सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि अखबारों को इनकी प्रसारण संख्या के दावों की पुष्टि के बाद ही विज्ञापन दिए जाते हैं. उनके प्रसारण दावों की भारतीय समाचार पत्र पंजीयक से जांच कराई है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार अखबारों की प्रसार संख्या के दावों की जांच करा रही है जिससे कम संख्या में प्रकाशित होने वाले अखबारों द्वारा अधिक संख्या बताकर सरकारी विज्ञापन हासिल करने की प्रवृत्ति को रोका जा सके.
साथ ही विज्ञापन नीति की मूल भावना के मुताबिक विज्ञापनों का युक्तिसंगत आवंटन सुनिश्चित किया जा सके.
सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने सोमवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया, ‘हमने अखबारों के प्रसारण दावों की भारतीय समाचार पत्र पंजीयक (आरएनआई) से जांच कराई है.’
उन्होंने बताया कि अखबारों को इनकी प्रसारण संख्या के दावों की पुष्टि के बाद ही विज्ञापन दिए जाते हैं. केंद्र सरकार की विज्ञापन नीति से जुड़े पूरक प्रश्न में जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य हरिवंश नारायण सिंह ने सरकार से पूछा था कि मंत्रालय द्वारा अखबारों की कम प्रतियों का प्रकाशन कर अधिक प्रसार बताने वाले अखबारों के दावों की कराई गई जांच अभी किस स्थिति में है.
विज्ञापनों के प्रभाव का आकलन करवाने संबंधी पूरक प्रश्न के जवाब में राठौड़ ने बताया, ‘विज्ञापनों के प्रभाव का पूरे देश में अध्ययन करवाया जा रहा है. इससे पहले भी क्षेत्रीय आधार पर मिलने वाली रिपोर्ट को ही विज्ञापन के प्रभाव की आकलन रिपोर्ट माना जाता था.’
मौजूदा विज्ञापन नीति के तहत जारी होने वाले विज्ञापनों के बारे में उन्होंने बताया कि इसके तहत प्रसार संख्या के आधार पर अखबारों को तीन श्रेणियों (छोटे, मझोले और बड़े) में भाषायी आधार पर विज्ञापन जारी किए जाते है. इनमें छोटे अखबारों को 15 प्रतिशत, मझोले अखबारों को 35 और बड़े अखबारों को 50 प्रतिशत विज्ञापन दिए जाते हैं.
इनमें अंग्रेजी अखबारों को 30 प्रतिशत तथा हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषाओं को 35-35 प्रतिशत विज्ञापन जारी होते हैं.
राठौड़ ने बताया कि सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा चालू वित्त वर्ष में अब तक 162.48 करोड़ रुपये के विज्ञापन जारी किये जा चुके हैं.
पिछले तीन सालों में विज्ञापन पर खर्च हुई राशि का ब्यौरा देते हुये राठौड़ ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 1160.6 करोड़ रुपये, 2016-17 में 1264.26 करोड़ रुपये और 2017-18 में 1313.57 करोड़ रुपये के विज्ञापन जारी हुए थे.