दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन के आदेश को आधारहीन बताया. जेएनयू में कथित तौर पर देश विरोधी नारेबाज़ी करने के आरोपी कन्हैया कुमार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर भारत विरोधी नारेबाज़ी की एक घटना के सिलसिले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अपीलीय प्राधिकार द्वारा पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ 10 हज़ार रुपये के जुर्माने के आदेश को शुक्रवार को निरस्त कर दिया.
अदालत ने कन्हैया कुमार के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अपीलीय प्राधिकार द्वारा दिए गए आदेश को अवैध, अतार्किक और नहीं टिकने वाला बताया. गौरतलब है कि 2016 में इस घटना के तहत जेएनयू में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए थे.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने विश्वविद्यालय के चार जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि अदालत का प्रथम दृष्टया ऐसा मानना है कि आदेश अनगिनत बिंदुओं पर टिकने योग्य नहीं है. इसके बाद विश्वविद्यालय के वकील ने दलील दी कि वह इस फैसले को वापस ले रहे हैं.
अदालत ने यह विषय अपीलीय प्राधिकार को सौंपते हुए उसे नए सिरे से कानून के मुताबिक कार्यवाही शुरू करने को कहा.
अदालत ने जेएनयू के छात्र उमर ख़ालिद की इसी तरह की एक याचिका 16 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी क्योंकि इस पर सुनवाई के लिए वक्त नहीं बचा था. दरअसल, ख़ालिद को 2016 की इस घटना के सिलसिले में विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था और उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया था.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने अपने आदेश में कहा कि उनका मानना है कि रद्द किया गया कार्यालयी आदेश (कन्हैया कुमार के खिलाफ) अवैध, अतार्किक और अनुचित था.
इस महीने की शुरुआत में जेएनयू पैनल ने कन्हैया कुमार और उमर ख़ालिद के दंड को बरक़रार रखा था. कन्हैया कुमार ने जेएनयू पैनल के चार जुलाई के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए 17 जुलाई को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
कुमार को अनुशासनहीनता को लेकर दोषी ठहराया गया था और उन पर जुर्माना लगाया गया था.
नारेबाज़ी की घटना के सिलसिले में कन्हैया कुमार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. 2016 में नौ फरवरी का जेएनयू में संसद भवन पर हमले के दोषी अफ़ज़ल गुरु से संबंधित एक कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए थे.
इसके बाद तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को इस विवादास्पद घटना के सिलसिले में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था और अब वे ज़मानत पर हैं.
इसके बाद जेएनयू एक उच्चस्तरीय पैनल ने सिफारिश की थी कि एक अन्य छात्र उमर ख़ालिद को भी इस घटना के सिलसिले में निष्कासित किया जाए. इसके अलावा अनुशासनिक मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए 13 अन्य छात्रों पर जुर्माना लगाया गया था.
बीते पांच जुलाई को विश्वविद्यालय ने बताया कि अपीलीय प्राधिकारी ने उमर ख़ालिद और कन्हैया कुमार के खिलाफ निर्णय को बरक़रार रखा था और कुछ मामलों में जुर्माना कम कर दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)