरी कराने के लिए आंदोलनकारी और दूध संघ मुंबई और पुणे में दूध आपूर्ति ठप करने की कोशिश की और दूध सड़कों पर गिराकर अपना रोष प्रकट किया.
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन की ओर से इस आंदोलन की अगुवाई की जा रही है. आंदोलनकारियों ने पुणे, नासिक, अहमदनगर, बुलढाना, जलगांव और अन्य जगहों में दूध के टैंकरों का आवागमन बाधित किया और कुछ टैंकरों का दूध सड़कों पर गिरा दिया.
संगठन के एक कार्यकर्ता ने बताया था कि पुणे-सोलापुर मार्ग पर दूध के छह टैंकरों की आवाजाही रोकी गई और कुछ जगहों पर दूध के पैकेट फेंके गए. उन्होंने बताया कि संगठन के सदस्यों ने पुणे में कई जगहों पर मुफ्त में दूध बांटा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)