पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषकों को आशंका है कि देश में राजनीति के लिहाज़ से हालात अस्थिरता वाले हो सकते हैं, जहां अपने गढ़ों में शिकस्त का सामना करने वाले कई राजनीतिक दिग्गज आम चुनावों में धांधली के आरोपों के बीच हाथ मिला सकते हैं.
इस्लामाबाद/कराची/लाहौर: पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने नेशनल असेंबली की 270 में से 250 सीटों के लिए नतीजे शुक्रवार को जारी कर दिए जिसमें इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक- ए-इंसाफ़ (पीटीआई) आम चुनावों में 115 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी है. मतगणना की रफ्तार बहुत धीमी है. चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए गए हैं.
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) के अनुसार, पीटीआई के मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) को 63 सीटें और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को 43 सीटें मिली हैं. निर्दलीय प्रत्याशियों ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की है.
दक्षिणपंथी धार्मिक दलों मसलन जमात-ए-इस्लामी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फ़ज़ल के गठबंधन मुत्तहिदा मजलिस-ए-अमाल-पाकिस्तान (एमएमएपी) ने 11 सीटों पर जीत हासिल की है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज़ इलाही की पाकिस्तान मुस्लिम लीग को पांच सीटें मिली हैं.
ईसीपी के नतीजों के अनुसार, कराची के मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएमपी) पाकिस्तान को सबसे कम सीटें मिली है. उसे कराची में 20 में से महज़ चार सीटों पर जीत मिली है.
नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय विधानसभा चुनावों के लिए मतदान बुधवार को हुआ था. पीटीआई के केंद्र में सरकार बनाने की संभावना है और पार्टी प्रमुख इमरान ख़ान ने बीते गुरुवार को अपने पहले संबोधन में जीत का दावा कर दिया है.
पाकिस्तान के चार प्रांतों के विधानसभा चुनाव का हाल
बहरहाल, ईसीपी के नतीजों के मुताबिक प्रांतीय विधानसभाओं में पीएमएल-एन 297 सीटों में से 127 सीटों के साथ पंजाब प्रांत में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. इसके बाद पीटीआई को 122 सीटें मिली हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों को 29 सीटें मिली है जो सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
पीटीआई ने पंजाब में भी सरकार बनाने की घोषणा की है. इस क़दम से ख़रीद-फरोख़्त के आरोप लग सकते हैं. सिंध प्रांत में पीपीपी को स्पष्ट बहुमत मिला है. उसने सदन की 130 सीटों में से 72 पर जीत दर्ज की है. पीटीआई 20 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है.
पीटीआई को ख़ैबर पख़्तूनख़्वा विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिला है. 99 सदस्यीय विधानसभा में उसने 66 सीटें जीती हैं जबकि एमएमएपी 10 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
नव गठित बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) 13 सीटों के साथ बलूचिस्तान विधानसभा में शीर्ष पर है. 51 सदस्यीय विधानसभा में एमएमएपी आठ सीटों के साथ दूसरे नंबर पर आई है.
चुनाव परिणामों ने विवाद पैदा कर दिया है और सभी प्रमुख पार्टियों ने चुनावों में धांधली और कुप्रंबधन का आरोप लगाते हुए नतीजों को ख़ारिज कर दिया है.
जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी पीएमएल-एन ने शुक्रवार को इस्लामाबाद में सर्वदलीय बैठक बुलाई है जिसमें पीपीपी, एमएमएपी, एमक्यूएमपी और कई छोटी पार्टियों के शामिल होने की संभावना है.
पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हस्तांतरण हो रहा है. वर्ष 1947 में आजादी के बाद से लेकर अब तक देश की क़रीब आधी सदी तक पाकिस्तान में सेना का शासन रहा है.
धांधली के आरोपों के बीच विश्लेषकों को राजनीतिक अनिश्चितता की आशंका
पाकिस्तान में राजनीतिक विश्लेषकों को आशंका है कि देश में राजनीति के लिहाज़ से हालात अस्थिरता वाले हो सकते हैं जहां अपने गढ़ों में शिकस्त का सामना करने वाले कई राजनीतिक दिग्गज आम चुनावों में धांधली के आरोपों के बीच हाथ मिला सकते हैं.
पाकिस्तान के चुनाव में कुछ नतीजे चौंकाने वाले हैं और हार का सामना करने वाले कई राजनीतिक दल मतगणना के तरीके और लंबे विलंब के बाद नतीजों की घोषणा को लेकर आरोप लगा रहे हैं.
ईसीपी द्वारा अब तक घोषित अनधिकृत परिणामों के अनुसार पूर्व क्रिकेकर इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई ने नेशनल असेंबली में सबसे ज़्यादा सीटें हासिल की हैं. वहीं, कई बड़े दिग्गज अपने गढ़ों में हार चुके हैं.
विश्लेषक उमैर अलवी ने कहा, ‘अगले कुछ दिन पाकिस्तान की सियासत के लिए महत्वपूर्ण होंगे. पीटीआई के बाद निचले पायदानों पर रहने वाले दल अगर मिलकर नतीजों के ख़िलाफ़ विरोध शुरू कर देते हैं तो इमरान ख़ान और उनकी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं.’
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सांसद भी चुनाव में धांधली के आरोप लगा रहे हैं. इससे पहले पार्टी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो अपने मज़बूत गढ़ ल्यारी में पीटीआई के एक उम्मीदवार से हार गए.
जमीयत उलेमा इस्लाम (मौलाना फज़लुर रहमान), ख़ादिम हुसैन शाह नीत तहरीक-ए-लबैक जैसी धार्मिक पार्टियों ने भी वोटों की गिनती में धांधली का आरोप लगाते हुए आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है.
बिलावल ने कहा, ‘हमारी पार्टी के नेता शुक्रवार को हालात पर चर्चा करेंगे और अगले क़दम का ऐलान करेंगे.’
निर्दलीय सदस्यों की मदद से पंजाब में बन सकती है पीटीआई की सरकार
पाकिस्तान के संभावित प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी की नज़र पंजाब प्रांत में भी सरकार बनाने की है हालांकि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी संख्या बल में कुछ आगे है.
इमरान की पार्टी को सरकार बनाने के लिए निर्दलीय सदस्यों की मदद लेनी होगी.
पंजाब पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा आबादी वाला प्रांत है. 10 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस प्रांत में नवाज़ शरीफ़ की पार्टी दो बार से सत्ता में थी. लेकिन इस बार वह बहुमत प्राप्त करने में नाकाम रही.
297 सदस्यीय सदन में सरकार बनाने के लिए 149 सीटों की ज़रूरत है. लेकिन, उसके पास 127 सीट ही हैं.
पीटीआई को 122 सीटें मिली हैं जबकि उसकी सहयोगी पीएमएल-क्यू के सात उम्मीदवार विजयी हुए हैं. जिससे इमरान के पक्ष में 129 सीटें हो जाती हैं.
वहीं, प्रांत में 29 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों का झुकाव पीटीआई की ओर प्रतीत होने से लगता है कि ख़ान की पार्टी पंजाब में आसानी से सरकार बना लेगी.
पीटीआई के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने शुक्रवार को बताया कि पीएमएल-क्यू और निर्दलीय सदस्यों की मदद से वे आसानी से सरकार बना लेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी निर्दलीय सदस्यों से बातचीत कर रही है और उनमें से ज़्यादातर जल्दी ही पार्टी में शामिल होने की घोषणा करेंगे.
इस बीच पीएमएल-एन के प्रमुख शहज़ाद शरीफ़ के पुत्र हम्ज़ा शरीफ़ ने कहा कि पंजाब में उनकी पार्टी को मिले जनादेश का पीटीआई को सम्मान करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘धांधली के बाद भी हम पंजाब में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आए हैं और इमरान ख़ान को जनादेश का सम्मान करना चाहिए तथा हमें प्रांत में सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए.’
नेशनल असेंबली में जीत हासिल करने वाले पहले हिंदू बने महेश मलानी
पीपीपी के महेश कुमार मलानी पहले हिंदू उम्मीदवार हैं जिन्होंने नेशनल असेंबली सीट पर जीत हासिल की है. देश में ग़ैर मुस्लिमों को 16 वर्ष पहले आम चुनावों में वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार मिला था, जिसके बाद मलानी पहले हिंदू हैं जिन्होंने जीत हासिल की है.
डॉन अख़बार ने ख़बर दी है कि मलानी ने दक्षिणी सिंध प्रांत के थारपरकर द्वितीय सीट से चुनाव लड़ा और 14 उम्मीदवारों को हराकर जीत हासिल की. उन्हें एक लाख छह हज़ार 630 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस के अरबाब जकाउल्ला को 87 हज़ार 251 वोट मिले.
मलानी पाकिस्तानी हिंदू राजस्थानी पुष्करना ब्राह्मण हैं जो 2003 से 2008 तक एक आरक्षित सीट पर संसद सदस्य थे. उन्हें पीपीपी ने नामित किया था. वे सिंध विधानसभा में खाद्य पर बनी स्थायी समिति के अध्यक्ष थे. इसके अलावा पिछली सरकार के कार्यकाल में विभिन्न स्थायी समितियों के सदस्य थे.
मलानी 2013 में सिंध विधानसभा के थारपारकर तृतीय सीट पर जीत हासिल कर प्रांतीय विधानसभा के पहले ग़ैर मुस्लिम सदस्य बने.
क्रिकेट और चुनाव के मैदान में अपनी टीम की किस्मत बदलने वाले ‘कप्तान इमरान ख़ान’
क्रिकेट खिलाड़ी से राजनीतिज्ञ बने इमरान ख़ान ने एक बार कहा था, ‘मुझे ख़ुद में भरोसा था. मैंने कभी भी एक साधारण खिलाड़ी के रूप में ख़ुद की कल्पना नहीं की.’ वे अपने इन शब्दों पर दो बार खरे उतरे- एक बार क्रिकेट के मैदान में और दूसरी बार अब राजनीति में.
पाकिस्तान के महानतम क्रिकेट खिलाड़ियों में शामिल 65 वर्षीय इमरान ख़ान ने अपनी क्रिकेट टीम में एक नई जान डालते हुए 1992 के विश्व कप की जीत में उसका नेतृत्व किया था और अब इस बार पाकिस्तान के आम चुनाव में अपनी पार्टी पीटीआई को शानदार जीत दिलाकर एक प्रेरणादायी नेता के रूप में भी ख़ुद को साबित किया.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़े पश्तून जाति के नेता ने 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की शुरुआत की थी. पार्टी के नाम का मतलब है ‘न्याय के लिए आंदोलन’. लेकिन इमरान देश की राजनीति में प्रभुत्व रखने वाली दो पार्टियों- पीएमएल-एन और पीपीपी के वर्चस्व के तोड़ने में संघर्ष करते रहे.
देश में जब सैन्य शासन नहीं रहा है तब इन्हीं दोनों दलों की सरकारें रही हैं.
इमरान ख़ान सबसे पहले 2002 के चुनाव में संसद के सदस्य बने. वे 2013 के चुनाव में दोबारा नेशनल असेंबली (संसद का निचला सदन) के लिए निर्वाचित हुए. तब पीटीआई लोकप्रिय मतों के लिहाज़ से दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.
चुनाव के एक साल बाद, मई 2014 में ख़ान ने चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी पीएमएल-एन के पक्ष में धांधली किए जाने का आरोप लगाया था.
अगस्त, 2014 में ख़ान ने शरीफ़ के इस्तीफ़े और चुनाव में कथित धांधली की जांच की मांग करते हुए अपने समर्थकों के साथ लाहौर से इस्लामाबाद के बीच एक रैली निकाली.
एक महीने के भीतर ही ख़ान ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई मौलवी ताहिर-उल-क़ादरी के साथ गठजोड़ किया और दोनों ने शरीफ़ सरकार बर्ख़ास्त करने की मांग पर ज़ोर दिया. दोनों के बीच हुए समझौते के बाद शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन का अंत कथित चुनाव धांधली की जांच के लिए शरीफ सरकार के न्यायिक आयोग के गठन के बाद ख़त्म हुए.
2018 के चुनाव के अपने प्रचार अभियान के दौरान ख़ान ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू करने, स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा में सुधार करने और देश को एक इस्लामी कल्याणकारी राष्ट्र में बदलने का वादा किया.
समझा जाता है कि ख़ान को शक्तिशाली सेना का समर्थन हासिल है. उनका मानना है कि क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए सबसे व्यवहारिक नीति कश्मीर मुद्दे सहित तमाम विषयों पर भारत के साथ सहयोग करना है.
पीटीआई ने देश के सामने मौजूद गंभीर आर्थिक एवं प्रशासनिक समस्याओं से निपटने के लिए 100 दिन की एक योजना तैयार की है.
विदेश नीति एवं राष्ट्रीय रक्षा के मोर्चे पर खान की पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मानदंडों के अनुरूप कश्मीर मुद्दे के हल की दिशा में एक योजना पर काम करने का वादा किया.
आतंकवाद से लड़ने के मुद्दे पर पार्टी ने आपराधिक न्याय तंत्र में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने का वादा किया.
घोषणापत्र में कहा गया कि पार्टी ‘सशस्त्र बलों सहित पाकिस्तान की जमीन या लोगों का इस्तेमाल किसी भी दूसरे देश की अपनी राजनीतिक विचारधारा या आधिपत्य को बढ़ावा देने के लिए, आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए या किसी भी दूसरे देश को अस्थिर करने के लिए नहीं होने देगी.’
पीटीआई की वेबसाइट पर डाली गई ख़ान की प्रोफाइल में कहा गया है कि एक नेता के रूप में इमरान ख़ान की दृष्टि एक स्वतंत्र एवं ईमानदार न्यायपालिका का निर्माण कर और सबको समान अवसर मुहैया कराने वाली एक योग्यता आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देकर पाकिस्तान को मानवीय मूल्यों पर आधारित एक न्याय संगत देश बनाने की है जो लोकतंत्र को बनाए रखे, मानवाधिकारों की हिफ़ाज़त करे और कानून का राज सुनिश्चत करे.
एक समय ख़ान को उनकी खूबसूरती के कारण पाकिस्तान का सबसे योग्य कुंवारा कहा जाता था. उन्होंने तीन बार शादी की. उनकी पिछली दो शादियों का तलाक़ के साथ अंत हुआ.
उन्होंने पहली बार 1995 में एक ब्रिटिश अरबपति की बेटी जेमिमा गोल्डस्मिथ से शादी की जो नौ साल चली. ख़ान और जेमिमा के दो बेटे हैं. ख़ान की दूसरी शादी 2015 में हुई लेकिन टीवी प्रस्तोता रेहम ख़ान के साथ उनकी यह शादी भी महज 10 महीने बाद टूट गई.
इस साल की शुरुआत में इमरान ख़ान ने तीसरी बार शादी की. उन्होंने इस बार अपनी ‘आध्यात्मिक मार्गदर्शक’ बुशरा मनेका से ब्याह रचाया.
ख़ान का जन्म 1952 में पंजाब प्रांत के मियांवाली में हुआ. उनके पिता इकरामुल्ला ख़ान नियाज़ी शनमनखेल समूह के पश्तून (पठान) नियाज़ी जाति के वंशज थे. वे पेशे से एक सिविल इंजीनियर थे.
उनकी मां शौकत खानुन एक गृहिणी थीं. उनका परिवार लाहौर में बसा है लेकिन ख़ान की आत्मजीवनी के मुताबिक वे ख़ुद को अब भी पठान पृष्ठभूमि का मानते हैं.
ख़ान ने लाहौर के एचिसन कॉलेज और इंग्लैंड के रॉयल ग्रामर स्कूल वोरसेस्टर से पढ़ाई की. 1972 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के केब्ले कॉलेज में दाख़िला लिया जहां उन्होंने दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र जैसे विषयों की पढ़ाई की. 1975 में उन्होंने स्नातक की डिग्री पाई.
इमरान ख़ान ने 1971 से 1992 के बीच पाकिस्तान के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला और 1992 में उनकी कप्तानी में पाकिस्तान की एकदिवसीय टीम ने देश के लिए अब तक का पहला और एकमात्र विश्व कप जीता.
इमरान की पत्नी ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की जीत पर देश को मुबारकवाद दी
इमरान ख़ान की पत्नी बुशरा मनेका ने समूचे देश को ऐसे नेता को चुनने के लिए मुबारकवाद दी है जो आम आदमी के कल्याण के लिए समर्पित है.
टीवी चैनलों ने बुशरा मनेका के हवाले से कहा, ‘अल्लाह सर्वशक्तिमान ने देश को ऐसा नेता दिया है जो लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा.’
विधवा, गरीब और बेसहारा लोगों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख पाकिस्तान के नागरिकों की जान की रक्षा करेंगे.
इमरान ख़ान ने अपने संबोधन में कहा कि वे मदीना की तरह कल्याणकारी राज्य बनाना चाहते हैं जहां विधवाओं, समाज के कमज़ोर तबके के प्रति रहम दिखाया जाएगा. ख़ान की पूर्व ब्रिटिश पत्नी जेमिमा ने भी बीते गुरुवार को उन्हें मुबारकवाद दी और उनकी दृढ़ता, सोच और हार को स्वीकार करने की ताकत की सराहना की.
इमरान ख़ान की तीसरी पत्नी बुशरा अग्रणी विद्वान और आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं.
जेमिमा से तलाक़ के बाद इमरान खान ने बीबीसी की पूर्व प्रेज़ेंटेर रेहम ख़ान से शादी की. वह भी ब्रिटिश हैं. हालांकि उनका संबंध ज़्यादा समय तक टिक नहीं पाया. रेहम ने अपनी हालिया किताब में इमरान ख़ान पर समलैंगिक होने और नशा करने समेत कई संगीन आरोप लगाए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)