इसरो ने अहमदाबाद केंद्र के वैज्ञानिक को निदेशक पद से हटाया

आरोप है कि वैज्ञानिक डॉ. तपन मिश्रा ने इसरो के उपक्रमों के निजीकरण का विरोध किया जिसकी वजह से उन्हें अहमदाबाद में अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक से वरिष्ठ सलाहकार बना दिया गया.

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आरोप है कि वैज्ञानिक डॉ. तपन मिश्रा ने इसरो के उपक्रमों के निजीकरण का विरोध किया जिसकी वजह से उन्हें अहमदाबाद में अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक से वरिष्ठ सलाहकार बना दिया गया.

Tapan Mishra ISRO
तपन मिश्रा (फोटो: फेसबुक)

भारत के बेहतरीन खुफिया सेटेलाइट बनाने वाले डॉ. तपन के. मिश्रा को बीते शुक्रवार को अहमदाबाद में इसरो अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के डायरेक्टर के पद से हटा दिया गया. बताया जा रहा है कि इसरो के उपक्रमों के निजीकरण का उन्होंने विरोध किया जिसकी वजह से उन्हें डायरेक्टर के पद से हटा दिया गया.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरपर्सन के. सिवन ने एक आदेश जारी कर कहा, ‘तपन मिश्रा को सभी जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाता है. उन्हें इसरो मुख्यालय में वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया जाता है और वो चेयरमैन को रिपोर्ट करेंगे.’

आरोप है कि वरिष्ठ वैज्ञानिक को सिवन के साथ मतभेदों के चलते हटाया गया है. बताया जाता है कि इसरो के अभियानों के विभिन्न क्षेत्रों में निजी संस्थाओं की बढ़ती भूमिका को लेकर दोनों के बीच मतभेद थे.

एक अधिकारी ने बताया कि अहमदाबाद में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक को हटाते हुए ‘सलाहकार’ के पद पर नियुक्त किया गया है. मिश्रा का स्थान वरिष्ठ वैज्ञानिक डीके दास लेंगे.

टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मिश्रा को उनके पद से हटाने से एक दिन पहले ही भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दो प्राइवेट कंपनियों और एक सार्वजनिक उपक्रम के साथ 27 सेटेलाइट बनाने का करार किया था. इस करार से तपन मिश्रा सहमत नहीं थे और उन्होंने इसका विरोध किया.

देश के कुछ अहम उपग्रहों के निर्माण के लिए पहचाने जाने वाले मिश्रा भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के पद के शीर्ष दावेदारों में से एक हैं.

इसरों की कई शाखाएं हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है. इनके प्रमुख ही इसरो अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होते रहे हैं. ऐसी अटकलें हैं कि मिश्रा को हटाए जाने से उनकी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है. हालांकि अधिकारी ने कहा कि मिश्रा के मुख्यालय में तबादले और उनकी तरक्की का आपस में कोई लेना-देना नहीं है.

मिश्रा को रिसात 1 जैसी खुफिया सेटेलाइट बनाने के लिए जाना जाता है. ये सेटेलाइट भारत और उसके पड़ोसी देशों पर निगरानी रखता है. ये सेटेलाइट अंधेरे में भी काम कर सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मिश्रा ने कहा कि वे इसरो में काम करते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए इसरो सबसे बड़ी चीज है. आज मैं जो कुछ भी हूं वो इसरो के वजह से ही हूं.’

सूत्रों ने बताया कि इसरो के उपक्रमों के निजीकरण को लेकर मिश्रा और चेयरमैन के बीच सहमति नहीं थी. उन्होंने जीसैट-11 के लॉन्च होने में देरी पर भी चिंता व्यक्त की थी. वहीं मार्च में जीसैट-6ए से संपर्क टूट जाने पर इसरो को काफी धक्का लगा था.

बता दें कि 57 वर्षीय तपन मिश्रा ने पश्चिम बंगाल के जाधवपुर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. एक समय मिश्रा को दिमाग का कैंसर भी था और 10 दिन तक वे कोमा में रहे थे.

मिश्रा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘अस्पताल की छुट्टी के चार दिन बाद ही मैंने ऑफिस में अपना काम संभाल लिया और 10 घंटे तक काम किया.’ मिश्रा की अगुवाई में ही भारत कई निगरानी सेटेलाइट जैसे कि रिसात और कार्टोसैट बनाने में सफल हुआ था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)