गंगा की सफाई के लिए शायद ही कुछ किया गया, हालात बेहद ख़राब: एनजीटी

एनजीटी ने कहा था कि सरकार ने गंगा सफाई पर 7,000 करोड़ रूपये खर्च कर दिया है लेकिन गंगा अभी भी पर्यावरण के लिए एक गंभीर विषय बना हुआ है.

A man cleans garbage along the banks of the river Ganges in Kolkata, India, April 9, 2017. REUTERS/Danish Siddiqui
कोलकाता में गंगा नदी का किनारा. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

एनजीटी ने कहा था कि सरकार ने गंगा सफाई पर 7,000 करोड़ रुपये ख़र्च कर दिया है लेकिन गंगा अभी भी पर्यावरण के लिए एक गंभीर विषय बना हुआ है.

A man cleans garbage along the banks of the river Ganges in Kolkata, India, April 9, 2017. REUTERS/Danish Siddiqui
प्रतीकात्मक तस्वीर गंगा नदी (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंगा नदी की साफ–सफाई पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि नदी की हालात असाधारण रूप से खराब है. नदी की सफाई के लिए शायद ही कोई प्रभावी कदम उठाया गया है.

एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अधिकारियों के दावों के बावजूद गंगा के पुनर्जीवन के लिए जमीनी स्तर पर किए गए काम पर्याप्त नहीं हैं और स्थिति में सुधार के लिए नियमित निगरानी की जरूरत है.

एनजीटी ने आदेश दिया है कि गंगा में प्रदूषण के बारे में जमीनी स्तर पर लोगों की राय जानने के लिए सर्वेक्षण कराया जाए. संबंधित अधिकारियों को यह राय ई-मेल के जरिए भेजी जा सकती है.

जस्टिस जवाद रहीम और आरएस राठौड़ की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘यह देश की सबसे प्रतिष्ठित नदी है जिसका सम्मान 100 करोड़ लोग करते हैं, लेकिन हम इसका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं. व्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा ठोस और प्रभावी बनाने की जरूरत है.’

इससे पहले एनजीटी ने गोमुख और उन्नाव के बीच गंगा नदी की सफाई के लिए केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर निपटारा रिपोर्ट दाखिल नहीं करने को लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की खिंचाई की थी.

एनजीटी ने गंगा की सफाई के लिए पहले एक फैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि हरिद्वार और उन्नाव के बीच में नदी से 100 मीटर दूर तक के क्षेत्र को ‘नो डेवलपमेंट ज़ोन’ घोषित किया जाए और नदी से 500 मीटर की दूरी पर कूड़ा फेंकने से रोका जाए.

प्राधिकरण ने कहा था कि सरकार ने गंगा सफाई पर 7,000 करोड़ रूपये खर्च कर दिया है लेकिन गंगा अभी भी पर्यावरण के लिए एक गंभीर विषय बना हुआ है.

(समाचार एजेंसी भाषा की इनपुट के साथ)

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