पाटीदार समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर साल 2015 में हार्दिक पटेल ने मेहसाणा में आंदोलन किया था. हार्दिक को भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ और दंगा भड़काने के मामले में सज़ा मिली है.
मेहसाणा: गुजरात की एक अदालत ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को 2015 के विसनगर दंगा मामले में बुधवार को दोषी ठहराते हुए उसे दो साल क़ैद की सज़ा सुनाई. हालांकि बाद में इसी अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.
सत्र अदालत के न्यायाधीश वीपी अग्रवाल ने पाटीदार अनामत आंदोलन (पास) नेता हार्दिक पटेल और उसके दो साथियों लालजी पटेल और एके पटेल को दंगा भड़काने, आगजनी करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने के अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया. इन तीनों को ज़मानत मिल गई है.
अदालत ने दो साल की कैद के साथ ही तीनों दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे इन्हें आज ही अदालत में जमा कराना है. मामले में विसनगर कोर्ट ने 17 आरोपियों में से तीन को दोषी और 14 को बरी कर दिया है.
दोषियों से मिलने वाली जुर्माने की डेढ़ लाख रुपये की राशि में से अदालत ने 10,000 टीवी चैनल रिपोर्टर सुरेश वनोल को देने का आदेश दिया है. वनोल पर हिंसा के दौरान हमला किया गया था.
इसी तरह, अदालत ने एक लाख रुपये उस कार के मालिक को देने का आदेश दिया है जिसमें दंगाइयों ने आग लगा दी गई थी और बाकी 40,000 रुपये स्थानीय भाजपा विधायक ऋषि पटेल को दिए जाएंगे, जिनके कार्यालय में तोड़-फोड़ की गई थी.
पटेल समुदाय को आरक्षण देने की मांग के लिए निकाली गई रैली के हिंसक रूप लेने के बाद भीड़ ने संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही मीडिया के कुछ लोगों पर भी हमला किया था. इस मामले में मेहसाणा ज़िले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को दर्ज कराई गई प्राथमिकी में हार्दिक भी एक आरोपी थे.
अदालत ने दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 427 और 435 के तहत दोषी करार दिया था. पाटीदार समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल ने मेहसाणा में आंदोलन किया था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी.
जनसत्ता की ख़बर के अनुसार, जुलाई, 2015 में हुई हिंसा के बाद हार्दिक को अक्टूबर में गिरफ़्तार कर लिया गया था. प्रशासन ने उनके मेहसाणा जिले में दाखिल होने पर रोक लगाई थी, जिसे विधानसभा चुनाव से पहले हटा लिया गया था.
मालूम हो कि हार्दिक पटेल 25 अगस्त से राज्य में सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर जाने का ऐलान किया था. हार्दिक ने आमरण अनशन को आखिरी जंग कहा और यह भी कहा कि उनके समुदाय को आरक्षण मिले, ये उनकी पहली प्राथमिकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)