बलात्कार मामले के गिरफ़्तार एक आरोपी की पत्नी ने समाज कल्याण मंत्री के पति पर मुज़फ़्फ़रपुर स्थित बालिका गृह में आने-जाने का आरोप लगाया. मंत्री ने आरोपों को ख़ारिज किया.
मुज़फ़्फ़रपुर/पटना: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर जिले के एक बालिका गृह में 29 लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले में बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में घटना को बेहद दुखद बताते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार ने घटना को लेकर अफवाहें फैलने से रोकने के लिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया है.
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य सरकार द्वारा इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश को धन्यवाद दिया. साथ ही पटना उच्च न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई के समय निगरानी का आग्रह करने की बात कही.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में बहुत ही घृणित घटना घटी है और पुलिस पूरी मुस्तैदी से इसकी जांच कर रही है. सरकार निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है, किन्तु एक भ्रम का वातावरण बनाया जा रहा है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि भ्रम का वातावरण नहीं रहे, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और प्रधान सचिव गृह को तत्काल इस मामले को जांच के लिए सीबीआई के सुपुर्द करने की सिफारिश की है.
इस मामले को विपक्ष ने बिहार विधानमंडल के जारी मानसूत्र सत्र में बार बार उठाया और दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार बाधित हुई.
गुरुवार को बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने इस मुद्दे पर हंगामा कर रहे विपक्ष सदस्यों को शांत कराने का प्रयास किया. लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक भोजनावकाश दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने गुरुवार को आरोप लगाया कि इस मामले में समाज कल्याण मंत्री के पति के अलावा बिहार सरकार के एक अन्य मंत्री का नाम आया है. उन्होंने नाम लिए बिना कहा कि जिन्होंने हाल ही में पश्चिम बंगाल की यात्रा के क्रम में एक होटल में मारपीट की थी, उनका नाम क्यों छुपाया गया.
उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के ‘चहेते’ हैं, और सुशील पर उक्त मंत्री को बचाने का दबाव है इसलिए हमलोग सीबीआई की जांच की मांग कर रहे थे.
बिहार विधानसभा परिसर में गुरुवार को संवाददाताओं से तेजस्वी ने कहा कि मामले की सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में हो, हम लोग इसके लिए कानूनी पहलुओं पर भी गौर कर रहे हैं.
मालूम हो कि मुज़फ़्फ़रपुर स्थित एक एनजीओ द्वारा संचालित बालिका गृह में रह रहीं 44 लड़कियों में 42 की मेडिकल जांच कराए जाने पर उनमें से 29 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो गई थी जबकि दो अन्य लड़कियों के बीमार होने के कारण उनकी जांच नहीं हो पाई.
मुज़फ़्फ़रपुर के साहू रोड स्थित इस सरकारी बालिका गृह को सेवा संकल्प एवं विकास समिति की ओर से संचालित किया जाता था. बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों के साथ यौन शोषण का खुलासा बीते 31 मई को हुआ था.
दरअसल, मुंबई के एक संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी समाज लेखा रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.
पीड़ित लड़कियों में से कुछ के गर्भवती होने की भी ख़बर सामने आई थी.
पुलिस की जांच के दौरान वर्ष 2013 से बालिका गृह के अभिलेखों की छानबीन करने पर पता चला कि चार लड़कियां बालिका गृह से फरार हैं. ये लड़कियां नवंबर-दिसंबर 2013 में बालिका गृह में आई थीं और दिसंबर 2013 में ही फरार दिखायी गई हैं. पुलिस इस तथ्य का सत्यापन कर रही है.
मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में एक बालिका गत 28 मार्च को आयी थी, पर उसके डिस्चार्ज की तिथि अभिलेखों में अंकित नहीं है. जांच में उसका पता लगा लिया गया है. वह मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में ही विवाह के बाद अपने ससुराल में रह रही है.
मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में तीन बालिकाओं के मृत होने की प्रविष्टियां बालिका गृह के अभिलेखों में दर्ज हैं. इसमें एक की तिथि 2015 एवं दो की तिथि 2017 है. इनका सत्यापन किया जा रहा है.
बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों- किरण कुमारी, मंजू देवी, इंदू कुमारी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, विकास कुमार एवं रवि कुमार रौशन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है. एक अन्य फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के लिए इश्तेहार दिए गए हैं और कुर्की की कार्रवाई की जा रही है.
मामला हाईकोर्ट पहुंचा
बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों से बलात्कार का मामला पटना उच्च न्यायालय पहुंच गया है. मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है. कोर्ट को बताया गया कि पूरे राज्य के कई ज़िलों से महिला गृहों से यौन शोषण की खबरें आ रही हैं इसलिए पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए.
पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस एस. कुमार की खंडपीठ को महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि राज्य सरकार ने सीबीआई जांच का फैसला लिया है. इस पर खंडपीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए आदेश दिया कि दोनों जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पूर्व निर्धारित तारीख नौ अगस्त को होगी.
समाज कल्याण मंत्री के पति पर बालिका गृह में आने-जाने का आरोप
इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी (सीपीओ) रवि कुमार रौशन की पत्नी शिवा कुमारी सिंह ने राज्य की एक मंत्री के पति पर बालिका गृह में आने-जाने का आरोप लगाया है.
बालिका गृह के सीपीओ रवि कुमार रौशन की पत्नी ने मुज़फ़्फ़रपुर में पत्रकारों से कहा कि उनके पति को एक साज़िश के तहत इस मामले में फंसाया गया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति ने बालिका गृह को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने को लेकर समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखा गया था.
महिला ने पूछा कि उनके पति द्वारा लिखे गए पत्र पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. महिला ने यह भी पूछा कि समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा बालिका गृह में अपने साथ जाने वाले अधिकारियों को बाहर छोड़कर उसके भीतर क्या करने जाते थे? वहां की लड़कियां उन्हें ‘नेताजी’ के तौर जानती थीं.
सीपीओ रवि कुमार रौशन की पत्नी शिवा कुमारी सिंह ने आरोप लगाया कि चंदेश्वर वर्मा को बचाने के लिए इस मामले में उनके पति को फंसाया गया है. शिवा कुमारी ने कहा कि उनके पति एक गरीब किसान के बेटे हैं और पूरी निष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे. उन्होंने दावा किया कि उनका पति निर्दोष है.
वहीं मंत्री मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा ने कहा कि उनकी पत्नी के मंत्री बनने के बाद 2016 में वह उनके साथ घूमने की नीयत से समाज कल्याण विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वहां का निरीक्षण करने गए थे और उसके बाद आज तक कभी भी वह अकेले मुज़फ़्फ़रपुर नहीं गए.
वहीं मंत्री मंजू वर्मा ने भी अपने पति पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मेरी और मेरे पति की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है. दोषियों की गिरफ़्तारी हुई है तो दोषी हमें बदनाम कर अपने को बचाना चाह रहे हैं.
समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने गुरुवार को पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर पत्रकार वार्ता में अपने साथ फरवरी 2016 में पति के बालिका गृह जाने की बात स्वीकारते हुए कहा कि इस प्रकरण को उजागर हुए करीब एक महीने बीत चुके हैं लेकिन ज़िला प्रशासन और पुलिस की जांच के क्रम में इस तरह का आरोप किसी पर नहीं लगा. पर गुरुवार को जब बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने वहां का दौरा किया तो साज़िश के तहत मेरे, मेरे पति और राज्य सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं.
मंजू ने आरोप लगाया कि वह पिछड़ी और कमजोर जाति (कुशवाहा समुदाय) से हैं इसलिए उनके पति को मोहरा बनाया गया है.
नगर विकास एवं आवास मंत्री पर भी आरोप
समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजू वर्मा के अलावा नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने भी तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर पलटवार किया. सुरेश ने मीडिया से कहा कि वह उन्हें चुनौती देते हैं कि अगर इस मामले में उनकी कहीं से भी कोई संलिप्तता साबित कर देते हैं तो वह मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे.
साथ ही चुनौती दी कि आरोप साबित नहीं होने पर तेजस्वी प्रतिपक्ष के नेता और विधायक पद से इस्तीफा दे दें. उन्होंने मानहानि नोटिस भेजने की भी बात कही.
तेजस्वी प्रसाद यादव ने सुरेश शर्मा का नाम लिए बिना आरोप लगाया था कि इस मामले में बिहार सरकार के एक स्थानीय मंत्री की भी संलिप्तता की चर्चा है जो कि हाल में पश्चिम बंगाल की यात्रा के क्रम में ‘कारनामा’ (एक होटल में मारपीट) किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा की इनपुट के साथ)