जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में आंदोलन कर रहे छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) को फुल टाइम कोर्स बताकर दाखिला दिया था जबकि सरकार से उसे सिर्फ पार्ट टाइम की मान्यता प्राप्त है.
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में स्थिति जामिया मिलिया इस्लामिया में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) के छात्र आंदोलन कर रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय ने बीई में दाखिला देते समय उन्हें बताया नहीं था कि यह पार्ट टाइम कोर्स है. लेकिन सरकारी वेबसाइट से जानकारी हासिल हुई है कि पाठ्यक्रम को सरकार की तरफ से पार्ट टाइम कोर्स की मान्यता प्राप्त है.
छात्रों ने यही समझ कर दाखिला लिया था कि यह कोर्स अन्य कोर्स की तरह फुल टाइम है. यूनिवर्सिटी द्वारा जारी प्रॉस्पेक्टस में भी पार्ट टाइम का जिक्र नहीं है, सिर्फ इवनिंग लिखा हुआ है. इस विवाद के चलते लगभग 1,400 छात्रों का भविष्य अंधकार में पड़ गया है.
बीई अंतिम वर्ष के छात्र शाहजेब ने द वायर से बात करते हुए बताया, ‘देखिये जब हमने दाखिला लिया था, तब हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि हमारा कोर्स पार्ट टाइम है. मुझे अंतिम वर्ष में पता चला है कि मैं जिस कोर्स की पढ़ाई कर रहा हूं, वो तो पार्ट टाइम है.
यूनिवर्सिटी ने अपने प्रॉस्पेक्टस में भी कहीं भी पार्ट टाइम का जिक्र नहीं किया है. यहां तक की फीस की रसीद में भी जिक्र नहीं है. नियम के अनुसार अगर कोई भी कोर्स पार्ट टाइम है, तो इसका जिक्र प्रॉस्पेक्टस के साथ-साथ फीस की रसीद पर भी होता है.’
शाहजेब आगे बताते हैं, ‘जामिया प्रशासन ने हमें गुमराह किया है. ये एक प्रकार का धोखा है जिसका खामियाजा सिर्फ छात्र भुगतेगा. प्रॉस्पेक्टस में सिर्फ ‘बीई इवनिंग’ का जिक्र है और इवनिंग होने का मतलब यह नहीं है कि कोई कोर्स पार्ट टाइम या फुल टाइम होगा.’
जामिया मिलिया इस्लामिया के 2014-15 के बाद के प्रॉस्पेक्टस में कहीं भी पार्ट टाइम का जिक्र नहीं है. यहां तक कि आने वाले नए छात्रों के लिए जो प्रॉस्पेक्टस जारी किया गया, उसमें भी पार्ट टाइम का जिक्र नहीं है. जबकि प्रॉस्पेक्टस में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि एमटेक इंजीनियरिंग में पार्ट टाइम लिखा हुआ है, लेकिन बीई इंजीनियरिंग में इवनिंग के अलावा किसी बात का जिक्र नहीं है.
बीई छात्रों के आंदोलन में शामिल मास कॉम के छात्र अकदस सामी ने द वायर से बताया, ‘यहां किसी भी छात्र को इसकी जानकारी नहीं थी. हाल ही में बीई पास कर चुके एक छात्र को पश्चिम बंगाल में नौकरी मिली और जब संस्थान ने उनकी डिग्री की जांच की तो पता चला कि जो कोर्स उस छात्र ने किया है वो दरअसल पार्ट टाइम है और इसके चलते उस छात्र को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. अब सवाल यह है कि यूनिवर्सिटी की गलती की सजा कोई छात्र क्यों भुगते.’
सामी आगे बताते हैं, ‘सरकारी नौकरियों के अलावा निजी कंपनी की नौकरी का जो विज्ञापन होता है उसमे साफ-साफ लिखा होता है कि बीई फुल टाइम. अब बताइए जब नियम इस तरह के हैं तो किसी को कैसे नौकरी मिलेगी. हम ने जब प्रशासन से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इसका कोई हल नहीं बताया. प्रशासन के लोग गए थे अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के दफ्तर लेकिन शायद कोई रास्ता नहीं निकला. इसमें छात्रों की गलती नहीं है बस जामिया प्रशासन की गलती है. हर साल 300 नए छात्रों को दाखिला दिया जाता है और इस हिसाब से प्रशासन हर साल 300 छात्रों को गुमराह करने का काम करता है.’
छात्रों की चिंता यह है कि अगर प्रशासन इस मसले का हल नहीं निकालता तो उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. छात्रों का आरोप है कि प्रशासन अपनी गलती को मानने को तैयार नहीं बल्कि इस गलती को महज प्रिंटिंग की गलती कहकर निपटाना चाहता है.
बीई के छात्र अहमद का कहना है, ‘हमने डीन महताब आलम से मिलकर अपनी समस्या बताई, लेकिन उनका कहना है कि ये पार्ट टाइम और फुल टाइम वाला विवाद उनकी प्राथमिकता नहीं है. अब बताइए एक यूनिवर्सिटी के लिए 1,400 बच्चों का भविष्य प्राथमिकता नहीं है. जबकि एक छात्र का जीवन न बर्बाद हो ये प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन यहां इस तरह डीन का जवाब संस्थान की नीयत पर सवाल खड़ा करता है कि जामिया की स्थापना तालीम देने के हुई थी या नफा कमाने के लिए.’
अगर सरकारी वेबसाइट पर बीई कोर्स की जानकारी देखें तो वहां भी पार्ट टाइम का जिक्र है, लेकिन प्रशासन ने कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया है.
पाठ्यक्रम पूरा कर पास हो चुके छात्रों के रिजल्ट और मार्कशीट पर भी इस बात का जिक्र नहीं है कि बीई पार्ट टाइम है. मालूम हो कि सरकारी वेबसाइट पर जिस पाठ्यक्रम के आगे फुल टाइम लिखा है, वे सभी बी टेक कोर्स है. आंदोलन कर रहे छात्र बीई पाठ्यक्रम के हैं.
नाम न बताने की शर्त पर एक छात्र ने बताया कि 2013 से पूर्व बीई को पार्ट टाइम बताकर ही दाखिला दिया जाता था, लेकिन कुछ छात्रों के कहने पर प्रशासन ने पार्ट टाइम का जिक्र हटा दिया. उसके बाद से यही सिलसिला जारी है.
रतलब है कि भारत सरकार के अंतर्गत जितनी भी कंपनियां हैं वे सिर्फ फुल टाइम कोर्स किए हुए छात्रों को नौकरी देती है. इस हिसाब से पार्ट टाइम के लिए दरवाजे बंद हो जाते हैं. कोई जानबूझकर पार्ट टाइम में दाखिला ले इसमें कोई गलत बात नहीं, लेकिन अनजाने में संस्थान की गलती से फुल टाइम जानकार पार्ट टाइम में दाखिला लेने के बाद जब साल के अंत में इस बात का पता चले या नौकरी के वक्त पता चले, तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है.
हमने इस पूरे मामले और छात्रों के आरोपों पर फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग डीन महताब आलम से जानकारी हासिल करनी चाही. महताब आलम ने द वायर से बताया, ‘देखिए ये कोर्स आज से नहीं बल्कि 1979 से चल रहा है. तब से ये कोर्स पार्ट टाइम है. प्रॉस्पेक्टस में इवनिंग लिखा है और क्या सब को नहीं पता है कि इवनिंग कोर्स फुल टाइम नहीं होता. 6 बजे के बाद कौन सा कोर्स फुल टाइम होता है.’
महताब आगे कहते हैं, ‘ये जो छात्र आंदोलन कर रहे हैं, इन्हें असामजिक तत्वों द्वारा गुमराह किया गया है. ऐसी कोई बात नहीं कि यूनिवर्सिटी ने इस बात को छात्रों से छुपाया है. हमारे यहां बीई के अलावा एमटेक (पर्यावरण विज्ञान) पार्ट टाइम है और सुबह के वक्त उसकी क्लास होती है. यह सभी पार्ट टाइम कोर्स जॉब करने वालों के लिए होते हैं. जिसे फुल टाइम करना है उसे बीटेक में दाखिला लेना चाहिए. अगर छात्र ऐसा कह रहे हैं कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है, तो उन्हें इसकी जांच दाखिले से पहले करनी चाहिए थी कि ये इवनिंग में क्लास क्यों हो रही है. ये सब गलत बात है प्रशासन ने किसी भी प्रकार से गुमराह नहीं किया है. छात्रों का आरोप गलत है.’
2018-19 के प्रॉस्पेक्टस में एमटेक के सामने पार्ट टाइम लिखा है और बीई के सामने सिर्फ़ इवनिंग लिखा हुआ है.
हालांकि यूनिवर्सिटी द्वारा जारी 2018-19 के प्रॉस्पेक्टस में यह देखा जा सकता है कि एमटेक इंजीनियरिंग (पर्यावरण) पाठ्यक्रम में साफ-साफ पार्ट टाइम का जिक्र किया गया है.
सवाल ये उठता है कि बीई के सामने पार्ट टाइम शब्द क्यों नहीं लिखा गया है. छात्रों का कहना है कि यह समझना मुश्किल है कि इवनिंग का मतलब पार्ट टाइम होता है. जब यूनिवर्सिटी ने एक कोर्स के सामने पार्ट टाइम लिखा है, तो जो भी पार्ट टाइम कोर्स होगा उसके सामने स्पष्ट रूप से पार्ट टाइम लिखा होगा.