राजनीतिज्ञ और पूर्व क्रिकेटर इमरान ख़ान बन सकते हैं अगले प्रधानमंत्री. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी समेत विपक्षी दलों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के आम चुनावों में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. संसदीय चुनावों के ताज़ा अनाधिकारिक नतीजों और रूझानों के मुताबिक पीटीआई नेशनल असेंबली की 76 सीटें जीत चुकी है, जबकि 43 सीटों पर आगे चल रही है. हालांकि, प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टियों ने चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए हैं.
जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) ने 43 सीटों पर जीत हासिल की है और 20 सीटों पर आगे चल रही है. जबकि पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी की अगुवाई वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 18 सीटें जीत ली हैं और 19 सीटों पर आगे चल रही है.
किसी एक पार्टी को अपने दम पर सरकार बनाने के लिए सीधे तौर पर निर्वाचित सीटों में से कम से कम 137 सीटों की ज़रूरत होगी.
जमात-ए-इस्लामी, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल, जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान और तहरीक-ए-जफ़रिया जैसी परंपरागत धार्मिक पार्टियों का गठबंधन मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) आठ-आठ सीटों पर आगे चल रहे हैं.
बीते बुधवार को मतदान के बाद शुरू हुई वोटों की गिनती में परिणाम अनुकूल देखकर पीटीआई समर्थकों ने राजनीतिक तौर पर अहम पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में झंडे लहराकर और पार्टी के नारे लगाकर जश्न मनाया.
पाकिस्तान चुनाव आयोग ने पहले नतीजे की आधिकारिक घोषणा सुबह चार बजे की.
अगले कुछ घंटों में अंतिम परिणाम आने की संभावना है. हालांकि, शुरुआती परिणामों के मुताबिक पीटीआई नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर रही है.
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं जिनमें से 272 को आम चुनावों में सीधे तौर पर चुना जाता है जबकि शेष 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं.
आम चुनावों में पांच फीसदी से ज़्यादा वोट पाने वाली पार्टियां इन आरक्षित सीटों पर समानुपातिक प्रतिनिधित्व के हिसाब से अपने प्रतिनिधि भेज सकती हैं.
कुल 172 सीटें पाने वाली पार्टी सरकार बना सकती है.
दो प्रमुख पार्टियों- पीएमएल-एन और पीपीपी ने मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं. उनका आरोप है कि क़ानूनी प्रावधान होने के बाद भी उनके मतदान एजेंटों को गिने हुए वोट सत्यापित करने की इज़ाज़त नहीं दी गई.
भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद अपने भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की गैर-मौजूदगी में पीएमएल-एन की कमान संभाल रहे और पार्टी की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए शाहबाज़ शरीफ़ ने चुनावी नतीजों को ख़ारिज करते हुए बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए.
शरीफ़ ने यह तो नहीं कहा कि चुनावों में किसने धांधली की, लेकिन देश की ताकतवर सेना के ख़िलाफ़ चुनावों में दख़लअंदाज़ी के आरोप लगे हैं.
अवामी नेशनल पार्टी, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान, पाक-सरज़मीं पार्टी, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने भी आरोप लगाया कि मतगणना के समय उनके मतदान एजेंटों को या तो मतदान केंद्रों से बाहर निकाल दिया गया या उन्हें मतदानकर्मियों ने प्रमाणित नतीजे देने से इनकार कर दिया.
शरीफ़ ने पत्रकारों को बताया, ‘पीपीपी सहित पांच अन्य पार्टियों ने चुनावों में धांधली के मुद्दे को उठाया है. उनसे विचार-विमर्श करने के बाद मैं भविष्य के क़दम का ऐलान करूंगा. पाकिस्तान आज बुरी तरह प्रभावित है.’
पीएमएल-एन प्रमुख ने गुरुवार शाम अन्य पार्टियों के साथ बैठक बुलाई है ताकि इस मुद्दे पर चर्चा करके एक साझा रणनीति बनाई जाए. उन्होंने कहा, ‘हम इस नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ लड़ेंगे और सारे विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे.’ उन्होंने कहा कि जनादेश का घोर उल्लंघन हुआ है.
पाकिस्तान चुनाव आयोग ने चुनावों में धांधली के आरोपों को खारिज कर दिया है. गुरुवार सुबह असामान्य रूप से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त मुहम्मद रज़ा ख़ान ने चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी के लिए पाकिस्तान की जनता का शुक्रिया अदा किया.
बहरहाल, ख़ान ने माना कि चुनावी नतीजों की घोषणा में देरी से कुछ परेशानी हुई. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयोग की ओर से शुरू किए गए ‘रिज़ल्ट ट्रांसमिशन सिस्टम’ नाम की नई प्रणाली के कारण देरी हुई.
संदेहों और आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हम ख़ुद को साबित करेंगे कि हमने अपना काम सही तरीके से किया.’ उन्होंने कहा, ‘यह चुनाव निष्पक्ष थे और हमें कोई शिकायत नहीं मिली है. यदि किसी के पास सबूत है तो हम कार्रवाई करेंगे.’
बीते बुधवार को पाकिस्तान के चार प्रांतों- पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में विधानसभा चुनाव भी कराए गए थे.
प्रांतीय विधानसभाओं के चुनावों के रुझान के मुताबिक, पीटीआई पंजाब की 120 सीटों पर आगे चल रही है जबकि पीएमएल-एन 119 सीटों पर आगे चल रही है. पंजाब विधानसभा में कुल 299 सीटें हैं.
सिंध प्रांत में पीपीपी दो-तिहाई बहुमत हासिल करने की दिशा में बढ़ रही है. सिंध विधानसभा की कुल 131 सीटों में से 113 सीटों के लिए उपलब्ध ताज़ा रुझानों के मुताबिक पीपीपी 72 सीटों पर आगे चल रही है.
ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में पीटीआई दो-तिहाई बहुमत की तरफ़ बढ़ रही है. इसके उम्मीदवार 67 सीटों पर आगे चल रहे हैं. इस प्रांतीय विधानसभा में 99 सीटें हैं.
बलूचिस्तान में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं. बलूचिस्तान अवामी पार्टी 12 सीटों पर आगे है जबकि एमएमए नौ सीटों पर आगे चल रही है. बलूचिस्तान नेशनल पार्टी आठ सीटों पर आगे चल रही है.
पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में यह चुनाव सत्ता का दूसरा लोकतांत्रिक परिवर्तन है. साल 1947 में पाकिस्तान की आज़ादी के बाद से अब तक लगभग आधे समय देश में सेना का ही शासन रहा है.
गौरतलब है कि मीडिया पर दमनात्मक कार्रवाइयों और चुनाव प्रक्रिया में सेना की दख़लअंदाज़ी के आरोपों के बीच पाकिस्तान में आम चुनाव और चार प्रांतों के विधानसभा चुनाव हुए हैं.
ऐसा आरोप है कि सेना इमरान ख़ान का गुपचुप तरीके से समर्थन कर रही है जबकि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बना रही है.
मतदान केंद्रों के बाहर और भीतर सेना तैनात किए जाने को लेकर चुनाव आयोग की भी आलोचना हो रही है. आतंकवादी संगठनों को भी चुनावों में हिस्सा लेने देने को लेकर भी विवाद हुआ है.
भारत के साथ संबंधों को सुधारना चाहता है पाकिस्तान: इमरान ख़ान
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के प्रमुख इमरान खान ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारना चाहता है. उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप उपमहाद्वीप के लिए नुकसानदेह है जिसे रोका जाना चाहिए.
आम चुनावों में ख़ान की पार्टी को जीत मिलने के बाद 65 वर्षीय नेता ने पहली बार लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘अगर वे हमारी तरफ़ एक क़दम बढ़ाते हैं तो हम दो क़दम बढ़ाएंगे लेकिन कम से कम शुरुआत होने की ज़रूरत है.’
खान ने कहा कि दोनों देशों के बीच कश्मीर मुख्य मुद्दा है और वार्ता के माध्यम से इसका समाधान होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो क्रिकेट के कारण भारत के बहुत से लोगों को यकीनन जानता हूं. हम दक्षिण पूर्व एशिया में गरीबी संकट का समाधान कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को इसका समाधान करने के लिए वार्ता की मेज पर आना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हम भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारना चाहते हैं अगर उनका नेतृत्व भी चाहता हो. ऐसा आरोप-प्रत्यारोप कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में कुछ भी भारत के कारण गलत हो रहा है और ऐसा ही आरोप वहां भारत में पाकिस्तान पर लगाया जाना हमें उसी चौराहे पर ला खड़ा करता है.’
उन्होंने कहा, ‘हम इस तरह आगे नहीं बढ़ेंगे और यह उपमहाद्वीप के लिए नुकसानदायक है.’
हाल के वर्षों में भारत-पाकिस्तान के रिश्ते रसातल में पहुंच गए हैं और दोनों के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई है. ख़ान ने कहा कि भारतीय मीडिया से उन्हें काफी निराशा हुई जिसने हाल के हफ्तों में उन्हें ‘बॉलीवुड के खलनायक’ के रूप में पेश किया.
अमेरिका के साथ रिश्तों के बारे में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ संतुलित संबंध चाहता है जो परस्पर लाभदायक हो न कि एकतरफा हो. ख़ान ने कहा कि वह और उनकी पार्टी ईरान और सऊदी अरब दोनों के साथ मजबूत संबंध चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम चीन के साथ संबंध मज़बूत करेंगे. उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरीडोर में निवेश कर हमें अवसर मुहैया कराया है.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चीन से सीख सकता है जिसने भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाया है और लोगों के जीवन में भी सुधार लाया है.
आम चुनाव में कई दिग्गजों को मिली मात
पाकिस्तानी मीडिया की ख़बरों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी, उनकी पार्टी पीएमएल-एन के अध्यक्ष शाहबाज़ शरीफ़ और दक्षिणपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराजुल हक़ उन दिग्ग्जों में शामिल हैं जिन्हें पाकिस्तान के संसदीय चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है.
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की ओर से नवाज़ शरीफ़ को प्रधानमंत्री पद के अयोग्य करार दिए जाने के बाद अब्बासी ने रावलपिंडी की एनए-57 और इस्लामाबाद की एनए-53 संसदीय सीटों से पीएमएल-एन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था.
लेकिन अनाधिकारिक नतीजों के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री अब्बासी दोनों सीटों से हार गए. एनए-57 को पीएमएल-एन की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है.
इस सीट पर पहली बार 1985 में अब्बासी के पिता को जीत मिली थी. अब्बासी ख़ुद 1990, 1993, 1997, 2008 और 2013 के आम चुनावों में इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं. वह इस सीट पर सिर्फ 2002 में हारे थे.
अब्बासी के अलावा, पीएमएल-एन के प्रमुख शाहबाज़ शरीफ़ भी दो सीटों से चुनाव हार गए हैं. वह कराची, स्वात और लाहौर की तीन संसदीय सीटों से चुनाव लड़े थे. कराची और स्वात में उन्हें इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के उम्मीदवारों ने मात दी जबकि लाहौर सीट पर वह आगे चल रहे हैं.
अनाधिकारिक नतीजों के मुताबिक बीते बुधवार को हुए चुनावों में हारने वालों में मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल (एमएमए) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान भी शामिल हैं. रहमान ने ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की डेरा इस्माइल ख़ान और लक्की मरवात संसदीय सीटों से चुनाव लड़ा लेकिन दोनों सीटों पर हार गए.
पंजाब के पूर्व क़ानून मंत्री और शरीफ़ के क़रीबी माने जाने वाले राणा सनाउल्ला को फैसलाबाद में पीटीआई के उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा. फैसलाबाद को पीएमएल-एन का गढ़ माना जाता है.
पीएमएल-एन के दिग्गज नेताओं में शामिल ख़्वाज़ा साद रफ़ीक़ को लाहौर में पीटीआई के अध्यक्ष इमरान ख़ान ने हराया जबकि सिंध प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री अरबाब रहीम को सिंध के उमरकोट क्षेत्र में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के उम्मीदवार ने हराया.
ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान के पोते असफंदयार वली ख़ान को चारसड्डा की एनए-24 संसदीय सीट पर पीटीआई के उम्मीदवार फ़ज़ल ख़ान के हाथों हार का सामना करना पड़ा. एनए-24 असफंदयार वली ख़ान का गृह चुनाव क्षेत्र है.
दक्षिणपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराजुल हक़ को लोअर डीर सीट एनए-7 पर हार का मुंह देखना पड़ा. इसे जमात के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में से एक माना जा रहा था.
इस बीच, पीपीपी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ज़रदारी को ख़ैबर पख़्तूनख़्वा की एनए-8 मलकंद सीट पर हार मिली, लेकिन सिंध के लरकाना के अपने गृह चुनाव क्षेत्र में वह निर्णायक बढ़त बनाए हुए हैं.
आंतरिक मामलों के पूर्व मंत्री और पीएमएल-एन से अलग हो चुके नेता चौधरी निसार अली ख़ान ने दो संसदीय सीटों से चुनाव लड़ा लेकिन वह दोनों सीटों पर पीछे चल रहे हैं. पांच संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ रहे पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान उन सभी पर आगे चल रहे हैं.
पाकिस्तान चुनाव आयोग अब भी आधिकारिक नतीजों को संकलित करने की प्रक्रिया में है.
पाकिस्तान के रूढ़िवादी इलाकों की महिलाओं ने पहली बार मतदान किया
पाकिस्तान के चुनावी इतिहास में पहली बार ख़ैबर पख़्तूनख़्वा तथा पंजाब प्रांत के रूढ़िवादी इलाकों की महिलाओं ने आम चुनाव में मतदान किया है.
समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी. इसमें कहा गया है कि आतंकवादी हमलों तथा लगातार धमकियों के बावजूद अशांत बलूचिस्तान में भी बीते बुधवार को महिलाएं बड़ी संख्या में मतदान के लिए निकलीं.
इससे पहले आम चुनावों में कबायली तथा रूढ़िवादी इलाकों में महिलाओं के मतदान पर पाबंदी थी. इन इलाकों में महिलाओं को मतदान से दूर रखने के लिए उम्मीदवारों तथा परिवार के मुखिया के बीच एक लिखित तथा मौखिक समझौते का नियम था.
हालांकि पहली बार पाकिस्तानी चुनाव आयोग (ईसीपी) ने 2015 में दिर लोवर उपचुनाव के परिणाम को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि एक भी पंजीकृत महिला ने इसमें मतदान नहीं किया है.
चुनाव क़ानून के अनुसार अगर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदान में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 10 से कम है तो ईपीसी चुनाव को रद्द कर देगा.
ईसीपी के दिशानिर्देश पर बीते बुधवार को उम्मीदवारों तथा स्थानीय प्रशासन ने इन इलाकों में कम से कम 10 प्रतिशत महिला मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)