सरकार ने विवादास्पद फाइनेंशियल रिज़ोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट (एफआरडीआई) बिल को वापस लेने का फैसला किया है. फिलहाल यह बिल संसद की स्थायी समिति में विचाराधीन है.
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में विवादास्पद फाइनेंशियल रिजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट (एफआरडीआई) बिल के प्रस्ताव को वापस ले सकती है. इस बिल के ‘बेल-इन’ क्लॉज का तीखा विरोध हुआ क्योंकि इसने जमाकर्ताओं के भीतर उनके हितों को लेकर एक डर पैदा करने का काम किया था. बिल के ‘बेल-इन’ प्रस्ताव पर विपक्ष को भी ऐतराज था. गुजरात चुनाव में इसे विपक्ष द्वारा बड़ा मुद्दा बनाया गया था.
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय कैबिनेट ने एफआरडीआई बिल 2017 को वापस लेने के लिए अपनी सहमति दे दी है. सरकार की ओर से संसद के मौजूदा सत्र में लोकसभा से इस बिल के वापस लिए जाने की संभावना है. संसद का मौजूदा सत्र 10 अगस्त को खत्म हो रहा है.
गौरतलब है यह बिल पिछले साल 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था. इसमें एक ‘बेल-इन’ क्लॉज है जिसको लेकर कुछ विशेषज्ञों की राय है कि यह सेविंग बैंक अकाउंट में जमा रकम को नुकसान पहुंचा सकता है. ‘बेल-इन’ क्लॉज के जरिए बैंक, कर्जदारों और जमाकर्ताओं के धन से अपने नुकसान की भरपाई कर सकती है, ऐसे में अगर यह बिल पास हो जाता तो बैंक को यह अधिकार मिल जाता.
वर्तमान में, एक लाख तक का सारा जमा 1962 के एक कानून के तहत सुरक्षित है. लेकिन, एक बार एफआरडीआई बिल के पारित हो जाने के बाद, यह बचत बीमा फ्रेमवर्क की जगह ले लेता. वर्तमान में इस विधेयक में किसी निश्चित बचत बीमा राशि का जिक्र नहीं किया गया है (1960 ईस्वी का 1 लाख, आज आसानी से 12 से 14 लाख के आसपास होगा.), जिसके कारण चिंता पैदा होना स्वाभाविक था.
फिलहाल यह बिल बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति के पास है.